SANGEETA SINGH

Romance

4  

SANGEETA SINGH

Romance

पिघलती बर्फ

पिघलती बर्फ

13 mins
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 बारिश लगातार हो रही थी ऐसा लग रहा था जैसे बादल फट गया हो।सड़क पूरी पानी से लबालब भर गई थी।अनिरुद्ध को आज बहुत जरूरी काम से ऑफिस जाना था एक फाइल में उसके हस्ताक्षर चाहिए थे ।वैसे देर से भी जाता तो कोई हर्ज नहीं था ,उसने बारिश थमने का थोड़ा इंतजार किया लेकिन बारिश कम होने का नाम नहीं ले रही थी,ऑफिस घर से ज्यादा दूर नहीं था ,आखिरकार उसने फैसला किया की अब घर में बैठने से काम नहीं चलेगा अब निकलना ही होगा।

सड़कें सुनसान थीं। इक्का दुक्का ही गाडियां चल रही थी।अंधेरा भी बढ़ता जा रहा था।गड्ढों में पानी भरने की वजह से गड्ढे दिखाई नहीं दे रहे थे ,इसीलिए अनिरुद्ध को गाड़ी धीरे धीरे ही चलाना पड़ रहा था।

 अचानक उसने देखा बस स्टैंड पर अकेली सामान सहित एक महिला खड़ी थी। वो इक्का दुक्का चलने वाले ऑटो को हाथ दे रही थी लेकिन कोई रुकने को तैयार नहीं था ,सबको इस बारिश में घर पहुंचने की जल्दी लगी थी।शहर में येलो अलर्ट था।

 शायद कहीं बाहर से आई होगी बेचारी ,अनिरुद्ध ने सोचा। समाज कल्याण का कीड़ा अनिरुद्ध को बचपन से था ,इसी समाज कल्याण ने उससे उसकी जिंदगी भी छीन ली थी।

 उसने कार धीमी की,और छाता लेकर कार से उतरा।जैसे वो उस महिला के पास पहुंचा ,खुशी और आश्चर्य मिश्रित चीख निकल गई सिमी......।

 सिमी ने हैरत की नज़र से उस अजनबी की ओर देखा।चेहरा जाना पहचाना लगा लेकिन कौन?दिमाग पर बल डालती ,अपने कपड़ों को और अच्छे से लपेटने लगी।

 तभी फिर आवाज गूंजी "सिमी ..बारिश बहुत हो रही है ,आओ मेरे साथ मैं तुमको जहां जाना होगा छोड़ दूंगा।"_उस व्यक्ति ने कहा।

एक पल अनिरुद्ध का चेहरा उसकी नजरों के सामने आ गया।क्या ये अनिरुद्ध है !वही आवाज़,लेकिन अनिरुद्ध तो कितना स्मार्ट था अपने लुक को लेकर खासा अलर्ट रहता।क्या 53 की उम्र में वो इतना बुजुर्ग दिखने लगेगा,पेट बाहर को निकल आया।

 तभी फिर से आवाज़ आई ",जल्दी बैठो,पागल औरत पहले भी किसी की नहीं सुनती थी आज भी ।आसमान की ओर देखता अनिरुद्ध पानी के कारण गीला हुआ जा रहा था।

 सिमी चुपचाप कार में बैठ गई।अनिरुद्ध ने उसका सामान डिक्की में डाल दिया।

कुछ देर दोनों शांत रहे।आखिर सिम्मी ने पूछा_"तुम अनिरुद्ध हो न?"

" अब तुम्हें पहचानने में इतना समय लग रहा।अब मैं तुम्हारी यादों में भी नहीं हूं।"_अनिरुद्ध ने ताना मारा।

 "याद उन्हें किया जाता है जिससे आपका कोई संबंध हो।जो किसी और का हो उसे क्या याद करें"_सिमी ने तपाक से उत्तर दिया।

 इससे पहले अनिरुद्ध कुछ कहता ,सिमी ने संकोच से कहा _" मुझे गेस्ट हाउस छोड़ देना।"

 अनिरुद्ध ने धीरे से कहा _ कौन सा गेस्ट हाउस?

 वहीं गंज में जो विधायक आवास के सामने है।

अनिरुद्ध ने कहा _ओके!अगर तुम बुरा न मानो तो मैं दो मिनट अपने ऑफिस होकर आता हूं,एक फाइल साइन करनी है।

 सिमी ने हामी में सर हिलाया।

 अनिरुद्ध ने पूछा_तुम्हारे पति नहीं आए ?

क्यों मीटिंग में उनका क्या काम_सिमी की आवाज़ में गुस्सा था ,शायद वो इस सवाल से खुश नहीं थी।

 अनिरुद्ध ने कहा _अरे यहां शहर घूम लेते,और माहौल को बोझिल होने से पहले ,एफएम ऑन कर दिया। 

 आरजे ने ये कहते हुए गाना प्ले किया "ये उन प्रेमियों के लिए है,जो लंबे अंतराल के बिछड़े अचानक एक मोड़ पर आ मिले हों

"तेरी उम्मीद तेरा इंतजार करते हैं।

ऐ सनम हम तो सिर्फ तुमसे प्यार करते हैं।"

ख्वाब आंखों में अब नहीं आते।

अब तो पलकों में तुम समाए हो।"

सिमी के चेहरे पर अजीब सी मुस्कान फैल गई।

 तब तक अनिरुद्ध का ऑफिस आ गया था ,अनिरुद्ध ने कार रोक दी और तेज कदमों से ऑफिस की ओर चल पड़ा।

सिमी अतीत में खो गई।

 कॉलेज का अंतिम साल ,पूरे दो साल दोनों अजनबी रहे लेकिन फेयरवेल पार्टी की तैयारी में दोनों ने साथ खूब रिहर्सल किया था इस दरम्यान दोनों के बीच काफी नजदीकियां बढ़ गई थीं।

उनके शानदार परफॉर्मेंस की वजह से मिस और मिस्टर फेयरवेल मिला था। सभी की नजरों में ये परफेक्ट मैच था।दोनों ने नंबर एक्सचेंज किया और आगे 

भविष्य की तैयारी में जुट गए।

अनिरुद्ध के पिता का कारोबार था ,उनके कहने पर अनिरुद्ध को उनके साथ ऑफिस ज्वाइन करना पड़ा,और सिमी ने कंपटीशन की तैयारी जारी की।सिमी मिडिल क्लास परिवार से थी।एक भाई जिसकी शादी हो चुकी थी ,पिता और वो।चार जने का परिवार था।जब भी फुरसत मिलती अनिरुद्ध ,उससे मिलने आ जाता।दिन महीने साल बीत रहे थे ,प्यार के दो पंछी उन्मुक्त गगन में पंख लगा उड़ रहे थे।इसी बीच उसका बैंक में क्लर्क में सिलेक्शन हो गया।

 वो दिन वो कैसे भूल सकती है,जब उसने अनिरुद्ध को बताया उसका सिलेक्शन बैंक में हो गया है और अनिरुद्ध ने बड़े दंभ से कहा सिंघानिया की बहू क्लर्क की नौकरी करेगी।

 सिमी का मुंह उतर गया "क्यों क्या खराबी है।"

 अरे मेरी जान आज मैं मम्मी, डैडी से तुम्हें मिलाने जा रहा हूं।बहुत हो गया छुप छुप कर मिलना ,वैसे भी अब मेरे ऊपर शादी का दबाव बढ़ रहा है ,कहीं मम्मी कोई लड़की न थोप दें ,इससे अच्छा है कि वो अपनी होने वाली बहू से मिल लें_अनिरुद्ध ने उसके माथे को चूमते हुए कहा था । उस समय वो उसकी बाहों में खुद को दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की समझ रही थी।

वो अतीत की यादों से उबरी क्योंकि 

 अनिरुद्ध ऑफिस से आ गया ,और सॉरी कहता कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।यादों के उस खूबसूरत लम्हें, जो अनिरुद्ध के आने पर बिखर गए,सिमी के ओंठो की मुस्कान पल भर में ले गए।

 सिमी ने पूछा "किस बात की सॉरी"।

"अरे मुझे लगा शायद मुझे देर न हो गई हो और तुम बैठी बैठी बोर न हो गई हो"_अनिरुद्ध ने डरते हुए कहा।

"तुम्हें मेरी कब से परवाह होने लगी "_,शुष्क स्वर था सिमी का।

 "गेस्ट हाउस आ गया",_अनिरुद्ध ने कहा,और कार पार्किंग में लगा कर उसका सामान निकालने लगा।

 तब तक गेस्ट हाउस का वॉचमैन आकर समान अंदर ले जाने में मदद करने लगता है।

 अनिरुद्ध ने कहा "अब चलता हूं , तुम्हें भी फ्रेश होना होगा।"

हुंह,मेरे लिए इसके पास समय ही कहां रहा सिमी ने मन ही मन सोचा , कम से कम इस बरसात में एक कप चाय ही पी लेता।

 तभी अनिरुद्ध को छींक आने लगी ,एक के बाद कई छींक एक साथ।

 सिमी घबरा गई।उसने कहा कमरे में चलो ,तुम ज्यादा भींग गए हो मेरे कारण लगता है, सर्दी लग गई है।जूते खोल दो , मोजे गीले होंगे सर्दी और लग जाएगी।

 अनिरुद्ध बिना कहे ,चौकीदार और सिमी के साथ उसके पीछे हो लिया।

 चौकीदार ने दरवाजा खोला और सामान रख कर चला गया।तभी मेस से एक लड़का वहां आया और उसने पूछा चाय पकौड़े लाऊं,मैडम रात का खाना 8 बजे तक बन जाएगा।

 सिमी ने हां में सर हिलाया और बोली चाय में अदरक ज्यादा डालना,अनिरुद्ध को अदरक वाली चाय बेहद पसंद थी।चाय के स्टॉल पर बैठ अनिरुद्ध कॉलेज के दिनों अदरक वाली चाय ही पिया करता था,वो उसे आते जाते देखा करती थी। 

लड़के ने हामी भरी और चला गया।अनिरुद्ध ने जूते मोजे खोल दिए ।

 वहां कुर्सी पर बैठ गया।उसके कपड़े गीले थे।

 सिमी ने कहा शरमा रहे हो क्या ?टॉवेल लपेट के कपड़े सुखा लो।तब तक मैं फ्रेश हो कर आती हूं।

 सिमी अपने कपड़े लेकर फ्रेश होने चली गई।अनिरुद्ध ने कपड़े चेंज कर उसे पंखे में सूखने के लिए डाल दिया।सिमी थोड़ी देर में बॉथरूम से निकली ,उसकी नजर अनिरुद्ध के ऊपर पड़ी ,अनिरुद्ध वहां पड़ी मैगजीन देख रहा था और रह रह कर छींक से उसकी आंखें लाल हो गई थीं।

 सिमी 27 साल बाद अनिरुद्ध को देख रही थी।कितना प्यार करती थी अनिरुद्ध से लेकिन अनिरुद्ध ने कैसे उसे धोखा दिया था ।उसकी बेवफाई को भूलने के लिए उसने ये शहर ही छोड़ दिया था ,और मेहनत कर अपना मुकाम हासिल किया आज वो नाबार्ड बैंक में अधिकारी थी।मीटिंग के सिलसिले में आना हुआ था ,ट्रांसफर देश के किसी भी शहर में हो जाता था।

सिमी आकर अनिरुद्ध के पास बैठ गई ,कितनी प्यारी लग रही है सिमी और कॉन्फिडेंट भी।कॉन्फिडेंट तो पहले भी थी_,अनिरुद्ध सोच रहा था।

 तभी सिमी की आवाज़ से वो अपनी सोच से बाहर निकला ।

 अनिरुद्ध घर मुग्धा को फोन कर लो,बेचारी चिंता कर रही होगी।बारिश रुकते ही चले जाना।

 अनिरुद्ध कुछ भी नहीं बोला।औरतों की आदत होती है ,अगर उन्हें जवाब न मिले तो वे और हावी हो जाती हैं और किसी तरह अपनी बात का जवाब लेकर ही दम लेती हैं।

 सिमी ने फिर अग्निवाण छोड़ा "शायद मेरे यहां होने के कारण तुम हिचक रहे हो ।मैं कान में ईयरफोन लगा लेती हूं।बारिश न हो रही होती तो मैं तुम्हें रोकती भी नहीं।"

 अनिरुद्ध चुप रहा ।उसकी चुप्पी सिमी को परेशान कर रही थी ।वो चाहती थी कि अनिरुद्ध बोले और वो अपने सालों की भड़ास निकाल सके।

 तब तक अदरक वाली गरमागरम चाय और पकौड़े आ गए।

 अनिरुद्ध को चाय की सख्त जरूरत थी उसका सर दर्द से फटा जा रहा था। दोनों ने चाय और पकौड़े खाए।अनिरुद्ध ने कहा _सिमी तुमने अपने घर फोन नहीं किया कि तुम सकुशल पहुंच गई हो।अब मैं चलता हूं कपड़े सूख गए हैं।

 सिमी हड़बड़ा कर बोली "फोन नहीं लग रहा मैने मैसेज कर दिया है।

 "अभी तो बारिश हो रही है ,"_सिमी ने कहा।

बारिश पता नहीं कब रुकेगी ?और कार से ही तो जाना है थोड़ा आने जाने में भींग जाऊंगा तो कौन सा मर जाऊंगा। तुम्हें भी आराम करना होगा ,सफर कर के आई हो_अनिरुद्ध ने कहा।

सिमी की आंखें भर आईं। उसने कुछ नहीं कहा।अनिरुद्ध कपड़े लेकर वाश रूम चला गया।

 तभी उसका फोन बजा ,रामू काका का फोन आ रहा था।

सिमी उसे बजते सुनती रही ,थोड़ी देर में फोन की आवाज बंद हुई तो वॉलपेपर में सिमी की फोटो देख सिमी चौंकी।

 उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि अनिरुद्ध के फोन में उसकी फोटो क्या कर रही है?

 तब तक अनिरुद्ध आ चुका था उसने हड़बड़ाते हुए फोन देखा ।रामू काका का फोन देख उसने उन्हें फोन किया "हैलो रामू काका मैं घर आ रहा हूं,खाना बना लीजिएगा ,बारिश के कारण देर हो गई"और इतना कह उसने फोन रख दिया।

 अब सिमी और भी अधीर हो गई ।रामू काका अनिरुद्ध के घर में काम करते थे ,अनिरुद्ध के डैडी उन्हें गांव से लाए थे।सभी उनसे बहुत स्नेह करते थे इसी कारण उन्हें घर के सदस्य के जैसे मान दिया जाता था कभी उन्हें महसूस नहीं होने दिया कि वो नौकर हैं।

 सिमी ने अनिरुद्ध को झिंझोड़ते हुए पूछा "इतनी देर हम साथ रहे ,तुमने कुछ भी घर के लोगों के बारे में नहीं बताया।"अब जा रहे हो कम से कम कुछ तो बताते जाओ,मम्मी , डैडी और अपनी वाइफ ,बच्चों के बारे में।

 अनिरुद्ध ने पीछे मुंह कर लिया और कहा " तुम्हें अचानक मेरे बारे में मेरे परिवार के बारे में जानने में क्यों दिलचस्पी होने लगी।"

 हां हां मैं तुम्हारी थी ही कौन? अगर मैं तुम्हारे लिए मायने रखती तो मुग्धा की तुम्हारी जिंदगी में मुझसे ज्यादा अहमियत न होती।

कितना प्यार किया था मैंने लेकिन तुमने मुझे धोखा दिया।मुझे पहले ही बता देते कि मुग्धा ही तुम्हारे लिए सब कुछ है,मैं कभी तुम्हारे सामने न आती_सिमी का धैर्य टूट चुका था उसकी वाणी तीव्र हो गई थी वो तो गनीमत थी कि बारिश की तेज़ आवाज़ ने उसकी आवाज को खुद में समेट लिया था।

 वो बड़बड़ाती का रही थी ,भला बुरा कहती जा रही थी।

 अनिरुद्ध मुड़ा और गुस्से में बिफर पड़ा ,उसका कंधा झकझोरते हुए उसने कहा"क्या जानना चाहती हो तुम ?जब जानना था तो कभी खैर खबर भी नहीं ली,इतने सालों बाद अपने सुखी संसार में मुझ बेवफा को कहां ले आई।

 सिमी एक दम से अनिरुद्ध को गुस्सा देख सहम गई।

अनिरुद्ध ने कहा "मुग्धा मुग्धा ....।क्या जानती हो मुग्धा के बारे में ।जिस मुग्धा के कारण तुम मुझको सुहागरात के दिन छोड़ गई थी थोड़ा इंतजार तो किया होता मेरे लौटने तक का।तुमको पता था हमारा क्या रिश्ता था हम दोनों का रिश्ता भाई बहन का था।सिमी चौंक कर धम्म से बिस्तर पर बैठ गई।उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वो खुद अपने घरौंदे को उजाड़ने की जिम्मेदार थी।

अनिरुद्ध कह रहा था ,मुग्धा के पापा मम्मी हमारे फैमिली फ्रेंड थे उनकी एक हादसे में मृत्यु हो गई थी।डैडी ही उनका कारोबार देख रहे थे।उन्हें लगता था मुग्धा अपनी पढ़ाई पूरी कर लेगी तो वे कंपनी उसके हवाले कर देंगे।लेकिन एक दिन कॉलेज में उसे उल्टी हुई मैं उसे डॉक्टर के पास ले गया तो डॉक्टर ने जांच कर बताया उसे ब्लड कैंसर है।ये बात मेरे भैया भाभी को नहीं पता थी ,क्योंकि वो दोनों विदेश में सेटल हो गए थे और कभी कभी इंडिया आते थे।भाभी अपनी बहन के साथ मेरी शादी करवाना चाहती थीं,इसके लिए उन्होंने कई बार मम्मी पर दबाव डाला पर मम्मी और डैडी मेरी खुशी को ही अपनी खुशी समझते थे उन्होंने फैसला पूरी तरह मेरे ऊपर छोड़ दिया था।इलाज के लिए डैडी ने बड़े बड़े डॉक्टरों से कंसल्ट किया लेकिन सबने बताया कि अब वो कम दिनों की मेहमान है उसका कैंसर लास्ट स्टेज में है।उसने जिद की कि वो मेरी और तुम्हारी शादी देखना चाहती है,और विडंबना तो देखो उसकी तबियत उसी दिन खराब हो गई ,और सुहागरात के दिन अचानक डैडी को डॉक्टर का फोन आया कि वो अब इस दुनिया में नहीं रही।

 मै बदहवास भागा ,मम्मी डैडी और भैया भी मेरे साथ गये।हॉस्पिटल जाकर 

सारी फॉर्मेलिटी की ,उसके रिश्तेदारों और उसकी अंतिम संस्कार की तैयारी सब मुझे ही देखनी थी।मेरी गलती इतनी थी कि मैं तुम्हें बता नहीं पाया।अंतिम संस्कार के बाद जब मैने तुम्हें फोन किया तो तुम्हारा फोन बंद बताने लगा।

घर आया तो भाभी ने बताया कि तुम घर छोड़ कर जा चुकी हो।

 अब पूरी बात सिमी की समझ में आ गई थी ,क्यों भाभी ने अनिरुद्ध और मुग्धा के संबंध को लेकर उल्टी सीधी बातें बताई ,वो तब तक मेरा ब्रेन वाश करती रहीं जब तक मैं घर छोड़ने के लिए तैयार नहीं हो गई।

अनिरुद्ध कहता जा रहा था ,तेरह दिन तक मैं व्यस्त रहा ।उसी दौरान डैडी की भी तबियत खराब हो गई। डैडी को हार्ट अटैक आ गया और वो इस दुनिया को छोड़ चले गए।तुम्हारे घर फोन किया गया लेकिन तुम्हारे पापा ने मेरी बात सुने बिना ही तुमसे दूर रहने और दुबारा फोन नहीं करने को कहा।उन्होंने मुझे धमकी दी कि हम तुम्हें महिला उत्पीडन के केस में अंदर करा देंगे।

हम पर गमों का पहाड़ टूट चुका था,कंपनी के शेयर भी नीचे जा रहे थे।मैने भईया भाभी को रूक कर बिजनेस में मेरी मदद करने को कहा वो राजी नहीं हुए और चले गए। मैने पूरी तरह खुद को बिजनेस को खड़ा करने में लगा दिया ।

 मम्मी हमेशा कहती कि जा एक बार बहू से मिल आ ,उसे अपनी बात समझा ,उसे लेकर आ।आखिर जब सब ठीक हो गया तो मैं तुम्हारे घर गया ,तुम्हारे पिता ने दरवाजा खोला और बताया कि तुम सेटल होकर दूसरे शहर में हो और तुम्हारी शादी हो गई है।मैंने उनसे एड्रेस मांगा तो उन्होंने देने से इंकार किया और सख्त हिदायत दी कि तुमसे दूर रहूं।मैं लौट आया ,कुछ महीनों बाद मम्मी भी चल बसीं।भाभी ने बहुत दबाव डाला कि अब भी उनकी बहन मेरा इंतजार कर रही लेकिन मैने किसी से शादी नहीं की।मेरा शादी जैसे संस्कार से नफ़रत हो गई।

अनिरुद्ध इतना कह कर चुप हो गया।

सिमी के शरीर से जैसे किसी ने पूरा रक्त निचोड़ लिया हो।इतना बड़ा धोखा उसके पिता ने उसके साथ किया ,आखिर क्यों?

उन्होंने कभी बताया ही नहीं कि अनिरुद्ध मुझे लेने आया था ,अपनी बात मेरे सामने रखने आया था ।उन्होंने तुम्हारे बारे में एक बार इतना ही बताया कि उसकी शादी हो गई है ,और मैं उसे भूल जाऊं।

अनिरुद्ध धीरे से बिस्तर पर बैठ गया ,तुम्हारे पिता ने ये सब मेरी भाभी के कहने पर किया था ,उन्होंने उन्हें पैसे दिए थे।सिमी ने अनिरुद्ध की ओर सवालिया अंदाज में देखा।

 इस बार जब भाभी आई थी तो वो फोन पर अपनी बहन से बात कर रही थीं ,मेरी कार की चाभी उनके कमरे में रह गई थी ,मैं उसे लेने गया तो उनके खिलखिलाने की आवाज सुन ठिठक गया ,वो अपनी बहन से कह रही थीं रिया जानती हो ,वो तेरा नहीं हुआ तो मैंने भी उसे किसी का होने नहीं दिया।वो मिडिल क्लास मेरी देवरानी जो लेकर आया था ,मैने उसके बूढ़े बाप के मुंह पर चंद नोट की गड्डी मारी और वही कहलवाया जो मैं चाहती थी।

मैं उल्टे पांव वापस लौट आया।सच अब मेरे सामने था ,लेकिन तुम नहीं थी जिसे ये मैं बता पाता।मैने संतोष कर लिया कि तुम्हारा हमारा मिलन इस जन्म में नहीं है।

 सिमी अब अपने आप को रोक नहीं सकी,वो अनिरुद्ध की चौड़ी छाती में जाकर समा गई। मैं तुम्हारी हूं अनिरुद्ध ,मैने शादी नहीं की।आज कुदरत ने हमें मिलाया है।नारी स्पर्श और पुरुष स्पर्श जन्मों से बिछड़े दो बदनसीब बिजली की गड़गड़ाहट के साथ एक हो रहे थे।


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