हाॅन्टेड कैमरा
हाॅन्टेड कैमरा


"माँ मुझे वो डिजिटल कैमरा चाहिये" ,ईशिका बोली।
जैसे वो कैमरा आकर्षित कर रहा हो उसे।
"ओहो इस लड़की को ना बचपन से ही भीड़ से अलग चीजें पसंद आती है, दिखाना भईया जरा वो कैमरा, कितना पुराना लग रहा है", रौशनी ने कैमरे को हाथ में लेकर उलट-पलट कर बोला।
" मैम, वाकई दाद देनी पड़ेगी आपके बेटी के पैनी नज़रों कि, सच में ये कैमरा भीड़ से अलग एक एंटिक और एकलौता पीस है ", दुकानदार ने ये बोल कर ईशिका के कैमरे कि ज़िद को और तीव्र कर दिया।
"अच्छा बाबा ले लो", राहुल के जाने के बाद आखिर था ही कौन रौशनी कि दुनिया में, बस ये 13 साल कि बच्ची।
ईशिका खुश हो गयी, उसे क्या पता था कौन सी मनहूसियत ला रहे थे वो घर।
"आप भी कुछ ले लो माँ" रौशनी ने कहा।
"सच राहुल के जाने के बाद जो तुमने खुद को, ईशिका और मुझे संभाला है वो वाकई काबिले तारीफ है",आशा देवी ने कहा।
"माँ सब आपके और माता रानी के कृपा से हुआ है", रौशनी ने कहा।
नवी मुंबई के खारघर में उनका फ्लैट था, दो बेडरुम का अपार्टमेंट था। खुशहाल जिन्दगी थी। रौशनी कि मल्टी नेशनल कंपनी में जाॅब थी।
"अंकल स्माईल", ईशिका ने सुरेश अंकल कि फोटो ली।
"अरे स्कूल से आयी नहीं कि मस्ती शुरु", रौशनी ने ईशिका को डांटा।
सुरेश अंकल को स्माइल देकर ईशिका कैमरे के साथ अंदर चली गयी।
एक दिन रौशनी माँ से पूछ कर कैमरा स्कूल मे ले जाती है और अपने दोस्त, स्कूल, पार्क, बस और ड्राइवर कि बहुत सी फोटो निकालती है।
कुछ दिन बाद जिस अंकल कि उसने फोटो निकाली थी, उनके मौत कि खबर आती है।
"बहुत अच्छे अंकल थे वो माँ, मुझे चाॅकलेट देते थे, क्या हुआ था उनको"? ईशिका ने दुखी होते हुये पूछा।
"रोड एक्सिडेंट में मारे गये बेटा, गाड़ी पेड़ से टकरा गयी थी",अच्छा चलो सो जाओ काफी रात हो गयी है",रौशनी ने कहा।
थोड़े दिन बाद एक और मौत होती है ईशिका के करीबी दोस्त कि, छत से गिर के मर जाती है। इससे ईशिका सदमें में चली जाती है।
खोयी खोयी सी रहने लगती है।
"चलो ईशिका ऐसै कैसै चलेगा थोड़ा घूम के आते हैं", एडलब इमाजिका(झुलो का शहर) चलेंगे, तुम हरदम जाना चाहती थी ना वहाँ", रौशनी चमकते हुये आंखों से ईशिका को बहलाने कि कोशिश करती है।
बुझे मन से ईशिका तैयार होती है, साथ में दादी भी होती है।
एडलब मे ईशिका 2-3 झुले पर बैठती है फिर दादी और मम्मी के साथ फोटो खिंचाती है और थोड़ा अच्छा फील करती है।
घर आने के बाद, " फोटो डालो माँ लैपटॉप में, फोटो देखेंगे", ईशिका चहकती हुयी बोली, खुशी से वो भूल ही गयी थी अपने दोस्त को।
माँ, ईशिका और रौशनी फोटो देखते हैं, कुछेक फोटो में किसी-किसी के चेहरे विकृत लग रह थे।
अरे ये घोड़े, आईने के सामने औरत, घड़ी, हॉस्पिटल में लड़की कि फोटो तो मैने ली ही नहीं ये कैसे आये और तो और इसमे अंकित तारीख भी कितने पुराने है",ईशिका हैरान होते हुये बोली।
"तुम्हें ही बड़ा शौक था भीड़ से अलग चीजें लेने का लगता है कैमरे का प्राब्लम है, कल दिखाऊंगी दुकानदार को" रौशनी बोली।
रौशनी सोने तो गयी पर उसको नींद नहीं आयी, बहुत कुछ चल रहा था उसके दिमाग में।
सबके सोने के बाद उसने लाॅपटॉप खोल के फिर से सारे फोटो देखें।
ये क्या जिनके चेहरे विकृत थे वो सुरेश अंकल, ईशिका कि करीबी दोस्त, बस ड्राइवर (जो कुछ दिन पहले ही मरे थे), ईशिका से रौशनी ने ये बात छिपायी थी क्योंकि वो बस ड्राइवर ईशिका को बहुत मानता था, ईशिका पहले से दोस्त के मौत के ग़म में थी, रौशनी ने बस डाईवर बदल गया है इतना कहकर ईशिका को भरमा दिया था।, और ईशिका कि पिक थी।
"ओह नो", रौशनी कि चीख सी निकल गयी।
रौशनी ने सबके मरने का पैर्टन जोड़ा सब कि मौत अचानक हुई थी और फोटो खिंचने (फोटो में तारीख अंकित होता है ) के 15-15 दिन बाद ,यानी अब ईशिका कि बारी थी।
रौशनी के पास अब सिर्फ 15 दिन था।
वो सुबह फटाफट उठी, कुछ कपड़े, जरूरी सामान और वो कैमरा रखा और आशा देवी का आशीर्वाद लिया, ईशिका को जी भर कर देख के चूमा और बोली, "माँ मैं एक काम से बाहर जा रही हुं, 15 दिन लग जाऐंगे, आपलोग चिन्ता मत करना और हां जरूरत हो तो फोन कर लेना।
रौशनी ऐसे कई बार आँफिस के काम से जा चुकी थी।
वो पुलिस के पास भी नहीं गयी क्योंकी वक्त बहुत कम था उसके पास।
रौशनी फटाफट जाती है उस दुकानदार के पास जहाँ से उसने कैमरा लिया था।
"सर ये है बिल क्या आप मुझे बता सकते हैं, ये कैमरा आपने कहाँ से लिया था", रौशनी बोली।
"अब दिन भर में कितने कैमरे बिकते है किस-किस का हिसाब रखें", दुकानदार चिढ़ कर बोला।
"प्लीज ये ज़रुरी है जानना", रौशनी ने हाथ जोड़ते हुये कहा।
दुकानदार मामले कि गंभीरता समझते हुये, लाॅपटॉप पर देखता है और एक कागज़ में कुछ लिखता है।
"ये है वो पता", दुकानदार वो पर्ची रौशनी को दे देता है।
"धन्यवाद सर", रौशनी बोल के चल दी।
ये दूर हिमाचल के किसी गांव का पता था।
रौशनी बस पकड़ लेती है और सुबह वहाँ पहुँचती है।
"ये कैमरा आपके यहाँ का है"? रौशनी फैक्ट्री के मैनेजर से पूछती है।
मैनेजर डिटेल देखता है और बोलता है, "मैम बना तो यहीं है, पर इसका लेंस बहुत अलग था और किसी पुरातत्व वाले से लिया था मैने, ऐसा कैमरा एक ही बना था।"
"वो पुरातत्व वाले का नम्बर दिजिये प्लीज" ,रौशनी ने कहा।
बहुत ढूढने पर उसका नम्बर मिला, उसने बोला, "देख लो चालू हो तो दूसरा कोई नम्बर नहीं है मेरे पास।"
रौशनी ने नम्बर मिलाया, "हैलो..... हैलो...मि. हैरी? क्या आप मुझे सुन सकते हैं"?
"बोलिये",ऊधर से आवाज़ आयी।
"वो जो लेंस आपने मि. जैन को बेची थी, मुझे उसके बारे में जानना है",रौशनी ने बोला।
ये सुनते ही नम्बर कट हो गया, फोन स्वीच आफ हो जाता है।
रौशनी का काफी अच्छा दोस्त होता है पुलिस में।
वो उसको फोन मिलाती है", "हैलो राजीव।"
"हाय, कैसी हो रोशनी", राजीव पूछता है।
"वो सब छोड़ो एक नम्बर नोट करो फटाफट", रौशनी बोली।
"बोलो", राजीव बोला।
"0652467894 इस नम्बर के बारे में पता करो और जल्दी करना हां", रौशनी बोली ।
अगले दिन होटल में रौशनी का फोन बजता है।
"ये नम्बर कंचनपुर नाम के छोटे गांव का है जो उतराखंड राज्य में है, किसी मिस्टर हरि सिंह का", राजीव बोला।
रौशनी कुछ सोचते हुये बोलती है, " थैंक्स।"
"कोई और हेल्प चाहिए तो बोलना वैसै तुम हो कहाँ आजकल?" राजीव ने पूछा।
"मैं एक बहुत बड़े प्राब्लम में हूँ यार, थोड़े दिन में मिल कर बताती हूँ, थैंक्स", कहकर रौशनी ने फोन काट दिया।
रौशनी बस पकड़ के आई। कंचनपुर एक छोटा कसबा था इसलिये वहां मि. हैरी, लेंस वाले का पता लगाना मुश्किल नहीं था।
"सर प्लीज बता दो वो लेंस आपको कहां मिली, ये मेरे बच्ची के जिंदगी का सवाल है", रौशनी गिड़गिड़ायी।
"लेंस के पते तक पहुँचना मौत के मुंह मे जाना है", मि. हैरी बोले।
"बिना मेरी बच्ची के मैं जी के भी क्या करूंगी, उसके साथ बहुत कुछ अजीब हो रहा है", रौशनी रो-रो के हरि को सब बातें बता दी।
"तो सुनो ये लेंस मैन एक बहुत अमीर कपड़ों के कारोबारी राजेश से ख़रीदा था, पर उनके कैमरे का ये लेंस था, उनहोंने मुझे फोन करके बुलाया था, क्योंकि मुझे अलग- अलग तरह के लेंस जमा करने का शौक था। राजेश जी यहां से सौ किलोमीटर दूर एक छोटे शहर में रहते हैं, धीरे मेरे साथ भी यही सब घटनाएँ होने लगी थी जो तुम्हारे साथ हुई है, मेरी बेटी भी इसका शिकार हो गयी थी, तो ये लेंस मैने बेच दिया, हां उनके बीवी कि मौत हो चुकी है, कैसे और कब हुई, ये मुझे नहीं पता पर बीबी का नाम कामिनी था, अपने इलाके के रईसों में से एक थे ये कभी", मि. हरि ने एक ही सास में सब कह डाला।
"पर बच के जाना मेरी बच्ची, ये माता रानी के चरणों का फूल लेती जा",हैरी ने रौशनी को चेताया।
आज 13 वां दिन था, तभी आशा देवी का फोन आया कि ईशिका कि तबियत अचानक बिगड़ रहीं है, 2 दिन से फिवर नहीं जा रहा।"
"ख्याल रखो उसका बस कुछ दिन कि बात है", कहकर रौशनी ने फोन कट कर दिया।
रौशनी दौड़ पड़ी अखबार वाले के यहाँ, " क्या आप बता सकते हैं ये कामिनी देवी कि मौत कि खबर कब आयी थी और कैसे मरी वो??
रौशनी राजेश से मिलने के पहले अपने से सच पता लगाने कि कोशिश कर रही थी, क्योंकि क्या पता
राजेश कुछ बताये या नहीं और मि. हरि ने बोला भी तो था सीधा राजेश के पास जाना खतरनाक हो सकता है, इसलिए वो सब कुछ खुद पता लगा रही थी।
नाम सुन के ही अखबार वाला घबरा गया पसीने पोंछ के घबराते हुये बोला, "क.. क.. क्यों जानना है आपको" ?
मुझे जानना है कहते हुये उसने अखबार वाले के सामने 1000 का नोट रख दिया।
"मैम लोग बोलते है कामिनी देवी कि चीख अभी भी गुंजती है पहाड़ी वाली हवेली पर, मैने भी सुना था एक बार जब उधर से गुजरा था, बहुत से मिडिया वाले गये पता करने पर सब के सब कि लाश मिलती हैं अगले दिन। यहाँ तक कि जो उनके पति राजेश से भी कुछ पूछने जाता है वो भी जिंदा नहीं बचता। 1970-72 के आस-पास मरी थी वो जहाँ तक मुझे याद है,क्योंकि इस शहर कि नामचीन हस्तियों में से एक थे, काफी चर्चित मौत थी, पर लैपटॉप में ई-पेपर नहीं है, वो आपको स्टोर में ढूंढना पड़ेगा जो कि काफी मुश्किल...." अखबार वाला कुछ कहना ही चाहता है कि
रौशनी 1000 रू और रख देती है उसके सामने।
"बिल्कुल मुश्किल नहीं है, रागिनी जाओ मैम कि मदद कर दो", अखबार वाले ने कहते हुये झट से पैसे जेब में रख लिये।"
रौशनी बहुत पेपर ढूंढती है और थक कर वहीं सो जाती है, अचानक राहुल सपने में आ कर उसके सर पर हाथ फेरता है और बोलता है, मैं तुम्हारे साथ हूँ रौशनी।
रौशनी फिर से पेपर देखती है और वो पेपर मिल जाता है। उनकी भी मौत अचानक सीढ़ियों से गिर कर हुई होती है, ठीक साढे दस बजे रात में, 10 जून 1970 को, ईशिका के हाॅन्टेड कैमरे मे जो कामिनी देवी के फोटो मे अंकित तारीख थी उसके ठीक 15 दिन बाद।
मतलब कामिनी के मौत के पीछे भी ये कैमरा ही था, राजेश से मिलना पड़ेगा फिर तो", रौशनी खुद में बुदबुदायी।
गांव के लोग राजेश का पता पूछने पर बताने से कतराते थे, एक तो नाम सुन कर ही भाग गया, दूसरे ने डरते डरते थोड़ा बताया,"हाँ है एक राजेश एक शहर में।"
दो कि हिम्मत देख तीसरा बोला ,"आज तक तो कोई आया नहीं इनसे मिलने, आप क्यों आई हो?" वो रहस्यमयी हैं बहुत, उनकी बेटी, बीबी अजीब तरीके से मर गये थे कम उमर में ही, दोनों कि पहाड़ी वाली हवेली से चीखें आती है अभी भी, रोज राजेश उस पहाड़ी पर दिन मे एक बार जरूर जाता है, झोले में कुछ लेकर चाहे गर्मी हो या बरसात, पर कोई उसको टोकता नहीं हैं, टोक दिया तो अगले दिन से वो गांव में दिखता ही नहीं है। कई लोग बोलते हैं राजेश काला जादू जानता है। हम लोग तो अब ऐसे ही जीने के आदी हो गये हैं बिटिया, राजेश कभी बहुत पैसे वाला था और उससे शहर वालों को कोई परेशानी भी नहीं है, इसलिए हमने उसको कभी कुछ नहीं पूछा, खुद किस्मत का मारा है बेचारा, ना कोई आगे ना पीछे।
"क.. क.. कौन, एक बुजुर्ग ने अपना चश्मा ठीक करते हुये दरवाज़ा खोला, वो राजेश था।
"मैने पहचाना नहीं आपको ", राजेश बोला।
रौशनी ने अपनी आपबीती सुनाई और रोने लगी बोली आप ही बचा सकते हैं मेरी बेटी को बस 1 दिन और बाकी है।
" चली जाओ, चली जाओ यहाँ से", कहते हुये राजेश ने रौशनी के मुंह पर दरवाज़ा बंद कर दिया।
पर रौशनी उनके घर के बाहर ही रात भर टीकी रही।
अगले दिन राजेश ने दरवाज़ा खोला तो रौशनी को वही बैठा देखकर उसका दिल पिघला और बोला, "अरे तुम अभी तक गयी नहीं।"
" कैसे जाऊँ बिना मेरे बच्ची के मैं जी कर भी क्या करूंगी", कहकर रौशनी कि आंखे छलछला गयी।
राजेश रौशनी को अंदर बुलाया, चाय दी और कहा," सुनो कामिनी मेरी दूसरी बीवी थी वो बहुत सुंदर थी और घंटो मेज पर शीशे के सामने बैठ के सजना उसे अच्छा लगता था, घोड़े उसे बहुत पसंद थे, पहली बार हम दोनों डरबी के मैदान में मिले थे, वो बेबाक अदा, कातिल आंखे, गोरा बदन कोई भी पिघल जाता", कहते हुये राजेश अतीत के यादों में खो सा गया, तभी रौशनी के आवाज़ ने उसकी तंद्रा तोड़ी।
"ये ही है ना कामिनी देवी", रौशनी ने फोटो दिखायी।
" हाँ, मुझे पता है तुम्हें ये सब फोटो उसी कैमरे से मिली है। मेरी पहली बीवी रागिनी बहुत पैसे वाली थी, कैंसर से मर गयी, उसी से मुझे एक बेटी थी "जिया" , रागिनी की सारी जायदाद जिया के नाम पर था। जिया माँ के मौत के बाद काफी सहम गयी थी, मैने सोचा इसे माँ के प्यार कि जरुरत है और कामिनी मुझे पसन्द भी थी, सो मैनें दूसरी शादी कर ली।"
"ये जिया है क्या", हाॅस्पिटल वाली लड़की कि फोटो दिखाकर रौशनी ने पूछा।
" हाँ यही है मेरी बच्ची, और ये हमारे हवेली कि घड़ी है, ये कामिनी का पसंदीदा घोड़ा ऐलेन", राजेश बाकी के फोटो देखकर बोला। मेरे पीछे से कामिनी मेरी बेटी को बहुत मारती थी ,जुल्म करती थी, धीरे-धीरे जिया मानसिक रोग से ग्रसित हो गयी। मुझसे कुछ बोलने पर कामिनी उसे जान से मारने कि धमकी देती थी, और मैं अपने काम और कामिनी में इतना व्यस्त था कि जिया को भूल ही गया था। एक बार उसने जिया को बेल्ट से इतना मारा कि उसको सांस लेने मे दिक्कत होने लगी, वो मुझसे ना बोल दे इस डर से कामिनी ने उसका आक्सीजन निकाल कर उसको हॉस्पिटल में ही मार दिया। पर मेरे नौकर रामसिंह ने मुझे सब बता दिया, मैं अफसोस के अलावा कुछ ना कर सका। एक बार उसने जिया के कैमरे से फोटो निकाली तो फोटो विकृत आयी। उसके ठीक 15 दिन बाद कामिनी सीढ़ियों से गिर गयी", राजेश ने बोला।
"और ये घड़ी में साढ़े दस का मतलब क्या है", रौशनी ने राजेश कि बात बीच मे ही काटते हुये पूछा।
" कामिनी ने रात के साढ़े दस बजे ही जिया को मारा था, इसलिए जिया कि आत्मा भी सबको साढ़े दस बजे रात को ही मारती है ", राजेश ने कहा।
ओह.. इसलिए सुरेश अंकल, जिया कि दोस्त और बस ड्राइवर तीनों रात में साढ़े दस बजे मरे थे, अचानक से सारा पैटर्न रौशनी के आंखों के सामने घूम गया।
"पर जिया कि आत्मा कामिनी को हवेली में ले आयी और मुझे सबको बोलने को कहा इनका दाह संस्कार हो गया, सबकी नज़रों में कामिनी मरी हुयी है, पर कामिनी अभी भी जिंदा है, कामिनी ने सोचा था जिया को मारकर अपने बेटे को वारिस बनायेगी ,पर अब माँ बनना तो दूर वो हिल-डुल भी नहीं पाती है, उसका पीठ का हिस्सा सड़ गया है और उसमें बदबूदार घांव भी हो गये है, कामिनी जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है, कभी-कभी जोर जोर से चिल्ला के रातों में रोती है। जिया कि आत्मा उसको तरह-तरह से तंग करती है। अब जब जिया को मुक्ति मिलेगी, तभी कामिनी का कुछ होगा और तभी ये मौत का तांडव रूकेगा",राजेश जी सिसकते हुये बोले।
"मुक्ति कैसे होगी जिया कि, आखिर कोई तो उपाय होगा"?? रौशनी ने पूछा।
"उस हवेली में जिया के कुछ कपड़े हैं और ये कैमरा जला दो तो ही उसको मुक्ति मिलेगी जो काफी मुश्किल काम है, हवेली में उसके रूह का पल-पल साया रहता है" , राजेश ने कहा।
रौशनी महल में जाती है वहाँ पूरा मकड़ी का जाला होता है, जगह- जगह चमगादड़ लटके थे। टूटी- फूटी फर्नीचरें थी।
तभी किसी के सिसकने कि आवाज़ आती है, सामने कामिनी बेड पर लेटी है, अजीब सी दुर्गंध थी कमरे मे लाश की सी, पीछे फोटो वाली जैसी घड़ी में साढ़े दस बज रहे थे ,उसके शरीर पर असंख्य कीड़़े-मकोड़़े, दीमक थे, वो तो आधी कंकाल हो चुकी थी, राजेश के मरहम पट्टी से कुछ मांस बचा था और उसके कलेजे पर जिया उजला कपड़े पहने , कामिनी के चेहरे पर बाल लटकाये, दोनो पैर आर पार कर जोर- जोर से रो रही थी, काफी डरावना दृश्य था, रोंगटे खड़े हो गये रोशनी के। वो फटाक से राजेश के बताये जगह से कपड़े निकालती है और कैमरा रखती है, तभी जिया पूरे रुम में गोल-गोल उड़ कर जोर-जोर से हँसने लगती है।
हा.. हा.. हा.. हा.. हा.. हा
और अचानक रौशनी के कंधे पर बैठ जाती है, रौशनी घबरा कर हाथे झटकती है तो जिया गायब।
रौशनी फटाफट पेट्रोल डाल कर माचिस निकालती है, वो जैसे सारा सामान जलाने वाली ही होती है कि जिया रौशनी को खूब मारती है, उठा के पटक देती है, रौशनी बेहोश होने का नाटक करती है और चुपके से माता रानी का फूल निकाल के जिया पर तोड़ कर फेंक देती है, जिया तिलमिला के भयानक चीत्कार करती है, जैसै सैकड़ों सियार एक साथ हुंकारे हो। तब तक रौशनी आग लगा देती है, जिया भयानक आवाज़ लगाते हुए बचाओ-बचाओ चिल्लाने लगती है। कामिनी को भी पास पड़े टूटे हुये शीशे से मार देती है। अचानक से जोर से विस्फोट होता है और दो प्रकाश पुंज आकाश मे विलीन हो जाते हैं।
रौशनी घर फोन मिलाती है।
ईशिका बोलती है,"माँ घर आओ ना तुम्हारी याद आती है।"
रौशनी रोते हुए बोलती है,"कल आ जाऊंगी बेटा।"
राजेश जी रौशनी के पीठ पर हाथ रख कर कहते हैं,"आखिर एक माँ कि ममता जीत ही गयी, एक माँ काल से भी लड़ सकती है अपने औलाद के लिए,भूत-प्रेत क्या चीज है ।