डरावनी रात सुनसान सड़क
डरावनी रात सुनसान सड़क


सुधा की ट्रेन लेट हो गयी थी। और घर पर अकेली माँ होने की वजह से उसे कोई लेने नही आ सकता था क्योंकि उसके पिता का देहांत बचपन मे ही हो गया था स्टेशन पर आ के उसे पता चला...... कि आज ऑटो वालों की हड़ताल थी ,माँ का फ़ोन भी लगातार आ रहा था उसके घर के रास्ते में थोड़ी दूर तक कुछ सुनसान जगह थी.... जहाँ लोग अकेले जाने से डरते थे। उनका मानना था कि वहाँ कुछ अजीब घटनाएं होती हैं। और उस रास्ते पर शराबी और जुआरी ज्यादा होते हैं।
आज ऑटो रिक्शा चालकों की हड़ताल होने की वजह से उसे कोई रिक्शा भी नही मिल रहा थी । फ़ोन भी डिस्चार्ज हो चुका था और आगे पीछे कोई नहीं दिख रहा था जिससे सुधा मदद मांग सके।
सुनसान सड़क पे वो अकेली चली जा रही थी कि तभी उसे कुछ दूर पे कुछ लोग दिखे। उसने सोचा कि आगे जा के इनलोगो से मदद मांग लेती हूं।वो तेज कदमो से आगे बढ़ने लगी । तभी वहां मौजूद उन लोगों की नजर उस पे पड़ गयी। वो लोग सुधा को अकेला देख के परेशान करने लगे।अब सुधा मदद मांगने की बजाय । वहाँ से अपने आप को सुरक्षित करने के लिए तेजी से दौड़ लगाने लगी। सुनसान स्थान होने के कारण वो किसी से मदद भी मांगने में असमर्थ थी। उसे पछतावा होने लगा ....कि उसने शॉर्टकट रास्ता क्यों चुना।उस रास्ते से लोग शाम के छः बजे के बाद नहीं आते जाते थे। वो लगातार भगवान को याद किये जा रही थी।
कि तभी उसे ऑटोरिक्शा की आवाज सुनाई दी। उसने हाथ दे के रिक्शा को रोका । अंदर एक लड़की बैठी थी तो उसे थोड़ी राहत महसूस हुई.... उसने ऑटो रिक्शा चालक से बोला" चाचाजी !!आगे रामपुर तक छोड़ देंगे। क्या?...बड़ी कृपा होगी आप की।"
पीछा कर रहे लोग ऑटो वाले को देख के रुक गए।उसने अपने कैमरे से उस ऑटो वाले की फ़ोटो ली।ऑटो वाला तैयार हो गया। फिर उसने सुधा को बोला । क्यों बेटा ? "आप को पता नही था कि यह रास्ता सुरक्षित नहीं। ....आये दिन यहाँ घटनाएं होती रहती है।"
हाँ ! " चाचा सुना तो है। "
पर "आज ट्रेन लेट हो गयी ।मै थोड़ा जल्दी में थी और यहाँ आ के पता चला की ऑटो रिक्शा की हड़ताल भी तो सोचा शॉर्टकट ले लेती हूं।"
उसने बगल में बैठी लड़की से बात करनी चाही ।उसने उसको बोला ..".हेल्लो ....आपको कहाँ तक जाना हैं?"इतना सुनते वो लड़की को देखने लगी।
सुधा के बोलने पर भी उसने कोई जवाब नहीं दिया।
"बेटा ! एक बात बोलूं। ..बुरा मत मानना।.. मैं तुम्हारे पिता के उम्र का हूं, इसलिए समझा रहा हूँ। कभी भी कितनी भी जल्दी क्यों ना हो। कभी भी शार्टकट रास्ता मत चुनना। हमेशा सुरक्षित रास्ता ही चुनना।"
"जी चाचा! सही कहा आप ने । आज के बाद आपकी बात का ध्यान रखूँगी।"
" पर आज तो हड़ताल थी तो आप रिक्शा ले के कैसे निकले? "सुधा ने पूछा
अरे! "बेटा यहाँ किसी मे इतनी हिम्मत नहीं जो मुझे रोक सके। मै रामलाल अपनी मर्ज़ी का मालिक हूं। मै यही बगल के बस्ती गाँव मे ही रहता हूँ।ये मेरी बेटी है, इसकी शादी है ,दो दिन बाद इसको ही बाजार से सामान दिला के ला रहा था।"
ये!" लीजिये आ गया। आप का घर।'
जी चाचा !!"बहुत बहुत शुक्रिया।"
सुधा ने जैसे ही पर्स में हाथ डाला। तो देखा उसके पैसे वाला बटुआ गिर चुका था उसने उनसे उनका पता पूछना चाहा।
पलट के देखा.... तो ऑटो रिक्शा जा चुका था।
वो घर आ के सोचने लगी। कि इतनी जल्दी वो कहाँ गए?कि मैं देख भी नहीं पाई।सुधा की माँ ने पूछा !बेटा बहुत देर हो गयी ....."मेरा तो दिल ही बैठ गया था ,कि सब बंद हो गया है ,तू कैसे आएगी?"उसने रास्ते के बारे में अपनी माँ को बताया।
तो माँ ने कहा "बेटा !! वो रास्ता सुरक्षित नहीं है उस रास्ते से तू क्यों आयी।"
"हाँ", माँ ! "तुम बिलकुल सही कह रही हो।"मैं भी डर गई थीवो तो एक अच्छा ऑटो रिक्शा वाला मिला गया।जिसने मुझे यहाँ तक छोड़ा।
मैने उसकी फोटो ली है ,वो यही बगल के गाँव मे रहता हैं।उनके पैसे भी देने रह गए है। कल जा के दे दूँगी।
हाँ ! "ठीक है, " ..."अभी चल के पहले कपड़े बदल के खाना खा लो।" थक गई होगी।
हाँ !"माँ सही कह रही हो.".. "बहुत थक गई हूं,चलो।"
अगले दिन सुबह सुधा गांव में ऑटो वाले के पैसे देने के लिए गयी।वहाँ लोगो से पता पुछती ...तो सब उसको आश्चर्य से देखते हुए उंगली से इशारा करते हुए ....आगे का रास्ता दिखा देते।ऐसे करते हुए वो एक घर के पास पहुँची। जहाँ एक औरत अकेली बैठी थी।उसने उससे पूछा । 'चाची रामलाल का घर यही है क्या?"
उसने गुस्से में बोला" हाँ"!
"क्यों अब क्या किया रामलाल ने?"
उनकी वजह से पहले इतनी परेशानी कम थी। जो तुम भी आ गयी।पहले ही गाँव के लोग मेरे घर से कुछ नही लेते देते।
चाची !!"पर मै तो पैसे देने आयी थी"..."कल के"
"क्या? "कहा।
हाँ! "कल चाचा ने मेरी मदद की और मुझे घर तक पहुँचाया। और बिना पैसे लिए ही चले गए।"
"लड़की तुम्हारा दिमाग तो ठिकाने हैं। ऐसा नहीं हो सकता।"
"मै सही कह रही हूँ".. चाची .."मेरे साथ ऑटो में एक लड़की भी थी, आपकी बेटी ..."आप उसी से पूछ लो।"औरत ने गुस्से भरे नजरों से सुधा को देखा।
"अच्छा !"रूको!! मैं फ़ोटो दिखाती हूँ । तब आपको यकीन होगा।
सुधा ने अपना कैमरा निकाला और फ़ोटो देखने लगी। लेकिन उसको कही भी उनकी फ़ोटो नही दिख रही थीं।तभी जोर जोर से लोगो के चिल्लाने की आवाज आई।
"अरे ! रामलाल ने आज भी चार लोगों की जान ले ली। चारो ने शराब पी रखी थी पुलिस लाश ले के आयी हैं।"भाग के सुधा ने भी बाहर जा के देखा तो वो वही लोग थे जो रात में उसे परेशान कर रहे थे। वो मर चुके थे।
सुधा के पूछने पर पता चला कि रामलाल का भूत उस रास्ते पर रहता हैं। जो शराब पिये हुए नौजवान लड़को को मार देता है। अगर किसी लड़की के साथ कुछ गलत करने की कोशिश करते हैं ,तो।
गाँव की एक औरत ने सुधा को बताया... कि गाँव के ही कुछ दबंगों ने चलती ऑटो से उतार के उसको मार डाला था और उसकी बेटी को भी ।तभी से उसकी आत्मा उस रास्ते पर दिखती हैं। और कोई भूल कर भी उस डरावने रास्ते से नही जाता।सुधा को यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा था कि जिसने उस रात उसकी मदद की वो भूत था!