बच्चे मन के सच्चे
बच्चे मन के सच्चे
मेरी भाँजी अनुधि अभी पाँच साल की है। वह बहुत ही मासूम है। मगर मन से बहुत ईमानदार और सच्ची है।
स्कूल में जब अनुधि की क्लास में किसी भी बच्चे का जन्मदिन होता है और उसको टॉफ़ी चॉकलेट मिलती है, तो वह उसको स्कूल में खाती ही नहीं है।
उसको जो भी मिलता है, उसको पूरी ईमानदारी के साथ अपने स्कूल बैग में रख लेती है और घर लाती है। फिर घर आकर सारा सामान अपनी बड़ी बहन उपाधि के साथ आधा आधा शेयर करती है और फिर उसके बाद केवल अपने हिस्से का सामान खाती है।
ऐसी सच्चाई बड़ों में कहाँ?
