दुग्ध दान
दुग्ध दान


आज चैत्र मास नवरात्र का प्रथम दिन है |सुबह के दिनचर्या से निवृत्त होकर स्नान ध्यान माँ शैलपुत्री भगवतीकी पूजा ,अर्चना,
आराधना ,दूर्गाशप्तशती का पाठ कर मन कुछ शांत लग रहा था |हिन्दु नववर्ष का आरंभ भी आज से हुआ;अपनों को बधाई देकर जय माता !जय श्री राम !का संदेश दे तो दिया लेकिन अनुचित सा लगा क्योंकिचारो तरफ विश्व में ‘कोरोना वायरस ‘जो लगभग पूरे विश्व को अपने गिरफ़्त में ले कर भय ,आतंक कामाहौल खड़ा कर दिया है,तो कैसा नववर्ष?कैसी ख़ुशी? क्या तेरा क्या मेरा नया साल |
सभी को अभी माता महिषासुर मर्दिनी के आशीर्वाद और संजीवनी बूटी का इंतज़ार है ,जिससे कोरोना जैसेमहामारी को रोका जा सके|न जाने कब तक लोगों को घरों में क़ैद रहना होगा ...हर तरफ़ सन्नाटा पसराहुआ ...किसी को कुछ नहीं पता...बस कैसे बचे..?क्या उपाय करें...?इसी उधेड़बुन में हर पल सभी...|
पूजा करके उठी कामवाली को भी छुट्टी दे दी थी ,घर का काम निपटा कर |चाय लेकर बरामदे में झुले परआकर बैठ गई टुन से आवाज़ आई मोबाइल के मैसेज पर ध्यान गया ;पढ़ा तो लगा महत्वपूर्ण मैसेज है,किसी ग्रुप के साथी ने अपने किसी साथी का मैसेज फ़ॉरवर्ड किया था|उस साथी को मैं व्यक्तिगत रूप सेतो नहीं जानती थी लेकिन मैसेज में सच्चाई नज़र आईं जिसमें एक माँ को अपने नवजात शिशु के लिए,जोसमय से पहले इस दुनिया में आ गई थी ,जिस कारण मां का दूध नहीं उतर पाया था|डॉ ने हिदायत दी किबच्ची को किसी माँ का दूध ही बचा सकता है|उस&nb
sp;मैसेज को पढ़ कर पहले तो मैं अनदेखी कर दी फिरअनमने ढंग से दूसरे ग्रुप में फ़ॉरवर्ड कर दिया |जिसका सकारात्मक रूप सामने आया जो मेरे लिए सुखदअनुभूति दे गया|जब मैंने तीन घंटे बाद यूँ ही मोबाइल उठाया तो देखा ;मेरे मैसेज भेजने के दस मिनट केअंदर ही किसी महिला ने मदद करने की पेशकश की थी |मैंने भी उत्तर भेज दिया बड़ी मेहरबानी होगी |प्लीजहेल्प !
दूसरे दिन सुबह उत्सुकता वश फ़ोन में मैसेज देखा तो कुछ और लोग हेल्प लाइन का नंबर आदि दिए हुएथे...फिर रहा नहीं गया तो पहले ग्रुप के साथी से मदद करने के लिए उस माँ का नंबर लिया और दूसरे ग्रुप मेंमददगार महीला को नंबर भेजा |तुरंत जवाब आता है|
मददगार महिला का -‘हमने मदद कर दी है |’
मेरी ख़ुशी का ठीकाना नहीं रहा |उस महीला को ढेरों धन्यवाद दिया कि आपने इस बंदी के माहौल में भी नेककाम किया “आज भी इंसानियत ज़िंदा है...”
महिला का जवाब -इसमें धन्यवाद की कोई बात नहीं “इंसान ही इंसान के काम आता है |”
माँ भवानी ने मुझे ज़रिया बनाकर घर बैठे ही एक माँ की मदद दुग्ध दान कर किया|एक माँ ने एक माँ कीबच्ची को अपना दूध पिलाकर उसकी जीवन की रक्षा की |
कैसे बिना देखे जाने पहचाने शोसल मीडिया के ज़रिए इस विषम परिस्थिति में माँ का दूध दान जो महादान होता है हो पाया। शायद माता रानी की कृपा से ही संभव हो पाया|अब शायद माता रानी ही इस “रक्त बीजरूपी “कोरोना वायरस ,के महामारी से विश्व की रक्षा कर सकती है।