SANGEETA SINGH

Tragedy

4.0  

SANGEETA SINGH

Tragedy

तूने क्या किया?

तूने क्या किया?

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  " सुगना तेरे ससुराल से खबर आई है ,जल्दी तैयार हो जा तेरे पति ने आत्महत्या कर ली है" रमा हांफती हुई बोली। वो उसे खोजती हुई बाग में पहुंची तो बुरी तरह हांफ रही थी।

  हाथों में मेहंदी, हरी हरी चूड़ियों से भरी कलाई, सुगना झूले पर सहेलियों संग पींगे मार रही थी, और बिरजू की शरारतें बता बता शरमा रही थी।

   अचानक ऐसी खबर सुन सुगना का दिल जोरों से धड़कने लगा ,वो गश खाकर गिरने ही वाली थी की राधा ने संभाल लिया।उसने एक चिट्ठी सुगना को पकड़ाई। सुगना पढ़ने की स्थिति में नहीं थी ।वो तो अतीत में खोती चली गई।

   किस्मत भी क्या खेल खेलती है। अभी पिछले महीने आषाढ़ के आद्रा नक्षत्र में उसने बिरजू के साथ धान के बेरन लगाई थी । आसमान में बादल घिर आए थे ,दादुर, मेढक पपीहे की आवाज़ से प्रकृति झूमने लगी । मन झूम उठा ,गीत होंठों से स्वरलहरियो की तरह निकलने लगे,गांव की भौजायियों और ननदों ने उसकी और बिरजू की खूब खिंचाई की। रुनझुन खोला न केवड़िया..हम विदेशवा जाइबे नहीं, गीत गाकर सुगना ने सबका मन मोह लिया था। हंसी,उ ल्लास से धान बुवाई एक त्योहार बन गया था।

  सावन आ गया ,बहन बेटियां अपने मायके जा रहीं थीं। सुगना का भाई भी सुगना को लिवाने आ गया।सुगना बिरजू से लिपट कर बहुत रोई थी ,उसे पीहर जाने की इच्छा नहीं थी ,पर सहेलियों संग गप्पे लड़ाने ,मदमस्त घूमने का संवरण भी नहीं छूट रहा था। बिरजू ने कहा था "जा सुगना ,रक्षाबंधन के बाद तुझे लेने आऊंगा। इस बार फसल अच्छी हुई तो सारा कर्ज चुका कर तुझे शहर दिखाने ले जाऊंगा।वहां हम सिनेमा देखेंगे, और तुझे ढेर सारी लाली_लिपस्टिक ,और कपड़े खरीद दूंगा।

  धान लगाते जैसे इंद्रदेव रूष्ट ही हो गए। सूर्य देव ने अपना रौद्र रूप दिखाया ,तेज धूप से धान सूखने लगे।बिरजू ने एक दो बार पंप से सिंचाई की। बचे खुचे पैसे भी सिंचाई में चले गए। उधर अपनी शादी में लाला से जी खर्चा लिया था ,उसका तकादा करने रोज ही लाला के आदमी आ आकर धमकाने लगा। अब बिरजू को कोई उम्मीद की किरण नज़र नहीं आ रही थी ।रक्षाबंधन आने वाला था वो किस मुंह से सुगना को विदा कराने आता, उसने सुगना को दिया ही क्या था ,एक वादा किया था वो भी पूरा न कर पाया इससे अच्छा वो अपनी जीवनलीला ही समाप्त कर दे। उसने आत्महत्या करने से पहले ,सुगना के लिए चिट्ठी लिख कर उसके गांव की एक आदमी को दे दिया "जिसमें उसने लिखा था 

   "प्यारी मेरी सोन चिरैया

  मैं तुम्हें कोई सुख न दे पाया ,शायद मैं तुम्हारे काबिल नहीं । मैं जा रहा हूं बहुत दूर, तुम्हारी उम्र ही क्या है ,किसी और से ब्याह कर लेना।

     तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा 

          बिरजू

 सुगना की दुनिया उजड़ चुकी थी। मानसून ने धोखा दे दिया। हमारे देश की कृषि मॉनसून पर निर्भर है ,अतिवृष्टि और अनावृष्टि किसानों के लिए शाप है ,कर्ज तले दबे किसान बस उम्मीद पर ही जीते हैं।



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