SANGEETA SINGH

Action Inspirational Thriller

4  

SANGEETA SINGH

Action Inspirational Thriller

भाषा प्यार की

भाषा प्यार की

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 पिता की मौत के बाद, गोपालन को मुत्थु दूर छोड़ आया। बेचारा गोपालन खुद बहुत दुखी था लेकिन उसकी सुनता कौन, उसकी समझता कौन। पालनहारों ने उससे नजरें जो फेर ली थी। वो बार बार चौखट पर आता, उम्मीद भरी आंखों से घंटों बैठा निहारता रहता कि शायद कोई उसे घर में बुला ले लेकिन,घर के सदस्यों की नजर जैसे पड़ती उसे गालियों और डंडे से पीट भगा दिया जाता।

  उसका दोष उसकी समझ में नहीं आ रहा था, रामानुज के न रहने पर उसकी ये दशा हो गई थी।

  छोटा था तो मेले से खरीद कर आया था वो पुल्लीकुलम नस्ल का था, बाजार में उसकी काफी मांग थी।

 झूमता, उछलता अपने मालिक रामानुज के साथ घर आया था। अम्मा ने आरती उतारी और ढेर सारा प्यार किया। फिर क्या गोपालन मुत्थु और रामानुज की ऐसी जुगलबंदी कि पूरे गांव में उनकी ही चर्चा होती थी। अम्मा गोपालन को मंदिर ले जाती तो उसे टीका लगाती उसकी सलामती के लिए वेंकटेश से मनौती मांगती, लेकिन आज सभी लोगों ने मुंह क्यों फेर लिया।  

 उसे याद आया तीन साल में उसके जब दांत निकले थे, तब घर में सबने खूब जश्न मनाया था । उसे जल्लीकट्टू के लिए तैयार किया जा रह था। मुत्थु उसे लेकर दूर तक सैर कराने ले जाता, फिर गांव के तालाब में वो और मुत्थु खूब नहाते, तैराकी करते । समय समय पर अम्मा और नयनतारा पौष्टिक खाना देती और उसे प्यार से सहलाती।

 सबका प्रेम और सान्निध्य गोपालन को बहुत प्यारा लगता।

 गांव के आवारा सेतु का मुत्थु और रघुनाथ से 36 का आंकड़ा था। सेतु दबंग किस्म का था, वो अपने दोस्तों को लेकर गांव भर की युवा लड़कियों को छेड़ता था। गांव के सभी लोग उससे डरते थे। एक दिन नयनतारा भी अपनी सहेलियों के साथ लौट रही थी, सामने सेतु आकर खड़ा हो गया। नयनतारा की सभी सहेलियां घबरा कर भाग गईं और वो अकेली बच गई । उसमे से एक भाग कर नयनतारा के घर पहुंची और उसने रघुनाथ को ये बात बताई। रघुनाथ का खून खौल उठा वो जल्दी से वहां पहुंचा जहां सेतु नयनतारा पर फब्तियां कस रहा था और उससे विवाह की बातें कर रहा था। रघुनाथ अपने जमाने के पहलवान थे,उन्होंने सेतु और उसके दोस्तों की खूब मरम्मत की । गांव के सभी लोग इकट्ठा हो गए, सेतु ने सबके सामने माफी मांगी।

 उस दिन से वो गांव में कम ही दिखाई देता था ।

  पोंगल आने वाला था, जल्लीकट्टू खेल के लिए गोपालन तैयार था। उसके सींग बहुत तेज थे उसे थोड़ा तराशा गया था।

मदुरई में खेल का आयोजन था जिसमें 50,000 इनाम वहां के विधायक ने रखा था। रघुनाथ उसे लेकर मदुरई जा रहे थे । मुत्थु भी साथ था, आज बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी उसके ऊपर । उसे अपने मालिक का नमक चुकाना था उनको जीता कर।

 प्रतियोगिता में अभी समय बचा था, मुत्थु अकेला गोपालन को लेकर खड़ा था टोकन बांटे जा चुके थे, सींगो का पैनापन और कोई ड्रग्स तो सांढ को नहीं दी गई इसकी जांच आयोजनकर्ताओं द्वारा कर ली गई थी।  

 तनाव से रामानुज के पेट में गुड़ गुड़ होने लगी तो वो मुत्थु के सहारे गोपालन को छोड़ हल्के होने चला गया।

 मुत्थु को अकेला देख, सेतु उससे बात करने के बहाने आया।

 मुत्थु उसे देख चौंक गया। उसने बताया मैं भी देखने आया हूं तुम्हें देखा तो तुम्हारे पास हाल चाल पूछने आ गया।

  सेतु गोपालन के करीब आया और नज़र बचा कर गोपालन को नशे की गोली खिला दी,और वहां से चला गया।

 जब उसका नंबर बुलाया गया तो, गोपालन को छोड़ा गया, रामानुज उसके पीछे उसके कूबड़ को पकड़ने के लिए दौड़ा। गोपालन पर दवा से नशा छा रहा था वो बेकाबू हो रहा था उसने अपने सींग से रामानुज को उठा कर पटक दिया। रामानुज ने फिर कोशिश की वो उठा और गोपालन के पीछे दौड़ा लेकिन इस बार उसकी पटक से रामानुज के सर पर गहरी चोट लगी और उसकी मृत्यु हो गई।

 गोपालन उग्र होकर दौड़ रहा था। लोगों ने उसके पूंछ पकड़ने की कोशिश की, ताकि उसे काबू किया जा सके।

 लेकिन नशे के कारण सब बेकार हो गया। मुत्थु की तो जैसे दुनिया ही लुट चुकी थी । पिता का शव लेकर वो घर आया, सारी खुशी, जोश जो बीते कई महीने से सब में थी वो पल भर में खत्म हो गई थी। इसी कारण मुत्थु का परिवार गोपालन से नफरत करने लगा था।

  गोपालन अब थक चुका था, आखिर उसके प्यार की भाषा कौन समझता। यही तो अंतर था, आदमी और पशु में,आदमी अपने प्यार को बता सकता था, गलती को समझा सकता लेकिन उसकी आंखों के प्यार ने उसकी अनजाने में हुई गलती ने ढंक लिया था। अब वो गांव की गलियों में इधर उधर घूमता रहता, किसी ने दया करके कुछ दे दिया तो ठीक वरना भूखे गुजारा कर लेता। उसे यकीन था कि मरने से पहले अम्मा,नयनतारा और मुत्थु उसे जरूर माफ करके अपना लेंगे।

  भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं आखिर गोपालन की प्रार्थना ने असर दिखाया।

  सेतु अपने आवारा दोस्तों के साथ गांव के बाहर खेत में बैठा दारू और ताश की बिसात बिछाए था। उस दिन मुत्थु किसी काम से शहर गया था लौटते समय वो उसी रास्ते गुजरा।

  उन सबको देख वो जल्दी जल्दी जाने लगा।

तभी उसी में से सेतु के एक दोस्त ने उसे छेड़ते हुए कहा "क्यों मुत्थु शहर में मजदूरी करने गया था, ला जो कमा के लाया है।

सेतु ने व्यंग में कहा "ये बेचारा गरीब कहां से देगा?"

 और सब जोर जोर से हंसने लगे।

सेतु के दोस्त ने उसे जबरदस्ती पकड़ कर झुंड में बिठा लिया।

 मुत्थु के न चाहते हुए उन्होंने जबरदस्ती उसके मुंह में दारू का ग्लास लगा दिया।

 सेतु की आंखें नशे के कारण सुर्ख लाल थीं। उसने मुत्थु से कहा "आजकल कहां छुपा रखा है मेरी छमिया को।

  सब ठहाके लगा कर हंस पड़े। तभी सेतु के दोस्त रमन्ना ने कहा " आप कहो भाई तो ले आऊं छमिया को । "

 जोरदार हंसी उसके कानों में गूंज उठी।

  मुत्थु ने पूछा _"क्या कहा तुमने ?"मेरी बहन पर बुरी नजर डालते हो,भूल गए वो दिन जब मेरे पिता ने तुम्हारी हजामत बनाई थी और तुम गांव में मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहे थे। "

 उसकी बात सुन कर किसी में कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई वो और जोर जोर बेशर्मों की तरह हंसने लगे।

 सेतु उठकर खड़ा हो गया और कहने लगा "सुन मुत्थु तेरे बाप ने मुझ पर हाथ उठा कर जो गलती की थी उसकी सजा मैंने दे दी । मैंने ही गोपालन को नशे की गोली दी थी जिसकी वजह से तेरा बाप मरा, और एक बात सुन मेरा बदला अभी पूरा नहीं हुआ, तेरी बहन की गांव के बीच में सरे आम बेइज्जती करूंगा रोक सकना तो रोक लेना। "

 सच जानकर मुत्थु के जैसे पैरों के नीचे जमीन सरक गई थी। वो पल भर के लिए समझ ही नहीं पा रहा था कि जो उसने सुना ये सच है या झूठ।

  वो गुस्से से आपे से बाहर हो गया। उसकी मुट्ठियां भिंच गई, नथुने फड़कने लगे। वो उठा और सेतु पर टूट पड़ा। मुत्थु का कसरती जिस्म सेतु पर तो भारी था लेकिन उसके दोस्तों ने पीछे से मुत्थु को पकड़ लिया और सब मिलकर उसे मारने लगे। गोपालन वहीं दूर एक खेत में था मुत्थु की आवाज सुन दौड़ कर पहुंचा,फिर क्या था उसने अपने सींग से उठा उठा पटकना शुरू कर दिया। सेतु और उसके दोस्तों का नशा काफूर हो चुका था, वे भागने लगे लेकिन गोपालन ने सबको दौड़ा कर अपने सींग से उन्हें मार डाला।

  आज उन दैत्यों का अंत हुआ था, गोपालन की स्वामीभक्ति ने आज पूरे गांव, मुत्थु,अम्मा और नयनतारा को अपनी गलती का अहसास दिला दिया।

 गोपालन अब फिर से उसके परिवार का हिस्सा बन गया था। अगले साल जल्लीकट्टू में गोपालन ने फिर हिस्सा लिया और मुत्थु विजेता बना।

 समाप्त

  

   



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