आज मुझे किसी आवश्यक कार्य से बाहर जाना पड़ रहा है। आज के लिए इतना ही।" आज मुझे किसी आवश्यक कार्य से बाहर जाना पड़ रहा है। आज के लिए इतना ही।"
कब बेटियों को आज़ादी मिलेगी इस भेदभाव से कब उन्हें बराबर समझा जाएगा। कब बेटियों को आज़ादी मिलेगी इस भेदभाव से कब उन्हें बराबर समझा जाएगा।
जो कभी पिता कभी भाई पति बेटा के रूप मे नचाता है। जो कभी पिता कभी भाई पति बेटा के रूप मे नचाता है।
अब उसके जीवन में बसन्त आने ही वाला था। अब उसके जीवन में बसन्त आने ही वाला था।
मैं भी आज से ही इस बराबरी वाला सूत्र अपने घर में भी लागू करूंगी। मैं भी आज से ही इस बराबरी वाला सूत्र अपने घर में भी लागू करूंगी।
उसे उड़ाकर उसे अपनों के साथ अपनों के बीच उसको गाँव ले जा रही है.... उसे उड़ाकर उसे अपनों के साथ अपनों के बीच उसको गाँव ले जा रही है....