भाग 14
भाग 14
अपने पापा की बात सुनकर रिया के चेहरे की हवाइयां उड़ गई। वो अपनी मम्मी को ध्यान से देखने लगी। की तभी उसके पापा के फोन पर अमर का फोन आया।
जिसे सुनकर रिया के पूरे घर मे आज ऐसी उदासी फैली थी जैसे कोई मातम हो।
अंदर उनकी एकलौती बेटी रिया गुमशुम उदास रोती हुई किसी अपराधिनी की भांति बैठी हुई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था आखिर उसका दोष क्या है? किस गुनाह की सजा वो काट रही है। उस गुनाह की जो उसने की ही नहीं।
"अगर जन्म रंग रूप और आकार प्रकार पर किसी व्यक्ति का जोर चलता तो हर व्यक्ति खुद को सुंदर बना लेता"
रिया का साँवला रंग, छोटी कद काठी और दुबला पतला होना उसका गुनाह था जिसके आगे उसके गुण और सुंदर दिल हमेशा ही छिप जाता।
दअरसल अमर ने रिया से शादी करने से इनकार कर रिया था जिसे सुनकर रिया मन ही मन खुश हुई कि उसके इनकार करने से पहले अमर ने ही रिश्ते से मना कर दिया लेकिन ये बात उसके पापा को बिल्कुल भी पसंद नहीं आयी थी। जिससे उनका गुस्सा सातवें आसमान पर था। उन्होंने रिया को सीधे तौर पर कुछ भी नहीं कहा लेकिन उस वजह से उन्होंने उसकी मम्मी को बहुत ही खड़ी खोटी सुनाई।
"चुप हो जाइए, भगवान के लिए चुप हो जाइए। कहि अगर रिया के कानों तक ये बात गयी। तो उसे बहुत बुरा लगेगा आप समझते क्यों नही? वो आपको अपना रियल हीरो मानती है, कहि आपके ऐसा बोलने से सब खत्म ना हो जाए।" रिया की माँ ने विनती करते हुए कहा
"होता है तो हो जाए, आज उसकी वजह से मेरी करोङो की डील मेरे हाथ से निकल गयी, और मैं चुपचाप मुस्कुराता रहूँ, ये मुझसे नहीं हो सकता। मैं जा रहा हूं।"
जिसे रिया उनके कमरे के बाहर से सुन रही थी तभी उसके पापा की कही बात उसके दिल पर लगी और उसे समझ आ गया कि उसके पापा उसके सामने और दुनिया के सामने सिर्फ उससे प्यार और अपने पन का दिखावा करते है। उन्होंने कहा,"ऐसी काली कलूटी बेटी पैदा की तुमने जिसे कोई लड़का कभी पसन्द नहीं कर सकता। क्या फायदा तुम्हारी सुंदरता का जब तुम सुंदर बेटी ही पैदा ना कर सकी।" जिसे सुनते रिया वहाँ से भागती हुई अपने कमरे में बेड पर लेट कर तकिए में मुँह दबाकर रोने लगी।
रिया की मम्मी का रंग गौरवर्ण था साथ ही वो बहुत ही सुंदर थी लेकिन उसके पापा का रंग सांवला था। जिसकी वजह से रिया का रंग भी सांवला था। उसके कदमों की आहट को उसकी मां ने भाप लिया था।
वो रिया के कमरे में भागती हुई आयी। रिया को यूँ रोता हुआ देखकर उन्होंने कहा,"चुप हो जा , तेरे पापा का वो मतलब नहीं था, वो तो उन्होंने सिर्फ टेंसन में बोल दिया।"
"माँ आखिर कब तक सच को छिपाओगी,टेंशन में ही सही लेकिन पापा ने अपने दिल की बात कही है। जिसे आप झुठला नही सकती"
"माँ दुनिया मे क्या रंग रूप और पैसा ही सब कुछ होता है। इंसान के जज्बातों की कोई कद्र नही होती।"
तभी अचानक रिया के फोन पर अमर का रिंग देखकर रिया और उसकी माँ चौक गयी। दोनों एक दूसरे को देखने लगे। रिया ने अपनी मां से कहा,"अब मुझे फोन करने का क्या मतलब?"
"उठाकर देख तो , आखिर कहना क्या चाहता है।"
रिया जब तक फोन उठाती तब तक उसका फोन कट चुका था। उसी समय दीपिका का फोन रिंग होने लगा कि तभी अमर का मैसेज उसके फोन पर फ्लैश होने लगा जिसमें लिखा था मैं आपसे सिर्फ आपकी दोस्त दीपिका के बारे में जानना चाह रहा था।