राधा और श्याम
राधा और श्याम
यूं तो राधा को हमेशा ही अपने नाम से शिकायत रही की उसका नाम राधा क्यों रखा।फिर भी उसे मां समझाती रही की बेटा राधा नाम होने का मतलब ये नही की तुम्हारा प्रेम भी अधूरा ही रह जाएगा।फिर भी राधा ने जबसे यौवन में कदम रखा उसे लगता था की राधा नाम कहीं न कहीं उसकी किस्मत को राधा सा विरह ही न दे दे।जब कॉलेज गई तो उसकी सहेलियों ने भी उसे उसके नाम से खूब छेड़ा।राधा सचमुच थी भी बेहद खूबसूरत ।भूरी भूरी हिरनी सी आंखें, सुराही सी गर्दन,लंबे काले बाल।राधा को देखकर कॉलेज के सभी लड़के उससे दोस्ती करना चाहते थे परंतु राधा का वही डर उसे किसी से भी बात करने को रोक देता था।
यूंही चलता रहा और कॉलेज में हिंदी के नए अध्यापक आए केशव सर!!उनकी उम्र ज्यादा नहीं थी, यही कोई 32 33 साल के ही थेसभी लड़कियां और कॉलेज की अध्यापिकाएं केशव जी के व्यक्तित्व से प्रभावित थी।एकदम शांत, विनम्र, बहुत ही सुलझा हुआ व्यक्तित्व।राधा की एक सहेली ने उसे छेड़ा-"देख तेरा श्याम आ गया , अपनी राधा को ले जाने। जल्दी से इसको अपना वर बना ले, वर्ना बहुत सी गोपियां पंक्ति में हैं। ऐसा न हो ये श्याम भी किसी रुक्मणि का हो जाए!!"
राधा भी केशव की तरफ एक अजीब तरह का आकर्षण महसूस करती थी।केशव ने भी महसूस किया की सभी लड़कियां उसको रिझाने के लिए कुछ न कुछ प्रयास करती रहती हैं पर राधा हमेशा उसको देखकर रास्ता बदल लेती थी।एक दिन हिंदी की कक्षा में संवाद पढ़ाते हुए केशव ने राधा को कहा -"राधा संवाद विधा क्या होती है, क्या सबको समझा पाओगी कोई उदाहरण देकर!!"राधा थोड़ी सी हिचकी क्योंकि जैसी ही केशव ने राधा का नाम लिया उसकी सहेलियां उसे तिरछी निगाहों से देखने लगी!!
राधा ने ना में सिर हिला दिया!!
केशव ने कहा-" चलो! फिर आज राधा कृष्ण का संवाद पढ़ते हैं एक पंक्ति तुम पढ़ना , एक मैं पढ़ता हूं! बाकी बच्चे ध्यान से सुनेगे की कहां बोलने की लय, ताल, भाव बदला गया है। किस तरह से पढ़ा गया है । फिर एक एक करके सबको पढ़ना होगा!!"राधा ने पढ़ना शुरू किया, केशव ने पहली बार राधा की आवाज सुनी थी।उस आवाज को सुनकर उसे लगा की यही वो आवाज है जिसकी तलाश उसे थी।अब उसने पूरी कोशिश की और राधा का नंबर उसकी सहलियों से ले लिया!!
राधा को भी उससे प्रेम हो गया।कुछ दिन तक चली बातचीत दोनों के इकरार तक पहुंच गई!!अब राधा रोज केशव के कपड़ों से मिलते जुलते कपड़े पहनकर कॉलेज आने लगी।उसके गालों पर एक लाली छाई रहती और हिंदी की कक्षा का वक्त होते ही खुद को खुद में समेटने लग जाती।पढ़ाई में भी उसका ध्यान नहीं लग पा रहा था!!केशव ने राधा को मिलने के लिए कहा!!राधा की जिंदगी में पहली बार ऐसा हो रहा था की घर से कॉलेज के लिए निकली पर कॉलेज गई नही।
उसका दिल जोर से धड़क रहा था!! जाने कितने ही ख्याल आ रहे थे उसके मन में की कहीं कोई जानकर मुझे यहां देख न ले!मां को पता चला तो क्या करूंगी !!इस डर के बावजूद भी वो केशव से मिलने उसके फ्लैट पर चली गई।वहां पहुंचकर पहले उसने खुद को बाकी ख्यालों से आजाद किया!!केशव ने उसे अपने हाथों से पानी पिलाया!!राधा अपने आपको सातवें आसमान पर महसूस कर रही थी!!
फिर केशव ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींचकर गले लगा लिया!!राधा एकदम डर गई!! उसने बाकी चीजों के बारे में तो सोच लिया था पर इस बारे में तो सोचा ही नहीं!!एकदम सभ्य, सुलझा हुआ दिखने वाला केशव उसके अंदर छिपा था वो दानव जिसे बस उसके शरीर की जरूरत थी!!
राधा ने उसे धक्का देकर पीछे किया और कहा -"आप मेरे टीचर हो , मुझे प्यार करते हो!! मेरे साथ ये सब करने का कैसे सोच सकते हो!!"
केशव को तिरस्कार बिल्कुल सहन नही हुआ उसने राधा के बालों को जोर से पकड़ा और कहा-" ज्यादा सती सावित्री न बनो!! तुम्हे नहीं पता लड़का लड़की अकेले कमरे में क्यों मिलते हैं। "राधा को विश्वास ही नहीं हो रहा था की जिसे वो श्याम समझा प्रेम कर रही थी वो तो कलयुग का दानव है।"राधा चिल्लाई और संयोग से उसकी आवाज नीचे मकान मालकिन ने सुनी और राधा को बचाया।राधा ने उसे प्रार्थना की की किसी को न बताए वरना उसके माता पिता उसे जिंदा मार देंगे।मकान मालकिन ने उससे वादा लिया की आइंदा किसी भी लड़के से ये प्रेम संबंध जैसे फिल्मी काम नहीं करेगी।
ये काम फिल्मों और किताबो के हैं , असल में तो आदमी सिर्फ औरत पर हक चाहता है उसे प्रेम नही दे सकता!!राधा हमेशा खौफ में रहती उसने कॉलेज जाना भी बंद कर दिया था!!एक दिन किसी सहेली की शादी में उसे उसकी कक्षा का माधव मिला!
माधव उसी घर में रहता था जहां केशव ने कमरा किराए पर लिया हुआ था!!उसने राधा को कहा -"मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं!मुझे पता है तुम्हे बुरा लगेगा। पर मैं केशव वाले हादसे से तुम्हें बाहर निकालना चाहता हूं।"
राधा हैरान थी की उसे कैसे पता चला। वो और डर गई कहीं सबको तो नहीं पता चल गया!!उसने माधव के सामने हाथ जोड़े की अकेले में बात करते हों।
वो दोनो छत पर गए, जैसे ही माधव उसकी और बढ़ा उसने कहा दूर से बात करना वरना मैं छत से कूद जाऊंगी!!
माधव ने कहा-"दुनिया का हर आदमी केशव जैसा नहीं होता!! तुम उसकी सजा खुद को क्यों दे रही हो!! वो हमारा ही घर था इसलिए सिर्फ मुझे पता है। किसी को मैने आजतक पता नही चलने दिया की केशव को जेल क्यों हुई।"राधा हैरान थी!! केशव को जेल कैसे!!
माधव ने बताया कि उस दिन के बाद वो किसी और लड़की को भी घर लाया था और मां ने पुलिस बुला ली!!मैं तुम्हे स्कूल के वक्त से ही चाहता हूं, पर कभी कह नहीं पाया।क्योंकि तुम दूसरी लड़कियों से अलग थी, जो कभी किसी की जन्मदिन पार्टी तक में नही आईं।आज कह रहा हूं, राधा क्या तुम माधव को अपना जीवन साथी बनाओगी!!राधा जो प्रेम शब्द से नफरत करने लगी थी, उसे नही पता था ये क्या हो गया।वो तो स्वयं को राधा नाम होने पर अब भी कोसती रहती थी!!
उसने कोई जवाब नही दिया और दौड़कर नीचे चली गई!!कुछ दिन बाद राधा की मां ने बताया कि बुआ जी रिश्ते वालों को लेकर आ रही हैं।
अब कोई बात नही मानी जाएगी तुम्हारी!! चुपचाप हां कर देना!!लड़के वाले आए और राधा को बुलाया गया।राधा ने नजर तक ऊपर करके नही देखा और हां, ना में सिर हिलाती रही।फिर बुआ जी ने कहा -" लड़का लड़की को थोड़ी देर बात करने दो!"
दोनो छत पर गए, माधव घुटनो के बल बैठ गया और कहा -" राधा अब तो इस माधव को स्वीकार का लो!"राधा ने नजर उठाकर देखा और ये तो माधव ही है।जिसने प्रेम पर उसे फिर से यकीन करना सिखाया!!राधा की आंखों में खुशी के आंसू थे, आंसुओं को नीचे गिरने से पहले ही माधव ने अपना रुमाल उसे दे दिया!!माधव ने कहा चिंता मत करना ; मां को मैने सब बता दिया था उस दिन ही।वो खुश हैं तुम्हे बहू के रूप में पाकर!!
प्रेम कभी झूठा नही होता रहा, बस किरदार गलत चुन लिया जाता है।मेरा प्रेम सच्चा था, और तुम्हारा श्याम पर विश्वास ।देखो राधा को श्याम मिल ही गया!!दोनो ने नीचे आकर सबको हां की खुशखबरी सुनाई।।