vijay laxmi Bhatt Sharma

Abstract

3.5  

vijay laxmi Bhatt Sharma

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डायरी नवाँ दिन

डायरी नवाँ दिन

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प्रिय डायरी आज भारत बंद का नवाँ दिन है और आज राम नवमी भी है। धैर्य, धीर गम्भीर मर्यादा पुरषोतम, जीवन के मूल जीवन के आधार श्री राम चंद्र जी का जन्मदिन। इस घड़ी मे उनकी विशेषताएँ पर चलना ही हमे इस कष्ट से मुक्ति दिलाएगा। हम धैर्यवान होकर ही तो इस महामारी से मुक्ति पा सकते हैं, परन्तु हम धैर्य खो रहे हैं और झुंड के झुंड एक जगह पर पाए जा रहे हैं बार बार कहने के बाद भी की सोशल डिस्टेनस रखिए अपने ही घर पर रहिए लोग सुन नहीं रहे और इस वाइरस को एक दूसरे पर थोपते जा रहे हैं जी हाँ थोपना ही कहूँगी क्यूँकि जो नियम पालन कर रहा है वो भी इनकी हरकतों से भयभीत हो रहा है की कहीं ये लोग हमारे आसपास तो नहीं पहुँच जाएँगे।. हम शिक्षित होकर भी अनपढ़ अज्ञानी क्यूँ बने बैठे हैं ये सोचके मन व्यथित है।

कुंठित हूँ की जब कुछ ठीक होने को था तभी कुछ अज्ञानी लोगों ने इस महामारी को आग की तरह फैला दिया । अपने जीवन की कोई कद्र नहीं की कितनी मुश्किल से मानव जीवन मिलता है उसपर औरों के जीवन को भी संकट में डाल दिया। कैसे समझेंगे लोग समझ नहीं आ रहा। धैर्य, धीर गम्भीर हो क्यूँ नहीं हम मर्यादाओं का पालन कर हम क्यूँ नहीं आधार बनते इस महामारी को दूर भगाने के।

एक मूल मंत्र है घर पर रहो उसका पालन कर इस विपत्ति मे देश का साथ दे अपने देशभक्त होने का परिचय देते तो अच्छा था।

अपने परिवार की सुरक्षा का दायित्व समझते तो और भी अच्छा था।. आज बाहर सन्नाटा ही था कोई सफ़ाई कर्मचारी भी नहीं आए आज। बस कुछ खबर ही सुनी की कुछ लोगों ने जो किया उसका काफ़ी नुक़सान भुगतना पड़ेगा। प्रिय डायरी जीवन खटी मीठी यादों का नाम ही है हो सकता है कल जब मै आज को याद करूँ तो एक बुरा सपना था कह कर ख़त्म कर दूँ। पर आज जो गुजर रही है वो हकिकत है।

हर वक्त एक आहट होती है और हम चौंक जाते हैं किसी अनजानी आशंका से। जीवन और मृत्यु के भेद को जानने की कोशिश कर रहे हैं की कितना फासला है दोनो मे। सच मे प्रिय डायरी जब करने को कुछ ख़ास ना हो और चारों ओर सन्नाटा हो तब एक अजीब सा डर आपको घेरे रहता है आप कोशिश करते हैं इस डर को हराने की पर ये डर आप पर हावी रहता है प्रतिपल प्रतिछण.. इसमें एक भरोसा है देवी माँ का। मेरे श्री राम का..

प्रिय डायरी कल के सुखी जीवन की कामना के आज इतना ही ।. इन पंक्तियों के साथ इति।

है खुद पर भरोसा कि कल की भोर उजली होगी, छँट ही जाएगा डर का अंधेरा, कल पर जीत अपनी होगी।


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