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Amit Singhal "Aseemit"

Comedy Inspirational Children

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Amit Singhal "Aseemit"

Comedy Inspirational Children

हिंदी भाषा

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   मेरी यह कहानी तब की है, जब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता था। दक्षिण भारत के केंद्रीय विद्यालय से ट्रांसफ़र होकर एक विद्यार्थी ने मेरे स्कूल में मेरी ही कक्षा में दाख़िला लिया था। उसके पिताजी थल सेना में मेजर थे। 


   मेरे उस सहपाठी का नाम था सुंदर रंगनाथन। सुंदर केवल अंग्रेज़ी और अपनी मातृभाषा बोलना जानता था। वह हिंदी केवल सुनकर समझ तो पाता था, लेकिन बोलता टूटी फूटी सी ही था। 


   हिंदी बोलते समय वह स्त्रीलिंग और पुल्लिंग में गड़बड़ कर देता था। विशेष रूप से, जब वह ख़ुद के लिए बोलता था, तो वह स्त्रीलिंग में बोल जाता था। जैसे, मैं आ रही हूं, मैं कर रही हूं, आदि। क्योंकि अंग्रेज़ी में ख़ुद के लिए बोलते समय "लिंग" का कोई भेद नहीं होता है। जैसे, i am coming, i am doing, यह लड़का भी बोल सकता है और लड़की भी। 


   उसकी इसी कमी की वजह से बाकी बच्चे उसका मज़ाक उड़ाते थे और उसकी पीठ के पीछे उसको "सुंदरी" कहकर पुकारने लगे थे। 


   मुझे यह सुनकर बुरा लगता था। तो मैंने उसको समझाया कि हिंदी में ख़ुद के लिए बोलते समय स्त्रीलिंग पुल्लिंग में अंतर किया जाता है और वह पुल्लिंग का प्रयोग किया करे। 


   मैंने उसको समझाया कि ख़ुद के लिए "रही" की जगह "रहा" और "ती" की जगह "ता" प्रयोग करे। सुंदर मेरी बात समझा और उसने कहा कि जब वह हिंदी बोलते समय गड़बड़ करे, मैं उसको करेक्ट कर दूं। 


   धीरे धीरे सुंदर अच्छी हिंदी बोलने लगा। अब सुंदर लगभग तीस सालों से दिल्ली में रहता है और बहुत अच्छी हिंदी बोलता है। उसके दोनों बच्चे भी बहुत शुद्ध हिंदी बोलते हैं। 


   हमें इस संस्मरण से यह सीख लेनी चाहिए कि यदि कोई व्यक्ति हिंदी बोलने में ग़लती करे, तो उसका मज़ाक उड़ाने की जगह उसको सही हिंदी बोलने में मदद करनी चाहिए।


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