STORYMIRROR

Anita Bhardwaj

Tragedy Inspirational

4  

Anita Bhardwaj

Tragedy Inspirational

तिरस्कार

तिरस्कार

5 mins
243

"बेटा ! जो औरत का दिया; प्यार, सम्मान, वफादारी नहीं संभाल पाया वो औरत के द्वारा किया हुआ तिरस्कार कैसे संभाल पाएगा।" - राधा जी ने अपनी बेटी टीना को समझाया।

टीना की शादी 6 महीने पहले ही हुई थी, अब रिश्ता टूटने के मोड़ पर पहुंच चुका था।

टीना ने मां बाप की बात मानकर शेखर से शादी की थी।

टीना ने बहुत कोशिश की इस रिश्ते को बचाने की,

पर इस रिश्ते को बचाते बचाते टीना खुद घुट रही थी।

इतना की उसने आत्महत्या तक करने की सोच ली थी।

टीना की मां ने एक रोज टीना को फोन किया -" बेटा। तुम तो बिल्कुल ही भूल गई मां पापा को। इतने दिन से फोन क्यों नहीं किया । "

टीना की सहनशक्ति अब जवाब दे चुकी थी इसलिए वो मां के सामने रो पड़ी पर फोन काट दिया।

टीना की माता, राधा जी ने बार बार फोन किया पर नंबर बंद आ रहा था।

इसलिए परेशान होकर शेखर के नंबर पर फोन किया -" बेटा। सब ठीक है? टीना का फोन नहीं मिल रहा।"

शेखर ने तिलमिलाते हुए जवाब दिया -" अपनी चरित्रहीन लड़की मेरे पल्ले बांध कर पूछ रहे हो , सब ठीक है क्या।"

राधा जी से शेखर की ये बात सहन नही हुई, वो तुरंत अपनी बेटी की ससुराल पहुंच गई।

वहां किसी को इस बात का अंदेशा नहीं था की राधा जी इस वक्त ही आ जायेंगी।

शेखर और उसकी मां हाल में बैठे हुए थे।

राधा जी को देखकर मां बेटा दोनो हैरान रह गए।

शेखर की मां ने इशारा किया और शेखर राधा जी की पैर छुने के लिए उनकी तरफ बढ़ा ।

राधा जी ने दूर से ही उसे रोक दिया और कहा -"पहले मैं अपनी बेटी से मिलूंगी।"

शेखर ने सीढ़ियों की तरफ इशारा किया और राधा जी सीढ़ियों से होते हुए टीना के कमरे में पहुंच गई।

पूरा कमरा फैला हुआ था और टीना सोफे पर लेटी हुई थी।

मां ने टीना को पुकारा तो टीना मां को देखकर हैरान रह गई ; दौड़ते हुए मां के गले मिलकर खूब रोई।

राधा जी ने अपने पर्स से पानी की बोतल निकालकर बेटी को दी और कहा -"बेटा तुम चिंता मत करो। तुम खुद को संभालो। मेरे साथ घर चलो वहां आराम से बैठकर बात करेंगे।"

इतने में शेखर और उसकी मां भी कमरे में आ गए।

शेखर की माता , रौशनी जी ने कहा -"मां बाप बेटी को घर बसाने की सलाह देते है, यूं छोटी छोटी लड़ाइयों पर उसे मायके नही ले जाते।"

राधा जी ने कहा -"मायका है कोई कोर्ट कचहरी तो नही। जहां जाने से बेटी का घर नहीं बसेगा।"

मेरी बेटी की इस हालत को देखकर भी मैं आपसे कोई सवाल नही कर रही , इसी को मेरा अहसान समझिए।

इतने में शेखर बोल पड़ा -" हां सवाल किस हक से पूछेंगी। आपको तो मालूम ही होगा आपकी बेटी के बारें में।"

राधा जी ने गुस्से को काबू करते हुए कहा -" हां मुझे पता हैं अपनी बेटी का। वो सहती रहेगी पर अपने मां बाप से कुछ नही कहेगी।

पर तुम किसी गलतफहमी में मत जीना।

बेटी ब्याही है बेची नहीं है की इसे जिस भी हाल में रखोगे तो कोई पूछने नही आएगा।"

रौशनी जी ने बेटे को नीचे जाने को कहा और बोली -" देखो। मियां बीवी का मामला है। जब आपकी बेटी अपने पति को ही; छूने से रोकेगी तो मर्द तो सोचेगा ही कि किसी दूसरे मर्द का चक्कर है।"

राधा जी ने रौशनी जी की बात सुनी और सोफे पर बैठ गई।

बस एक टक अपनी बेटी को देखती रही।

तभी रौशनी जी ने कहा -" देखा। अब आप ही बताइए इस दिन के लिए ब्याह किया था क्या जब खुद के आदमी को ही खुश नहीं रख सकती।"

राधा जी ने बेटी के सिर पर हाथ फेरा और रौशनी जी को रास्ते से हटाते हुई नीची चली आई।

रौशनी जी भी पीछे पीछे आई।

टीना को लगा की मां भी दूसरी औरतों की तरह मुझे ही गलत मान रही हैं और मुझे अपने साथ लिए बिना ही चली गईं।

टीना भी मां के पीछे पीछे नीचे उतर आई।

राधा जी ने सोफे पर बैठे हुए शेखर के गाल पर एक जोरदार तमाचा लगाया।

उसे गले से पकड़कर बोली -"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी को उसकी मर्जी के बिना छूने की।"

रौशनी और टीना ने राधा जी को पीछे हटाया।

रोशनी और टीना दोनो ही हैरान थे की ये क्या हो गया।

टीना मां के गले मिलकर खूब रोई।

राधा जी ने कहा "- रो मत बेटा। शादी करवाने का मतलब ये नही की तुमसे अब हमारा कोई रिश्ता नहीं।

तुम मेरे साथ चलो।

इससे तो अब कोर्ट में मिलेंगे।"

शेखर ने कहा-" मुझे माफ कर दो टीना। तुम्हे तो मालूम है मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं। उस दिन शराब के नशे में मुझसे गलती हो गई।"

टीना ने उसको पीछे हटाया और मां के पीछे खड़ी होकर कहा -" मैं तंग आ चुकी हूं माफ करके। अब और नही मां।"

राधा ने शेखर को कहा -" तुम आदमी क्या समझते हो शादी हो गई तो इसके शरीर, खुशी, सपने सबको तुमने खरीद लिया क्या।

जब मन करे इसे कागज की तरह तरोड़ मरोड़ दिया।

तुम क्या सोचते हो कोर्ट जाएंगे तो हमारी ही बदनामी होगी इस डर से तुम जैसे जानवर के पास छोड़ दे अपनी बेटी को।

शेखर ने कहा -" तो आप क्या किसी और से शादी नहीं करवाएंगी क्या इसकी। वो भी तो आदमी ही होगा। फिर यूंही तलाक ही करवाती रहेंगी क्या !"

राधा जी -" तुम अपनी फिक्र करो। तुम तिरस्कार को सहन ही नहीं कर सकते। शादी से पहले कोई लड़की मना कर दे तो एसिड से उसका चेहरा जला देते हो। बीवी मना कर दे तो उसे चरित्रहीन बता देते हो।"

अब गया वो ज़माना जब मां बाप बेटी को सिखाते थे की डोली विदा की है अर्थी ससुराल से ही उठे।

मेरी बेटी जिएगी। मैं दूंगी उसका साथ।

और जरूर करेगी वो तुम्हारे जैसे जानवर का तिरस्कार। !

राधा जी ने अपनी बेटी टीना का सामान पैक करवाया और अपने साथ ले आई।

कोर्ट में तलाक का मामला चल रहा है...।

#दोस्तों। समाज के बनाए खोखले रिवाज और बंधन, बदनामी का डर; को अपनी बेटी की जिंदगी से बड़ा मत बनाओ।

आओ बदलाव लाएं बेटी का साथ निभाएं !


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy