दीवारें
दीवारें
'दीवारों के कान नहीं होते है' घर में सब बड़े बूढ़े कहा करते थे। जब किसी बात का जिक्र नहीं करना होता था तब यही बात हमेशा बोली जाती थी।
आज हुआ यह की कुछ कहते सुनते हमारी बात बहुत आगे बढ़ते हुए लड़ाई की तरफ मुड़ गयी। वह न जाने क्यों औलफौल बोले जा रहा था। जो व्यक्ति मुझे इतना प्यार करता है वह इस तरह बातें कर सकता था, इस बात का विश्वास करना मेरे लिए कठिन हो रहा था। मैं निस्तब्ध और विमूढ़ खड़ी रही.... मुझे लगा की दीवारों के कान न होने वाली बात झूठ है। यूँ ही किसी की उड़ायी हुयी बात है। आज तो हमारी सारी बातें दीवारों ने सुन ली है और वे भी मेरी तरह निश्चल और विमूढ़ खड़ी है....