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Swati Rani

Tragedy

4.5  

Swati Rani

Tragedy

आत्महत्या

आत्महत्या

2 mins
901


" पता है माँ जी वो राम बाबु की बेटी थी ना, वो सुनार टोली वाले", रूपा चीखते आयी । 

"कौन उ राधवा", माँ बोली । 

"हाँ वही पुरे शहर में हल्ला है उसको ससुराल वालों ने फांसी लगा के मार दिया, दहेज के लिये", रुपा ने कहा। 

" अरे अभिये त उसका बियाह हुआ था खुबे धुमधाम से, काफी दहेज भी दियाया था सुने थे ", माँ बोली। 

"हाँ, सब बोल रहे हैं कि वो फोन करके बुलाती थी अपने भाई को जब जब उसका पति मारता था, पर इधर से कोई जाता नहीं था, तबतक ये कांड ही हो गया", रुपा बोली। 

"अरे ई घोर कलजुग है भाई। जाये के चाही ना पता ना कौन दुख में होई उ बेचारी, बाप भाई नहीं समझा कमसकम महतारी के ता जाये के चाहीं", माँ बोली। 

इधर दूर से सब बातें सुन रही राधा मन ही मन सोच रही थी कि जाके भी क्या कर लेते बेचारे, उसको मायके ले आते, वो रोज अपने भाई-भाभी के हाथों बेईज्ज़त होती। उनके तानों से मन छलनी होता। कोर्ट-कचहरी में केस चलता, लड़की के चरित्र पर लांछन लगाये जाते। नतीजा कुछ ना होता, दहेज और घरेलू हिंसा की दरिंदगी कहाँ रुकती है भला, ठीक हुआ इज्जत से ससुराल में ही मर गयी वरना मायके में आती तो रोज रोज मरती। जैसा मैं  मर रही हूँ, जिंदा तो हूँ पर लाश की तरह वो भी जबतक माँ पापा जिंदा है तबतक ही। 

कुछ दिन बाद राधा के आत्महत्या की खबर थी अखबार में।


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