vijay laxmi Bhatt Sharma

Tragedy

3.4  

vijay laxmi Bhatt Sharma

Tragedy

डायरी लॉक्डाउन२ अठारहवाँ दिन

डायरी लॉक्डाउन२ अठारहवाँ दिन

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प्रिय डायरी ,आज कोरोना लौकडाउन २ का अठारहवाँ और परे लॉक्डाउन का 39दिन । आज १४ दिन और लॉक्डाउन बढ़ने की घोषणा भी हो गई है यानी अब १७ मई तक लॉक्डाउन रहेगा हालाँकि कुछ छूट ग्रीन जोन मे दे दी गईं हैं, लॉक्डाउन आगे बढ़ाना बहुत जरूरी था परन्तु इसका अनुपालन भी जरूरी है जो बीते 38 दिनों में ठीक से नहीं हुआ । कुछ लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया जिसके कारण देश में संक्रमितों की संख्या 37 हजार पार कर गई और 1 हजार 2 सौ से अधिक के प्राण हर लिये इस कोविड १९ यानी कारोना ने....इस प्रकार का व्यवहार देश हित मे नहीं । घर में रहिए , सुरक्षित रहिये कह तो रहे हैं पर सभी सुन नहीं पा रहे....कर्मवीरों के श्रम को सफल बनाने की कोशिश कुछ व्यक्तियों की वजह से सफल नहीं पा रही इसके लिये लॉक्डाउन में सख्ती बहुत जरूरी । जीतेगा भारत , कारोना हारेगा... ये प्रण हम सभी को आज करना है अपना देश धर्म निभाना है अपने को सुरक्षित कर देश को सुरक्षित रखना है... घर पर ही रहना है.., सोशल दूरी का ध्यान रख लॉक्डाउन को सफल बनाना है।

 प्रिय डायरी इस दौर मे बहुत से व्यक्ति अपने आपको बीमार और अकेला महसूस कर रहे हैं कई लोग मानसिक समस्या के शिकार हो राहे हैं मेरा कहना है सभी से की अपने आप को व्यस्त रखें.,. अच्छा संगीत सुने... किताबें पढ़ें... बच्चे हैं तो अपने बुजुर्गों से कहानीयाँ सुने इससे बच्चे और बुजुर्ग दोनो व्यस्त रहेंगे... संगीत तो हर उम्र को प्रिय है अपना पसंदीदा संगीत सुने... आजकल रामायण और महाभारत दिखाई जा रही है देखकर अपनी संस्कृति और संस्कारों को समझने की कोशिश करें। 

प्रिय डायरी योग हर दर्द का उपाय है इससे शरीर चुस्त और निरोगी तो रहता ही है साथ ही ध्यान योग से मन की चिन्ताएँ, कुंठाएँ, दुःख दर्द सब मिट जाते हैं। योग हमारे मन और चिट दोनो को शान्ति प्रदान कर हमे रोग मुक्त और शान्त बनाता है.. इस समय सभी विकारों क़ो नष्ट करने के लिये सभी योग का सहारा लेंगे तो अपने आप को तरो ताज़ा और स्फूर्ति से पूर्ण पाएँगे।


  प्रिय डायरी आज इतना ही सभी नियमित कार्य तो करने ही हैं साथ में कुछ पढ़ना लिखना जारी है... रोज किसी ना किसी शुभचिंतक से बात कर हाल चाल पूछना भी जारी है आख़िर हम सामाजिक प्राणी है घर पर रहना है सोशल दूरी बनानी है पर दिलों मे दूरी ना बन जाय इसके लिये जरुरी है एक दूसरे से बात कर उनका हाल चाल पूछना उन्हें जताना की हमे उनकी फिक्र है ये तनवमुक्त होने और करने का तरीक़ा भी है। प्रिय डायरी किसी को ये एहसास कराना की हमे उनकी परवाह है दूसरे के मुख पर खुशी ला देता है और दूसरों की खुशी में खुशी ढूँढना ही मनुष्यता है। प्रिय सखी आज इतना ही मैथलीशरण गुप्त जी की ये पंक्तियाँ आज बहुत याद आ रहीं हैं:


कुछ काम करो, कुछ काम करो

जग में रह कर कुछ नाम करो

यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो

समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो

कुछ तो उपयुक्त करो तन को

नर हो, न निराश करो मन को।


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