वेटिंग रूम
वेटिंग रूम


वर्षों से परतों की तह में दबी यादों को जब निम्मी ने कुरेदा तो एक एक कर तह खुलती गई और आंखें अनचाहे ही बरसने लगीं....यादों की परतों में कहीं रमेश का धुंधला चेहरा साफ दिखने लगा... कॉलेज का पहला दिन हेलो मैं रमेश सेकंड ईयर इंगलिश होनर्स एक अजनबी हाथ निम्मी की ओर बड़ा.... वो एकटक देखते हुए आगे की ओर बढ़ा....उसने भी हाथ बढ़ाया निम्मी फर्स्ट ईयर हिस्ट्री होनर्स... पता ही नहीं चला कब दोस्त बने और दोस्ती प्यार में बदल गई... फिर वही सिलसिला बड़ी बड़ी कसमे... वादे और दो साल पंख लगाकर उड़ गए... रमेश फाइनल की परीक्षा दे कॉलेज से निकल गया... निम्मी का एक साल बाकी था ... ये सोच सोच निम्मी परेशान की एक साल कैसे निकले की रमेश ने लंदन जाने की घोषणा कर दी... अरे निम्मी एक साल के लिए ही तो जा रहा हूँ... तब तक तुम भी अपना कॉलेज खत्म करो... पर निम्मी रोये जा रही थी एक अनजान आशंका ने उसे कमजोर बना दिया था... पर रमेश चला गया... ,शुरू में फोन बराबर आते रहे फिर कम हो गए... निम्मी ने कॉलेज खत्म कर सिविल सर्विस की परीक्षा भी पास कर ली रमेश नहीं आया पर उसका फोन जरूर आया "मुबारक हो निम्मी बड़ी अधिकारी हो गई हो भूल तो नहीं जाओगी?".. "कैसी बातें कर रहे हो रमेश खैर ये बताओ कब आ रहे हो" निम्मी ने कहा.. "जल्द ही लौटूंगा तुम मेरा वेट जरूर करना.".. उसके बाद निम्मी अपनी ट्रेनिंग में व्यस्त हो गई पोस्टिंग मिल गई और बंगला भी... यदा कदा रमेश का फोन आता वो आने को पूछती जल्द आऊँगा ये ही रटा रटाया डाइलॉग बोल देता रमेश... जल्दी आ जाओ रमेश एक साल के लिए बोला था चार साल हो गए... अब तो ये बंगला मुझे वेटिंग रूम लगने लगा है... निम्मी दर्द भरे लहजे में कहती... पर रमेश नहीं आया फोन आने भी बंद हो गए... किसी ने कहा उसने सिटीजनशिप के लिए वहीं की लड़की से शादी कर ली है... किसी ने निम्मी को बेचारी संबोधित किया... बिन मां बाप की बच्ची ने रमेश को ही अपना सबकुछ समझा वो भी नही लौटा... निम्मी ने अपने आप को काम मे व्यस्त कर लिया.... फिर अचानक दस साल बाद रमेश के फोन से ऐसा क्या हुआ की इस वेटिंग रूम से निम्मी को एहसास हुआ की इस बार प्लेटफार्म पर उसकी गाड़ी आ ही जाएगी....... यादोँ की परतों को उसने सुन्दर से तह किया और फिर एक ट्रेन जो अपने निर्धारित समय से थोड़ा देर से आने वाली थी उसके इंतज़ार में वेटिंग रूम में बैठे थके यात्री की तरह रमेश का इंतज़ार करने लगी बिना सोचे कि दस साल में क्या हुआ अंत मे तो यही कहा उसने तुम्हारे बिना कुछ अच्छा नहीं लगता.... मेरी गाड़ी अब तुम्हारे ही प्लेटफ़ॉर्म पर रुकेगी उसी वेटिंग रूम में मेरा इंतज़ार करना!