vijay laxmi Bhatt Sharma

Abstract

3.8  

vijay laxmi Bhatt Sharma

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डायरी लॉक्डाउन२ सोलहवाँ दिन

डायरी लॉक्डाउन२ सोलहवाँ दिन

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प्रिय डायरी खरी आज कोरोनालॉक्डाउन २ का सोलहवाँ और सम्पूर्ण लॉक्डाउन का 37वां दिन है । विश्व में कोरोना संक्रमितों की संख्या 32.19 लाख से अधिक हो चुकी है जबकि 2.28 से अधिक रोगी मृत हो चुके हैं । हमारे देश में संक्रमितों की संख्या 32 हजार से अधिक हो चुकी है और एक हजार से अधिक इस महामारी के ग्रास हो चुके हैं । यह बहुत ही दुखद है, देश के लिए कभी पूरी ना होने वाली क्षति है । हमें लॉक्डाउन का सम्मान करते हुए नियम पालन कर घर में ही रहना चाहिए ।

   प्रिय डायरी आज एक और क्षति सिनेमा जगत के प्रसिद्ध कलाकार ऋषि कपूर जी भी हमे छोड़कर चले गये... एक अपूर्ण क्षति... वो एक ज़िंदादिल इनसान के साथ साथ बेहतरीन कलाकार भी थे... दो दिन में दो लोग कल इरफ़ान खान जी आज ऋषि कपूर जी दोनो की मौत की वजह कैन्सर। प्रिय डायरी जीवन मृत्यु सब ऊपर वाले के हाथ में है।

  मुझे तुलसीदास जी कृत रामायण के अयोध्या कांड का एक प्रसंग याद आता है: वशिष्ठ जी भगवान् राम के वनवास प्रकरण पर भरत जी को समझाते हैं, 

सुनहु भरत भावी प्रबल बिलखि कहेउ मुनिनाथ।

हानि लाभु जीवनु मरनु जसु अपजसु बिधि हाथ।

भावार्थ:-मुनिनाथ ने बिलखकर (दुःखी होकर) कहा- हे भरत! सुनो, भावी (होनहार) बड़ी बलवान है। हानि-लाभ, जीवन-मरण और यश-अपयश, ये सब विधाता के हाथ हैं।

प्रिय डायरी सही बात है हम केवल कर्म ही कर सकते हैं ये जीवन रंगमंच ही तो है हर कोई अपना किरदार निभा रहा है... माता पिता, भाई बहन, पति पत्नी, डॉक्टर, सुरक्षा कर्मी, सफ़ाई कर्मचारी, पत्रकार और भी सभी अपने अपने किरदार निभा रहे हैं... याद आता है एक फ़िल्म का अंश की हम रंगमंच की कठपुतलीयाँ हैं और डोर ऊपर वाले के हाथ में है किरदार निभाते निभाते य फिर उसके इशारों पर नाचते नाचते कब वो डोर खींच ले कुछ पता नहीं।

 प्रिय डायरी जीवन और मृत्यु के इस द्वन्द मे आज सारा विश्व पेंडुलम की तरह झूल रहा है... ना कोई दवाई बन पा रही है इस कारोना महामारी की और ना इसका कहर थम रहा है... अब ऊपर वाले की मर्ज़ी पर ही उम्मीद लगी है शायद कुछ रहम आये उन्हें हम पापियों पर... आज इतना ही प्रिय सखी कुछ अच्छे की उम्मीद पर आज यहीं विराम लूँगी:

भूल कर उस शक्ति को

नाचता तू बहुत रहा मनु

दौड़ सिर्फ़ सौहरत की लगा

आज कुछ काम नहीं आ रहा

अब खोजता डर उस 

परब्रह्म परमेश्वर को

बचाने सिर्फ़ अपनी जान।


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