Ragini Ajay Pathak

Others

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Ragini Ajay Pathak

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भाग12

भाग12

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देर रात पार्टी से दीपिका अपने घर लौटते हुए भी अमर के ही बारे में सोच रही थी। वो टैक्सी से घर पहुंची तो देखा रात के दो बज चुके है। उसे अंदाजा हो गया था अब तो घर मे हंगामा होगा। इधर उसके मम्मी पापा बेशब्री से उसकी राह देख रहे थे। उसकी राह देखते हुए उसकी मम्मी उसके पापा को मना रही थी


"देखिए जी! उसके ऊपर ज्यादा गुस्सा मत कीजिएगा, अब क्या करें जमाना ही ऐसा हो गया है। तो हमें भी थोड़ा बदलना होगा। आपको जो भी बात करनी होगी सुबह कीजिएगा।" 


"ऐसा करो डांटने और गुस्सा करने का एक थरमामीटर रख लो जिससे नाम करके टेम्परेचर के हिसाब से सब करूंगा। ठीक रहेगा, कुछ भी बकवास किए जा रही हो, जमाने को देखकर ही मुझे उसके लिए डर लगता है। क्योंकि अभी उसे अच्छे बुरे का फर्क नही पता। कल को कोई अनजाने में ऐसी गलती ना कर बैठे जिससे उसे जीवन भर पछताना पड़े।"


तभी डोर बेल बजी। दीपिका की माँ ने भागकर दरवाजा खोला देखा तो सामने दीपिका खड़ी थी।

उसने सामने माँ को और ठीक उनके पीछे अपने पापा को देखा और चुपचाप से बिना कुछ बोले अपने कमरे में जाने लगी।


तभी उसके पिताजी ने गुस्से में आवाज दी ,"वही रुक जाओ दीपू"


दीपिका के कदम वही रुक गए। वो नजर झुकाए वही खड़ी रही। उसके पापा पीछे से उसके ठीक सामने आ गए।

नजरें झुकाए देखकर उसके पापा ने कहा,"जब करते समय डर नहीं लगा तो अभी कैसा डर, जो नजरें झुका रखी है?"


दीपिका ने कहा," मैं डर नहीं रही हूं, सुबह बात करते है। मुझे नींद आ रही है मैं सोने जा रही हूं।"


दीपिका का जवाब सुनते उसके माँ पापा एक दूसरे को देखने लगे।

तब दीपिका की माँ ने कग,"ये क्या तरीका है अपने पापा से बात करने का?,मेरा तो ना सही अपने पापा का तो लिहाज कर ही सकती हो।"


"इसमें मैंने ऐसा क्या कह दिया? अब बोलना भी गुनाह जो गया है क्या इस घर मे।"


"बोलना गुनाह नही हुआ है। लेकिन उस घर के नियम तोड़ने का गुनाह तुमसे हुआ है। उसके बारे में तुम्हारा क्या कहना है?"


"मैंने कोई गुनाह नहीं क्या? ना मुझसे कोई गलती हुई है। किसी के साथ पार्टी मनाना गुनाह कब से हो गया? और अगर नियम ही कोई जानबूझकर कर गलत बनाएं तो उसे तोड़ना गलत नहीं सही होता है। मैं कोई मजबूर या कमजोर इंसान नही हूँ जो गलत को गलत कहने से डर जाऊ।"


हम तुम्हें फोन पर फोन किए जा रहे है। एक तो हमारा तुमने नही उठाया । ऊपर से हमें ही गलत साबित करने पर लगी हो। हम तुम्हारे माँ बाप है इसीलिए तुम्हारी चिंता लगी हुई थी।

यही तुम अगर किसी और कि बेटी होती तो हमे तुम्हारी कोई चिंता नही होती। कल को शादी ब्याह की जब बात करनी होगी तो समाज मे खामखा तुम्हारी बदनामी लोग करेंगे बस इसलिए तुमको समझा रहे है क्या जरूरत थी पार्टी में जाने की कोई बहाना बना देती। और पार्टी में गयीं तो हमें बताना और हमारी आज्ञा लेनी भी जरूरी नहीं समझी।


"क्या मैं आपको बता देती या परमिशन मांगती तो आप देते?"कहकर दीपिका अपने कमरे में चली गयी। 


कपड़े बदलकर दीपिका बेड पर लेट गयी लेकिन उसकी आँखों से नींद गायब थी वो पूरी रात बेड पर करवटें बदलतें अमर के ही बारे में सोचती रही। सोचते सोचते कब उसकी आंख लग गयी उसे पता ही नही चला ,सुबह देर तक वो सोती रही। लेकिन उसे किसी ने नही उठाया। 


अगली सुबह ग्यारह बजे दीपिका जब उठी तो देखा घर मे कोई भी नहीं है। उसकी माँ सोफे पर बैठकर टीवी में संस्कार चैनल पर भजन सुन रही थी। 



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