मौत का रहस्य
मौत का रहस्य
एक छोटा सा शहर था, नाम था हीरापुर, शहर अपने नाम के यथार्थ था, छोटा शहर था पर एक से एक व्यापारी और हीरे की खदानें थी। वहाँ गाहे बगाहे चूड़ैलों की अफ़वाह आम बात थी। पर कभी किसी ने कुछ ऐसा देखा ना था। एक सुबह कुछ लोग चौराहे पर खड़े बातें कर रहें थे कि रात में कोई दरवाज़ा खटखटाता है और दरवाज़ा खोलने वाले कि मृत्यु हो जाती है। हालांकि जितने लोग खड़े थे उनमें से किसी के यहाँ की ये घटना नहीं थी, पर धुआँ उठा रहा है तो आग भी ज़रुर होगा। थोड़े दिन और बीते अब बातें समझ आने लगीं। सब एक पहुंचे हुए फकीर को ले आये, संयोग से उस रात उसी घर का नम्बर था जिसमें वो रुके थे। एक औरत जिसको कभी कोई शहर वालों ने देखा नहीं, पर बड़ी मंत्रमुग्ध करने वाली आवाज़ थी। वो बोली, पानी दे दो। पानी दे दो। फकीर चालाक था समझ गया इतनी प्यारी बोली वो भी सर्दियों मे 12 बजे रात में ये कौन है। दरवाज़ा खोलते सबकी मौत पक्की है। वो तपाक से बोला कल आना ( नाले बा) माई। आवाज़ बंद। अब क्या था फकीर ने सबको बोला अपने दरवाज़ों पे ॐ लिख लो, कुछ भी हो रात में घर से बाहर मत निकलना। भूत-प्रेतों का मामला था तो पुलिस के बस कि ये बात तो थी नहीं सो किसी ने उनको बताई भी नहीं। वहीं एक सेठ का लड़का था जिसका नाम अजय था। कहते है अजय ने अपनी बीबी को दहेज के लिए मार दिया था। पर पुलिस तो पैसे पे चलती है। सो वो बच निकला। उसने अपने माता से कहा वो दूसरे शहर जा रहा है कुछ काम से कपड़े तैयार कर देना। माँ ने पानी मांगने वाली चुड़ैल और बढ़े हुये चोरी और लूट-पाट के घटनाओं के अफवाहों का हवाला देकर कहा कभी और चले जाना। वो बोला मैं खुद बड़ा भूत हूँ माँ, डर मत। ये बड़ा काम है ज्यादा पैसे आएँगे। रात एक-दो बजे घने जंगलों के रास्ते जल्दी आ जाऊँगा। माँ स्त्ब्ध खड़ी देखती रही, रोकना चाहती थी पर आज कल के बच्चे सुने तब ना। माँ ने छोटा गुटका हनुमान चालीसा का बेटे को सुरक्षा के लिए दिया। अजय ने मां के सामने
तो ले लिया पर साथ ले नहीं गया। दूसरे शहर से काम खत्म कर वो लौटने लगा, रात होने लगी थी। उसने काफी शराब पी रखी थी। अफवाहों से कोई सवारी भी ना मिली रास्ते सुनसान थे। उसने सोचा जंगल से होकर छोटा रास्ता जाता है, वही से निकल लूँ, जैसे सन्नाटों भरे जंगल में पहुँचा, करीब रात के ग्यारह बजे होंगे। अचानक अजय को पायल की आवाज़ सुनाई दी। उसने रूक के देखा कोई ना था पीछे। फिर चलने लगा , फिर आवाज़ आयी। अब अजय को थोड़ी घबराहट हुई। अचानक उसे अफ़वाह वाली औरत की बात याद आई, अब उसके हाथ-पाँव फूलने लगे। वो बेतहाशा दौड़ने लगा। अचानक ठोकर खा के गिर गया, हाथ के टार्च से देखा तो अधखाई लाश थी। अब तो वो बुरी तरह डर गया, सर्दियों में पसीने छूटने लगे। जितना दौड़ता पायल की आवाज़ तेज़ होते जाती। रुकता तो रूक जाती। जैसे जंगल से बाहर निकला, अचानक सीने में तेज दर्द हुआ और प्राण निकल गए। पुलिस ने पोस्टमार्टम करायी तो मृत्यु का कारण ह्रदयाघात निकला। अजय के सामान की तलाशी ली कुछ कपड़े, फाईलें और पायल निकला। सबका शक उसकी मरी हुई बीबी के तरफ था जो बदला लेने आई होगी या पानी मांगने वाली चुड़ैल, जितने मुंह उतनी बातें। पर असली वजह थी अजय के मृत्यु की, उसके मन का डर, क्योकी उसकी माँ ने उसे पायल दी थी ठीक कराने दूसरे शहर से जो वो ठीक कराना भूल गया था, वो बैग में ही पड़ा रह गया था। और वो लागातार बज रही थी जब वो जंगल में दौड़ रहा था और जो पानी मांगने वाली चुड़ैल थी, वो और कुछ नहीं वो फकीर और उसके साथियों का गिरोह था। जो अमीरों को डरा के घर में बंद कर शहर में लुट मचाने आए थे। और अधखाई लाश भेड़ियों की जुठन थी, जो उस जंगल में बहुतायत थे। पर इस मौत से कहीं कोई खुश था क्योंकि उसके बेटी को आज ईश्वर के न्यायालय से इंसाफ मिल गया था।
कहानी से मिली सीख -लालच बुरी बला है,अपने से बड़ो का कहना मानो, अंधविश्वास मत पालो, बुरे कर्मो का फल बुरा ही होता है, इत्यादि।