‘डोंडयाखेड़ा’ का सोना हमें सुलाएगा नहीं मित्रों ! जगाएगा। ‘डोंडयाखेड़ा’ का सोना हमें सुलाएगा नहीं मित्रों ! जगाएगा।
फिर फैलाओगी अपनी विशाल शाखाएँ और तय करोगी अपने दायरे।" फिर फैलाओगी अपनी विशाल शाखाएँ और तय करोगी अपने दायरे।"
अब उसके जीवन में बसन्त आने ही वाला था। अब उसके जीवन में बसन्त आने ही वाला था।
हमेशा की तरह आज भी उसने खुद से सवाल किया कि क्यों कर रहा है वो ये सब? हमेशा की तरह आज भी उसने खुद से सवाल किया कि क्यों कर रहा है वो ये सब?
वो मेरी सीढ़ी बना और मुझे आगे बढ़ाया। वो मेरी सीढ़ी बना और मुझे आगे बढ़ाया।
लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास