भारतीय संविधान में महिलाओं की

भारतीय संविधान में महिलाओं की

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"आज का हमारा विषय है, भारतीय संविधान में महिलाओं की भूमिका।भारत में 26 नवंबर 1949 को निर्वाचित संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान अपनाया गया था। क्या आप जानते हैं इसे कब लागू किया गया था ?" 

" मुझे मालूम है,क्या मैं उत्तर दूं ? "रेणु ने पूछा।

"जरूर ,जरूर।"

"भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया और संविधान सभा में 389 सदस्य थे। "रेणु चहकी।

" संविधान निर्माता के रूप में डॉ बी आर अम्बेडकर के अलावा अन्य सदस्यों के बारे में हमें कम जानकारी है।चाचू ,कृपया कुछ और बताइए।"

"आपको जानकर आश्चर्य और गर्व होगा कि भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने में पंद्रह महिलाओं ने भी अपना अमूल्य योगदान दिया था।ये महिलाऐं थीं।

अम्मू स्वामीनाथन, दक्षिणानी वेलायुद्ध, बेगम एजाज रसूल, दुर्गाबाई देशमुख, हंसा जिवराज मेहता, कमला चौधरी,लीला रॉय, मालती चौधरी, पूर्णिमा बनर्जी, राजकुमारी अमृत कौर, रेनुका रे,

सरोजिनी नायडू,सुचेता कृपलानी,विजया लक्ष्मी पंडित,एनी मास्कारेन

अम्मू स्वामीनाथन

 इन्होंने 1917 में मद्रास में एनी बेसेंट, मार्गरेट, मालथी पटवर्धन, श्रीमती दादाभाय और श्रीमती अंबुजमल के साथ महिला भारत संघ का गठन किया। वह साल 1946 में मद्रास निर्वाचन क्षेत्र से संविधान सभा का हिस्सा बनीं।"

" चाचू ,24 नवंबर 1949 को संविधान के मसौदे को पारित करने के लिए महिलाओं को शामिल किए जाने पर उन्होंने कहा कि ‘बाहर के लोग कह रहे हैं कि भारत ने अपनी महिलाओं को बराबर अधिकार नहीं दिए हैं। अब हम कह सकते हैं कि जब भारतीय लोग स्वयं अपने संविधान को तैयार करते हैं तो उन्होंने देश के हर दूसरे नागरिक के बराबर महिलाओं को अधिकार दिए हैं।"शेफाली ने कहा।

"अब सुनें दक्षिणानी वेलायुद्ध के बारे में,वे 4 जुलाई 1912 को कोचीन में बोल्गाटी द्वीप पैदा हुईं। वे शोषित वर्गों की नेता थीं। साल 1945 में, उन्हें कोचीन विधान परिषद में राज्य सरकार द्वारा नामित किया गया । वे 1946 में संविधान सभा के लिए चुनी गयी पहली और एकमात्र दलित महिला थीं।"

 "चाचाजी,बेगम एजाज रसूल भी क्या विधान सभा की सदस्य थीं ?"

" हां,बेगम एजाज रसूल मालरकोटला के रियासत परिवार में पैदा हुईं। संविधान सभा की वे एकमात्र मुस्लिम महिला सदस्य थीं।

 1969 से 1990 तक वे उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य रहीं। 1969 से साल 1971 के बीच, वे सामाजिक कल्याण और अल्पसंख्यक मंत्री भी रहीं। 2000 में, सामाजिक कार्य में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।" 

"दुर्गाबाई देशमुख,के बारे में सुना था कि उन्होंने नमक सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया था ?"रंजन ने पूछा।

" सही सुना है,दुर्गाबाई देशमुख ने बारह वर्ष की उम्र में गैर-सहभागिता आंदोलन में भाग लिया और आंध्र केसरी टी प्रकाशन के साथ उन्होंने मई 1930 में मद्रास शहर में नमक सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया।1975 में, उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।" 

"हंसा जिवराज मेहता तो लेखिका थीं,राजनीति में उनका आना आश्चर्यजनक है।"रमेश बोला।

"हंसा एक सुधारक और सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ वह एक शिक्षिका और लेखिका भी थीं।" 

 "अब जाने कमला चौधरी के बारे में ,1930 में गांधीजी द्वारा शुरू की गई नागरिक अवज्ञा आंदोलन में उन्होंने सक्रियता से हिस्सा लिया।"

 "लीला रॉय ने 1947 में, पश्चिम बंगाल में एक महिला संगठन और भारतीय महिला संघ की स्थापना की। 1960 में, वह फॉरवर्ड ब्लॉक (सुभाषिस्ट) और प्रजा समाजवादी पार्टी के विलय के साथ गठित नई पार्टी की अध्यक्ष बन गईं।"

" मालती चौधरी राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल थीं उन्होंने सत्याग्रह के लिए अनुकूल वातावरण बनाने का काम किया।"

"पूर्णिमा बनर्जी इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी की सचिव थी। वे 1930 के दशक के अंत में स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे आगे थीं। उन्हें सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी भागीदारी के लिए गिरफ्तार किया गया ।"चाचाजी ने कहा।

" बच्चो, शेष सशक्त महिलाओं की चर्चा हम कल करेंगे।आज मुझे किसी आवश्यक कार्य से बाहर जाना पड़ रहा है। आज के लिए इतना ही।"

"धन्यवाद, चाचा जी।


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