माला के बिखरे मोती (भाग १२१)
माला के बिखरे मोती (भाग १२१)
माला: अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरी करने के बाद और शादीशुदा ज़िंदगी के साठ साल पूरे होने के बाद हम दोनों लंबी तीर्थ यात्रा पर चले जाएंगे। इस तीर्थ यात्रा में हम दोनों चारों धामों की यात्रा के अलावा, अमरनाथ यात्रा, वैष्णो देवी के दर्शनों के अलावा, देश के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों के दर्शन करेंगे।
विजय (कुछ सोचते हुए): यह तो बहुत ही अच्छा सोचा है आप दोनों ने। लेकिन इन सब में बहुत समय लग जाएगा। साथ ही, उम्र के इस पड़ाव पर हम लोग आपको दर दर भटकने के लिए अकेला तो नहीं छोड़ सकते हैं।
संजय: विजय भैया, अगर पापा मम्मी तीर्थ यात्रा पर जाना चाहते हैं, तो हम सब बच्चों को इनकी इस इच्छा का पूरा सम्मान करना चाहिए।
धनंजय: पापा मम्मी, आप दोनों तीर्थ यात्रा पर ज़रूर जाइए। जहाँ तक बात है आप दोनों के अकेले दर दर भटकने की, तो इसका उपाय मैंने सोच लिया है। आप दोनों के साथ बबलू, बिट्टू और शांति भी जाएंगे। आप दोनों के साथ ये तीनों भी हर जगह जाएंगे और सभी जगहों पर आप दोनों के ठहरने, रहने, खाने पीने और कपड़ों का इंतज़ाम देखेंगे।
आरती: धनंजय भैया, आपका आइडिया बहुत ही अच्छा है। मज़ा आ गया है।
भावना: हाँ, इससे हम भी पापाजी मम्मीजी की ओर से निश्चिंत रहेंगे।
चाँदनी: हाँ, हमें पापाजी मम्मीजी की बिल्कुल चिंता नहीं रहेगी और पापाजी मम्मीजी को भी हर जगह आसानी रहेगी।
देविका: यह बेहतरीन सुझाव है धनंजय भैया। पापाजी मम्मीजी के साथ वैसे भी हम बेटे बहुओं में से किसी का जाना संभव नहीं है क्योंकि हमें बच्चों की देखभाल भी करनी होगी।
ईशा: सच में, मेरे पतिदेव का आइडिया तो बहुत ही बढ़िया है। हम लोग अभी बबलू, बिट्टू और शांति को बुलाकर सब समझा देते हैं।
जय: पापा मम्मी, आप कहीं पर भी पैसों की चिंता बिल्कुल मत कीजिएगा। अब ज़्यादातर जगहों पर ऑनलाइन पेमेंट होता है। अगर कहीं ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा न हो, तो उसके लिए कुछ पैसे अपने पास रखिएगा। वर्ना आस पास के ही किसी भी बैंक से या एटीएम से ज़रूरत के हिसाब से पैसे निकाल लीजिएगा।
यश: यह बिल्कुल सही रहेगा बच्चों। तो चलो, फिर यह तय रहा कि मैं और माला इसी सप्ताह तीर्थ यात्रा पर निकलेंगे।
माला: बिल्कुल सही कहा आपने जी। तो बच्चों, अब हम दोनों के तीर्थ यात्रा पर जाने की तैयारी शुरू कर दो। मेरी सभी बहुएं और बेटियाँ हमारे सभी कपड़े और खाने पीने का थोड़ा सामान पैक करेंगी और सभी बेटे और दामाद हम दोनों के आने जाने का सारा इंतज़ाम देखेंगे। साथ ही बबलू, बिट्टू और शांति को सब कुछ समझाने की ज़िम्मेदारी भी आप सभी पर है। जिससे हम दोनों को ये तीनों लोग अच्छी तरह सँभाल सकें।
इन सब बातों में सभी सदस्यों का नाश्ता ख़त्म हो गया है। इसके बाद सभी बेटों बहुओं और बेटियों दामादों ने अपने मम्मीजी पापाजी के तीर्थ यात्रा पर जाने का सारा कार्यक्रम बनाना शुरू कर दिया है।
इस परिवार के लिए आगे के कुछ दिन यश वर्धन और माला की तीर्थ यात्रा की तैयारी में निकल रहे हैं। सभी बच्चे थोड़े इमोशनल भी हो रहे हैं, यह सोचकर कि अब पता नहीं है कि उनके पापा मम्मी घर कब वापस लौटेंगे! न जाने कब उनसे दोबारा मिलना हो पाएगा!
कुछ दिनों की व्यस्तता के बाद आज यश वर्धन और माला के तीर्थ यात्रा पर निकलने का दिन आ ही गया है।
आज जहाँ एक ओर, यश वर्धन और माला को बरसों पुराने अपने सपने के पूरा होने जाने की खुशी है, वहीं दूसरी ओर, अपने बेटे बहुओं, बेटियों दामादों, पोते पोतियों और नाती नातिन से बिछड़ने का बहुत दुख है। यश वर्धन और माला को अपनी उम्र को देखकर यह डर भी अपने मन में कहीं न कहीं लग ही रहा है कि कहीं तीर्थ यात्रा के दौरान ही ये दोनों मृत्यु को प्राप्त न हो जाएं। लेकिन यश वर्धन ने माला को अकेले में समझाया,
"देखो माला, यह तो ईश्वर ही जानते हैं कि सभी तीर्थ स्थलों की यात्रा करने के बाद हम दोनों सही सलामत अपने घर वापस आ पाएंगे या नहीं। अगर ईश्वर इच्छा हुई, तो हम दोनों सकुशल घर वापस आकर अपने बच्चों से मिल लेंगे। यदि ईश्वर इच्छा न हुई, तो वहीं किसी तीर्थ स्थल पर हम दोनों स्वर्गवासी हो जाएंगे। यह तो सीधे ईश्वर चरणों में स्थान पाने जैसा होगा। इसलिए, अब तीर्थ यात्रा पर जाते समय तुम्हें मज़बूत बनना होगा। तुम्हें अपने परिवार से इस तरह मिलकर विदा लेनी होगी, जैसे तुम पूरी तरह संतुष्ट होकर उनसे अंतिम बार मिल मिल रही हो। तुम्हारी सारी दुआएं और तुम्हारा सारा आशीर्वाद तुम्हारे बच्चों के साथ हमेशा ही रहेगा।"
माला: आपकी इन बातों से मुझे बहुत हिम्मत और तसल्ली मिली है जी। अब मेरा मन बिल्कुल भी कच्चा नहीं हो रहा है। मैंने अपने मन को बहुत मज़बूत बना लिया है।
यश: यह बहुत अच्छी बात है। बिल्कुल इसी तरह तुम्हें अपने बच्चों को भी तसल्ली देने होगी।
माला: ऐसा ही होगा जी।
इस बातचीत के बाद यश वर्धन और माला ने अपने बच्चों से विदा ले रहे हैं। विदा लेते समय, न चाहते हुए भी परिवार के सभी सदस्यों की आँखें नम हैं। घर की सभी महिलाएं और घर के सभी बच्चे तो फूट फूटकर रोने लगे हैं। यश वर्धन और माला भी कहाँ अपने आँसुओं को अपनी आँखों के अंदर रोक पाए हैं!
यश वर्धन और माला भी सभी से मिलकर बहुत रो रहे हैं। अब इस माहौल में पुरुषों से मज़बूत बने रहने की अपेक्षा करना इनके साथ ज़्यादती होगी! आख़िर ये पुरुष हैं तो क्या हुआ! आख़िर भावनाएं तो इनके अंदर भी हैं। वैसे भी, अभी ये बेटे हैं और इनके माता पिता इनसे दूर जा रहे हैं। तो रोना तो इनको भी आएगा। हम कौन होते हैं इनको रोने से या अपनी भावनाएं ज़ाहिर करने से रोकने वाले! यश वर्धन और माला सभी बच्चों को तसल्ली दे रहे हैं। फिर ये दोनों लंबी तीर्थ यात्रा पर निकल गए हैं।
यश वर्धन और माला के विदा लेने से पहले मैं इस परिवार की आप सभी को दो दो खुशख़बरी देना चाहता हूं। दो खुशख़बरी ये हैं कि छाया और काया दोनों बहनें ही इस समय गर्भवती हैं। कुछ ही महीनों में इन दोनों को माँ बनने का सुख मिल जाएगा। वैसे यह बात यश वर्धन और माला को छाया और काया ने पहले ही बता दी थी। जिसको सुनकर ही यश वर्धन और माला संतुष्ट और प्रसन्न हो गए थे और इनको अपनी तीर्थ यात्रा की बात याद आई थी।
अब हम यश वर्धन के परिवार के सभी सदस्यों को अपना जीवन जीने देते हैं और इस परिवार के सभी बच्चों को बड़ा होने देते हैं। (समाप्त)
