अब गया वो ज़माना जब मां बाप बेटी को सिखाते थे की डोली विदा की है अर्थी ससुराल से ही उठे अब गया वो ज़माना जब मां बाप बेटी को सिखाते थे की डोली विदा की है अर्थी ससुराल से...
वो मेरी सीढ़ी बना और मुझे आगे बढ़ाया। वो मेरी सीढ़ी बना और मुझे आगे बढ़ाया।
लेखक : मिखाइल बुल्गाकव अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : मिखाइल बुल्गाकव अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
बंदरों के आपस में फिर से झगड़े शुरू हो गए थे । बंदरों के आपस में फिर से झगड़े शुरू हो गए थे ।
रमतो सुजान से वास्तव में नाराज था। पर सुंदरिया से प्रेम करने के लिये नहीं रमतो सुजान से वास्तव में नाराज था। पर सुंदरिया से प्रेम करने के लिये नहीं
मैंने उसे मुझे ही अपना भाई समझने के लिए कहा मैंने उसे मुझे ही अपना भाई समझने के लिए कहा