Anita Bhardwaj

Classics Inspirational

4.5  

Anita Bhardwaj

Classics Inspirational

मां का आशीर्वाद

मां का आशीर्वाद

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"मेरी गलती थी की अपने असल ईश्वर को यूं नौकरों के भरोसे छोड़कर खुद तीर्थयात्रा पर चला गया।ईश्वर ने भी मुझे नकार दिया।मुझे माफ कर दो मां।" - रौशन से अपनी माता, कावेरी जी से कहा।

रौशन कावेरी जी का इकलौता बेटा था, रौशन जब छोटा थी, तब ही रौशन के पिताजी शहीद हो गए थे। कावेरी जी ने बड़ी ही मुश्किलों से रौशन को पाला।

उसे कभी पिता की कमी महसूस नहीं होने दी।

रौशन अब एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर बन गया है।

मां को अपनी तपस्या का फल सामने देखकर बड़ी ही खुशी होती।

मां का सपना था की जब रौशन अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा तो वैष्णो माता के दर्शन के लिए जाएंगी।

पर रौशन की नौकरी के बाद , रौशन को छुट्टी नहीं मिल पा रही थी।

कंपनी के दोस्तों के साथ रौशन को भी बुरी संगत की हवा लग चुकी थी।

मां को हमेशा डर रहता की कहीं मेरी सारी तपस्या बेकार ना जाए।

मां ने रौशन को कहा-"बेटा 2 दिन ऑफिस से छुट्टी लेकर मुझे दर्शन कराने ले चलो।"

रौशन ने कहा -" मां! अभी ऑफिस में बहुत काम है। मैं छुट्टी नहीं ले पाऊंगा।"

रौशन अब मां की अधिकतर बातों को अनसुना ही करने लगा।

रौशन एक दिन ऑफिस की पार्टी के बाद बहुत लेट घर आया, मां को पता चला की रौशन को अब नशे की लत भी लग चुकी थी।

कावेरी जी दिन रात रौशन की चिंता में घुली जा रही थी।

एक दिन उनका ब्लड प्रेशर बहुत कम हुआ और वो सीढ़ियों से गिर पड़ी।

रौशन भी ऑफिस गया हुआ था , थोड़ा देर बाद जब काम करने वाली घर आई तो कावेरी जी को उठाया ।

उनको 2 दिन हॉस्पिटल में भी रहना पड़ा।

रौशन को अब मां की चिंता होने लगी, उसने मां की देखभाल के लिए एक और काम वाली का प्रबंध किया।

कावेरी जी ने मना भी किया पर रौशन नही माना।

कावेरी जी ने कहा -"बेटा! मुझे मेरा पहले वाला रौशन वापिस लौटा दे, मैं अपने आप ठीक हो जाऊंगी।"

रौशन ने कहा -" मां! मैं तुम्हारा ही बेटा हूं! ऑफिस के काम के अलावा दोस्तों को भी वक्त देना पड़ता है वरना वो बात तक नहीं करते। अब बिना बात किए किसी जगह काम करना आसान तो नही।"

कावेरी जी ने कहा -" बेटा! यारी दोस्ती वही अच्छी होती है; जो बुरे वक्त में काम आए। जो आपको ही बुरा बना दे ऐसी दोस्ती को छोड़ देना ही सही है।"

रौशन ने कहा-" मां तुम चिंता मत करो। ऐसा कुछ नही होगा!"

रौशन की कंपनी के दोस्तों ने वैष्णो देवी जाने का प्लान बनाया।

रौशन को भी चलने के लिए मना लिया।

रौशन को समझ नही आ रहा था की मां को क्या कहूंगा; मां भी तो इतने दिन से माता के दर्शन के लिए बोल रही थी।

रौशन ने घर जाकर मां से कहा -"मां तुम काम वाली को 2 दिन यहीं रुकने को बोल देना। मुझे ऑफिस के काम से 2 दिन बाहर जाना पड़ेगा। "

कावेरी जी ने बेटे का माथा चूमा। कितनी ही मन्नतें मांगी की वो सही से पहुंचे और जल्दी वापिस आए।

ये पहली बार था की उनका बेटा उन्हें यूं अकेला छोड़कर कहीं जा रहा था।

रौशन के दिल में शर्मिंदगी थी पर दोस्तों की बातों में आकर मां को भूल गया था; और मां की बीमारी को भी।

रौशन और उसके दोस्त कार से जम्मू तक पहुंचे।

वहां से अंदर जाने की अनुमति के लिए कोविड टेस्ट करवाना अनिवार्य था।

रौशन के दोस्तों को इस बात का पता नही था, तो सबको टेस्ट की पंक्ति में खड़ा होना ही पड़ा।

रिपोर्ट आई और पता चला की रौशन कॉविड पॉजिटिव है।

अधिकारियों ने गाड़ी को आगे जाने की अनुमति नहीं दी

रौशन के दोस्तों ने अपनी तरफ से जुगाड लगाने की भी कोशिश की पर असफल रहे।

सब लोगों को वापस आना पड़ा।

रौशन पूरे रास्ते सोचता रहा की मुझे न इतना ज्यादा है, ना कोई और लक्षण।

बस मौसम की तब्दीली की वजह से रास्ते में हल्का जुखाम हो गया था।

फिर कॉविड पॉजिटिव कैसे।

उसका दिल बार बार उसे यही कह रहा था कि मां का दिल दुखा कर, मां से झूठ बोलकर ; भगवान की पूजा करो तो भगवान भी आशीर्वाद नही देते।

और आशीर्वाद मिलना तो दूर , रौशन को तो दर्शन तक नहीं नसीब हुए।

घर पहुंचा।

उसको देखकर मां परेशान हो गई, 2 दिन का बोलकर इतनी जल्दी क्यों आ गया।

रौशन आते ही मां के पैरों में पड़ गया।

मां मुझे माफ कर दो।

मैंने तुम्हारा दिल दुखाया, तुमसे झूठ बोला ।

तुम्हे यूं बीमार छोड़कर, दोस्तों के साथ चला गया।

देखो देवी मां ने अपने दर्शन तक नहीं करने दिए मुझे।

कावेरी जी बेटे को यूं परेशान होते देखकर बोली "- बेटा कोई बात नही। दर्शन करने जा रहे थे तो बताकर चले जाते । मेरा तो सपना ही था कि तुम एक दिन माता के दर्शन के लिए जाओ!"

मां मुझे कॉविड हो गया, आगे जाने से अधिकारियों ने मना कर दिया।

कावेरी जी भी परेशान हो गई।

दोबारा टेस्ट करवाया, अगले दिन रिपोर्ट मिली तो पता चला मौसम बदलने से थोड़ा बुखार और जुखाम था, इसलिए इंस्टेंट टेस्ट में पॉजिटिव रिजल्ट निकला था।

रौशन को खुशी हुई की वो ठीक है।

उसने ऑफिस से छुट्टी ली और मां के साथ माता दर्शन के लिए जाने का प्लान बनाया।

एक हफ्ते बाद की टिकट बुक करवाई।

और माता जी के दर्शन करके आया।

दोस्तों।

ये एक सच्ची घटना है।

ईश्वर का असली रूप हमारे मां बाप है। जब तक वो खुश नहीं होंगे ईश्वर भी अपना आशीर्वाद नही देते।

इंसान कितना मर्जी अपने दिमाग से चले पर विधाता की मर्जी के आगे वो आज भी बेबस है।


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