बंटी
बंटी
वीडियो चैट के समय माँ का चेहरा उदास देख मैंने पूछा, " माँ...तुम ठीक तो हो ?”
“हाँ रे..सब ठीक ही है, तू बता ?”
आज माँ की आवाज में न वो खनक सुनाई पड़ी और न चेहरे पर वो ताजगी दिखी !मैं समझ गई दुखों को अपने सीने से लगाये रखना उसकी पुरानी आदत जो है !
शादी हो गई ...और मैं पति के साथ रहने लगी,क्या फर्क पड़ता है ! माँ की नजरों में न कभी बेटी पराई होती है,और न बेटी की नजरों में माँ !
“ सच बताओ,बंटी कैसा है ? कई दिनों से वो मुझसे बात नहीं कर रहा है...अधिक परेशान तो नहीं है? ” मैंने माँ से घबराकर पूछा।
“सुन बबली, वो मुझे हमेशा यही ताना देते रहता है कि... तुझे तो केवल दीदी से प्यार है, मेरे से तो बिल्कुल ही नहीं । मेरी पढाई पर तुमने कभी ध्यान ही नहीं दिया, मैं हमेशा सरकारी स्कूल, कालेज में ही पढ़ता रहा ! प्राइवेट स्कूल, कालेज का मैंने मुँह तक नहीं देखा! अपने दिनू काका को देखो,ऑटो-रिक्शा चलाकर भी बेटे को वो डि.ए.वी.स्कूल में पढाये। तभी तो उनका बेटा बैंक ऑफिसर बन गया। और मेरी हालत, भगवान मालिक ! तुम्हारी लापरवाही के कारण मैं नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा हूँ !”
" हाँ बेटी, सच भी यही है ! तुम्हारे पापा के अकस्मात गुजर जाने के बाद मुझे अपने सामने केवल तुम्हारी शादी की फ़िक्र थी । मेरा ध्यान बंटी की पढाई पर गया ही नहीं । उनके सारे पीएफ के पैसे को मैंने तुम्हारी शादी में खर्च कर दी ।
लेकिन, तुम बंटी के बारे में सोच कर अधिक परेशान मत हो।अपनी नई गृहस्थी संभाल। बंटी को देर-सवेर नौकरी मिल ही जाएगी । अच्छा बता, जमाई बाबू तुम्हारा अच्छे से ध्यान रखते हैं न ? "
“माँ..अब मेरी फ़िक्र करना छोड़ो । जरा अपनी बढ़ती उम्र का ख्याल करो,ज्यादा चिंता करोगी तो तुम बीमार हो जाओगी।”
"कैसे बताऊँ बबली !माँ बनते ही औरत का शेष जीवन चिंता-फ़िक्र में ही बीत जाता है । काले बाल कब सफेद हो गये, भनक तक नहीं लगी! ” मन ही मन मैं सोचने लगी ।
"क्या हुआ माँ..कुछ बोलती क्यों नहीं ? सुनो,बंटी को लेकर तुम आ जाओ कम्पटीशन्स देने के लिए अभी उसका उम्र बहुत बचा है। यहाँ अच्छे कोचिंग इंस्टिट्यूटस हैं, उसमे दाखिला ....
“लो बेटी, बंटी आ गया...अब उसीसे बात कर लो।”
“हलो बंटी, तुम माँ के साथ फौरन यहाँ आ जाओ। तुम्हारे जीजाजी बहुत अच्छे हैं, जरूर किसी बढ़िया कोचिंग इन्स्टीट्यूट में तेरा एडमिशन करवा देंगे। देखो, नौकरी को लेकर तुम परेशान मत होना ! मैं हूँ न...तुमसे बड़ी ।" बबली ने बड़े प्यार से बंटी को समझाया।
“देखा बंटी, तेरी बहन ससुराल जाने के बाद भी नहीं बदली। वो हमारे दुखों को अभी भी बहुत करीब से महसूस करती है। सच, आज के जमाने के संचार का यही तो फायदा है, दूरी ही मिट जाती है,और समस्या का निदान भी हो जाता है।"
“हाँ, माँ, तुमने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। मैं खामख्वाह हमेशा तुम्हें दोषी ...” कहते-कहते बंटी रुआँसा हो गया! रोष, टूटे बाँध की तरह आँखों से पिघलने लगे ।
मैं, माँ को एकटक देखने लगी। वो आँचल से बंटी के आंसूओं को पोंछ रही थी,लेकिन उसके चेहरे पर मंद-मंद मुस्कान थिरक रहे थे। उसने बंटी के साथ यहाँ आने की हामी भी भर दी।
सुनते ही मैं खुशी से मचल उठी। बंटी के सुनहरे भविष्य की लालिमा मुझे अब यहीं से दिखने लगी।