Priyanka Gupta

Abstract Inspirational

4.5  

Priyanka Gupta

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हाँ, मुझे है बेटे की चाह !

हाँ, मुझे है बेटे की चाह !

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" अरे यार, दूसरा बेबी प्लान कर रही हूँ। सोच रही हूँ आर्या को साथ में खेलने के लिए एक भाई मिल जाएगा। ", मेरी अच्छी दोस्त संगीता ने अपनी कॉफी के घूँट भरते हुए कहा।

संगीता और मैं कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे। संगीता के प्रगतिशील विचारों के कारण कॉलेज में कभी -कभी हम उसे नारीवादी कहकर भी चिढ़ाते थे। तब संगीता कहती थी कि ," मैं नारीवादी हूँ। इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं पुरुषों की विरोधी हूँ। मैं तो केवल लिंग को आधार बनाकर होने वाले भेदभाव का विरोध करती हूँ। "

संगीता की बातें मुझे समझ नहीं आती थी ;मैं सपाट से चेहरे के साथ उसकी तरफ देखने लग जाती थी। तब संगीता कहती थी कि ," यार ,हमें ही नहीं ;लड़कों को भी भेदभाव झेलना पड़ता है। लेकिन उन्हें हमसे अधिक विशेषाधिकार मिले हुए हैं ; हम पर वरीयता मिलती है ;इसलिए भेदभाव का उन पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। "

तब मैं उससे कहती ," यह सब बेकार की बातें हैं। सदियों से ऐसा ही चलता आ रहा है और ऐसा ही चलेगा। तुम्हारी इन बातों से कुछ नहीं बदलने वाला है। लड़कों के साथ कोई भेदभाव नहीं होता। "

" अरे होता है ;अब कोई लड़का चाहे तो भी आंसू नहीं बहा सकता। आंसू उसकी मर्दानगी को चुनौती जो दे देते हैं। चल छोड़ यार ;तुझे अभी नहीं समझ आएगा। ",ऐसा कहकर संगीता बैग उठाकर घर के लिए निकल जाती थी।

उस संगीता के मुँह से ऐसी बातें सुनकर मैं आश्चर्यचकित थी। वह कैसे एक बेटे की चाह कर सकती थी। मैंने कहा ," संगीता ,अब तो तू समझ गयी न। बदलाव की बातें सब बातें हैं। असल में कुछ नहीं बदलने वाला। "

"तू फिर नहीं समझ पायी। ", संगीता ने मुस्कुराते हुए कहा।

" अरे ,समझना क्या ?तुझे भी तो यह बात समझ आ गयी कि बेटा कितना आवश्यक है। बेटे के बिना माँ -बाप का सहारा कौन बनेगा?" ,मैंने कहा।

" बेटे की चाह रखना गलत नहीं है। लेकिन सिर्फ बेटे की चाह रखना गलत है। बेटे के लिए गर्भ में पल रही बेटी को मारना गलत है। अगर मेरे पहला बेटा होता तो ,मैं बेटी की चाह रखती। बेटा और बेटी जब दोनों ही समान हैं तो दोनों की चाह क्यों न रखी जाए। मुझे सिर्फ बेटी ही चाहिए ;ऐसा कहकर मैं महान बनने और समस्त पुरुषों से नफरत का ढोंग नहीं करना चाहती। " संगीता ने कॉफ़ी का आखिरी घूँट पीते हुए कहा।

"लेकिन फिर भी। ",मैंने कहा।

" मैं नारीवादी हूँ। नारीवादी होने के लिए मुझे पुरुषों से नफरत करने की जरूरत नहीं है। मैं तो सिर्फ इतना चाहती हूँ कि केवल नारी होने के कारण मुझ पर प्रतिबन्ध न लगाए जाए। मैं अपने बेटे को ऐसे पालना चाहती हूँ कि मेरी बेटी के लिए यह दुनिया सुरक्षित और बेहतर बने।मेरा बेटा सशक्त महिलाओं के साथ जीना सीख सके .अगर मैं भी सिर्फ बेटी ही चाहूंगी तो ऐसा पति ,भाई और पिता कहाँ से मिलेगा जैसा मैं अपनी बेटी को देना चाहती हूँ . ", संगीता ने कहा।

" सही कहा तुमने। बेटे या बेटी किसी की भी चाह रखने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन सिर्फ बेटे या बेटी की चाह गलत है। अपनी चाह के लिए गलत साधनों का उपयोग करना गलत है। हमें बराबर वाली दुनिया चाहिए, न कि सिर्फ पुरुषों की श्रेष्ठ्ता वाली या सिर्फ महिलाओं की श्रेष्ठ्ता वाली।" मैंने कहा।


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