Savita Gupta

Inspirational

3  

Savita Gupta

Inspirational

मुंडा गाँव

मुंडा गाँव

1 min
144



आज मैं शहर से दूर सुदूर मुंडा गाँव की सँकरी गलियों को पार कर उस घर में खड़ी थी जिस घर की बेटी ने आज पूरे देश में अपना डंका बजा दिया थाकई देशी विदेशी चैनल वाले क़तार में खड़े

 थे एक अदद बाइट के लिए।

मेरे सामने एक दुबली पतली लड़की साधारण  से बदरंग कपड़े पहने मेरे सामने खड़ी होकर मेरेसवालों का जवाब दे रही थी,पड़ोस से माँगने पर एक प्लास्टिक की कुर्सी मिली जिसपर मैं बैठ गईउसे भी बैठने के आग्रह किया पर वह झट से नीचे चुक्का मुक्का होकर बैठ गई।जो कुछ दिनों पहले अमेरिका जैसे देश में खेलकर ट्राफ़ी जीतकर लौटी थी।उसकी इस सरलता से अभिभूत मुझे अपने आप पर ग्लानि होने लगी पर…।

मैंने प्रश्न किया -"बबीता जी आप को अंदाज़ा भी है कि आपने अपने देश का सर गर्व से ऊँचा करवाया है।आप को हॉकी खेलने की प्रेरणा कैसे मिली?आपके पास हॉकी स्टिक कैसे आई?

आप एक ऐसे आदिवासी परिवार से आती हैं जिसके पास संसाधन तो दूर खाने पीने की भी कमीहै।आत्मविश्वास से लबरेज़।"

अपनी क़िस्मत को खुद लिखने का जज़्बा लिए प्रेरणा स्वरूप बबीता नेअपनी यहाँ तक की संघर्ष की यात्रा का सफ़र ज्यों ज्यों बयान कर रही थी त्यों त्यों मेरा ह्रदय उसनन्ही जान पर श्रद्धा से नतमस्तक हुआ जा रहा था।कैसे इतनी सी उम्र में घर का चूल्हा चौका करके।कभी ख़ाली पेट तो कभी एक रोटी का चौथा भाग खाकर बाँस की लकड़ी का हॉकी स्टिकबनाक घर से पाँच किलोमीटर दूर प्रतिदिन प्रैक्टिस कियाएक बार शहर से गाँव आते वक्तलड़कों को स्कूल के मैदान में खेलते देखा था तभी से लकड़ी और कपड़े में पत्थर बाँध कर बॉल कारूप देकर खेलना शुरू किया था।आख़िरी सवाल का जवाब मुझे अवाक् कर दिया।

मैंने पूछा "आप सरकार से अपने लिए क्या क्या माँग करेंगी एक पक्का मकान,नौकरी या औरकुछ?"

"जी,हमारे मुंडा गाँव के अधिकांश बच्चे पढ़ने के साथ खेलना चाहते हैं ।यहाँ खेल का कोचिंग इंस्टीट्यूट खुलेगा तो हमारे गाँव के बाक़ी आदिवासी बच्चे भी आगे बढ़ेंगे।"



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational