Akshat Garhwal

Action Thriller

4  

Akshat Garhwal

Action Thriller

ट्विलाइट किलर भाग -6

ट्विलाइट किलर भाग -6

15 mins
380


आसुना सो रही थी इसलिए अतुल और हिमांशु ही अपनी गाड़ी निकाल कर पुरानी रेलवे लाइन की ओर चल दिये। जहां से अतुल का घर पड़ता था वहाँ से तो आगे का पूरा रास्ता गांव का था पर अच्छी सफाई व्यवस्था के कारण वहां पर किसी भी तरह की गंदगी नहीं थी, एक पुराना पेड़ों से घिरा हुआ रस्ता था जहाँ की मिट्टी अक्सर बारिश में दलदल सी बदल जाती थी वहाँ से गुजरते हुए अतुल को दूर एक पुरानी सी ट्रेन दिखी जो बाकियों की तुलना में छोटी दिख रही थी। अतुल इस जगह को अच्छे से पहचानता था

“अरे यह तो पुराने स्टेशन का वो हिस्सा है ना जिसे किसी भी उपयोग में नहीं लाया गया था, इसलिए तो इसकी हालात इतनी खराब हो गयी है!”

“यह जगह पहले कुछ गुंडों का अड्डा हुआ करता था, मैंने सुना था वो ड्रग्स का धंधा करते थे....” हिमांशु गाड़ी को उस पुरानी टूटी हुई ट्रेन की ओर मोड़ता हुआ बोला

“हाँ, पर कुछ महीनों पहले ही वो गुंडे अचानक ही कहीं...चले..गए थे....., “ अचानक ही अतुल को किसी बात का अंदाजा हुआ “तुमने उन लोगों को गायब कर दिया था क्या?”

“हाँ, और जब से तू यहाँ आया है ना.....शायद 3 महीने हो गए। तब से ही मैंने इस जगह पर तुझे घर दिलवाया...वो जो ब्रोकर तुझे यह घर सस्ते में पकड़ा कर गया था न वह मेरी ही बदौलत थी” हिमांशु ने पूरे स्वाभिमान के साथ कहा

“इसका मतलब जब से मेरा ट्रांसफर यहाँ पर हुआ है तब से ही तू मुझ पर नजर रखे हुए था?....”

“ और क्या? मुझे तो मालूम था कि तू यहाँ पर एक घर जरूर देखेगा, वैसे तो तूने ही मुझे बताया था कि तू घर लेने की सोच रहा है...इसलिए इसी जगह पर मैंने तुझे यह घर दिलवा दिया.....” हिमांशु ने मुस्कुराते हुए गाड़ी रोकी “...पर यह बात नित्या को मत बताना.....वरना गुस्सा करेगी”

“अबे साले एक बार बता ही देता की तू यहाँ पर कुछ करने के चक्कर में है, बिल्कुल ही जासूस बना जा रहा है” अतुल ने उसका गाल खींचते हुए कहा, वो दोनों ही एक दूसरे से नजर मिलते हुए मुस्कुरा पड़े।

उनके सामने लंबी घुटनो तक सगी हुई घांस थी जिसमें कुछ घांस दबी हुई थी जैसे कोई वहाँ रास्ता बना कर आगे गया हो। उस पुरानी ट्रेन के पहिए नहीं थे, पूरा वातावरण शहरी क्षेत्र से दूर था और तो ओर नए ट्रेन स्टेशन की लाइन भी काफी दूर थीं और पेड़ों की उठी हुई कतारें इस जगह का दृश्य रोक देती थी जिस कारण यह काफी खुफिया जगह थी, बेस के लिए एक दम सही पर.......

“यार यहाँ तो दूर-दूर तक कोई भी इमारत जैसी जगह है ही नहीं, तो फिर बेस क्या घांस में बनाया है?” अतुल ने दोनों हाथ मुट्ठी बांध कर कमर पर हाथ रख लिए।

अभी वो हर जगह नजरें ही दौड़ा रहा था कि तभी.....पेड़ों और घांस के पास आवाज हुई, अतुल एकदम सतर्क हो गया। वह कभी भी अपनी पर्सनल गन खुद से दूर नहीं करता था, पिस्टल का एक पुराना मॉडल था पर उसमें 12 गोलियों का मैगजीन डलता था। उसने अपनी पिस्टल उस झुरमुट की ओर तान ली और हिमांशु को कवर देते हुए उसके पास आ गया,

“मुझे लगता है किसी को इस जगह के बारे में पता चल गया है! वो जरूर हमारा ही इंतजार कर रहे थे!” अतुल फुसफुसाया, अगली बार आवाज 4 जगहों से आई और अतुल को अंदाज हो गया कि वो लोग घिर गए थे। पे वह घबराया नहीं और चारों और ध्यान से देखने लगा, ताकि कहीं पर तो किसी का शरीर दिखे ताकि वो गोली चला सके! तभी एक लकड़ी के कवर वाला मोटा चपटा चाकू उसकी गर्दन पर पीछे से सट गया, अतुल को बिल्कुल भी पता नहीं चला और फिर उसे कान में एक आवाज सुनाई दी

“चेक-मेट...!” और जोर का ठहाका लगाते हुए, उन झाड़ियों में से चार लोग निकले। सभी ने शर्ट पेंट पहन रखे थे, 3 लड़के और 1 लड़की। ये सारा का सार किया धरा हिमांशु का ही था जो अतुल का होश उड़ा हुआ चेहरा देख कर बहुत ही मजेदार चेहरा बना रहा था, जैसे वो हंसी को कंट्रोल करने की नाकाम कोशिश कर रहा हो। अतुल समझ गया कि ये साला उसके साथ मजाक कर रहा था, उसका मुंह बन गया

“क्या यार! ये कैसा मजाक है.....मैं यहाँ पर लड़ने के लिए तैयार हो गया था और तू है कि हंसे जा रहा है”

“अबे यार, तुझे भरोसा नहीं है क्या?...जब मैंने इस जगह को अपना बेस बनाया तो सुरक्षा न होने का तो सवाल ही नहीं आता”

अतुल ने हिमांशु से उसका चपटा चाकू छुड़ा लिया, उसका मुंह बना हुआ था जैसे किसी ने गुलाबजामुन बोल कर करेला खिला दिया हो...पर वह गुस्से में नहीं था। वह उन 5चों को देख रहा था

“अब इस चाकू की क्या कहानी है?” अतुल ने टॉपिक बदला

“चाकू नहीं भाई, चॉपर कहते है इसे!....पिछले मिशन के दौरान एक अपराधी को हर कर उस से ले लिया था, बहुत ही काम का हथियार है भाई...तभी से यह मेरा सिग्नेचर वेपन बन गया!..कैसा लगा?”

“अगर तूने लिया है तो अच्छा ही होगा? पर देख कर ऐसा लग रहा है जैसे सालों पुराना हो...काफी भारी भी है” अतुल की बात सुनते ही हिमांशु की आंखों में एकदम से चमक सी आ गयी पर फिर उसे उस चमक को छुपा लिया जैसे वह सच में कुछ छुपा रहा हो!

“अच्छा चल मैं अपनी टीम के इन 4 साथियों से मिलवाता हूँ, वैसे तो ये सभी मेरे जूनियर ही पर मुझे इन पर सबसे ज्यादा भरोसा है” हिमांशु ने उन चारों को पास आने का इशारा किया, वो सभी अतुल के सामने खड़े हुए थे, एकदम अनुशासन में।

“लेडीज फर्स्ट!” हिमांशु ने उस सांवले रंग की लड़की की तरफ इशारा किया, जिसकी हाइट 5.5 रही होगी..छरहरा और तेज बदन था उसका “ये है हमारी टीम की स्नाइपर और बैकअप, मिस टीना राव है। वैसे तो ये मुख्य तौर पर आतंकवादियों से जुड़े हुए मिशन करती है पर इस केस की नजाकत को

देखते हुए मैने इन्हें यहीं पर बुला लिया, मुझे लगता है टीना का हमारे साथ होना बहुत कारगार साबित होगा”

“आपके साथ काम करना हमेशा से ही मेरा सपना था, इसलिए आपके आमंत्रण के लिए शुक्रिया” हिमांशु से बात खत्म करके टीना ने अतुल की तरफ हाथ बढ़ाया, अतुल एक पल के लिए अवाक था, जैसे वो किसी ख्याल में खो गया हो। पर उसने अपने भाव ठीक किये और एक मुस्कान के साथ टीना का हाथ मिलाया।

“ये भाई हमारी टीम का टेक्नीशियन है, नाम है पुनीत अग्रवाल” एक दुबला सा गोर रंग का लड़का जिसने गोल चश्मा पहन रखा था, शायद उसे आंख का चश्मा लगा था, उसकी ऊंचाई भी टीना के बराबर ही थी “ये हमारी टीम को टेक्निकल सपोर्ट देगा, वैसे बता दूं कि यह सिर्फ 18 साल का है और टेक्नोलॉजी के मामले में इसका ज्ञान काबिले तरफ है” अतुल और पुनीत ने हाथ मिलाया

“ये है राघव दत्त और राम पटेल! दोनों ही बहुत जबरदस्त सिपाही है, ये ज्यादार मुख्य लाइन में काम करते है। इन से अच्छे बंदूकधारी योद्धा बहुत ही मुश्किल से मिलते है....” अतुल ने दोनों से हाथ मिलाया

वो दोनों ही काफी हास्टपुस्ट थे, हाइट में हिमांशु से थोड़े ही छोटे होंगे, 5.9 के करीब और दोनों की शर्ट में से ही उनका निखरा और बलशाली शरीर साफ दिख रहा था। उनकी बाजुए मोटी और नसों से भरी हुई थी, पर दोनों के चेहरे एक दम खिले हुए थे जैसे खूनखराबा उनके काम में था ही नहीं।

“चलो अब अपने बेस में चलते है” इतना कहते ही वो चारों आगे चलते हुए उस पुरानी ट्रेन की ओर चलने लगे। अतुल ने कुछ भी नहीं कहा, भला वह कहता भी क्या? ये सभी उसकी उम्मीद और यज्ञता से बहुत आगे थे, एक तो 18 साल का बच्चा ही था पर उसने असल युद्धभूमि में कदम कब का रख लिया था। उन सभी के आगे तो अभी अतुल बच्चा ही था, एक पुराने डिब्बे के पास आकर वो सभी रुक गए, फिर सभी उसमें एक के बाद एक चढ़ गए। पूरा का पूरा डब्बा जंग लगा हुआ था, यहाँ पर कही पर भी ऐसी कोई भी जगह नहीं थी जिसे बेस कहा जा सके? ‘पता नहीं यहां से कहाँ जाना अतुल के मन में सवाल तो था पर वो हिमांशु पर अपना भरोसा रखता था। टीना आगे कि तरफ बढ़ी और डिब्बे के बिल्कुल बीच में जाकर नीचे उसकी साथ पर हाथ रख दिया! 1...2...3...और एक हल्की सी बीप की आवाज सुनाई दी, वो जंग लगा हुआ बीच का एक चौकोर हिस्सा किसी बक्से के ढक्कन की तरह बाहर की तरफ आ गया! ऊपर से तो सब जगह ही जंग थी पर अंदर से वो लोहे का ढक्कन बहुत नया दिख रहा था, अतुल को तो यकीन ही नहीं हो रहा था, वह बड़ी आंखों से उन सभी को अंदर जाते हुए देख रहा था।

“अब यहीं खड़े रह कर धूल खाने का इरादा है क्या?...चल अंदर!” हिमांशु ने अतुल को उसके आश्चर्य से भर निकाला और उसे धीरे से धक्का देते हुए नीचे जाने को कहा।

बाकी 4 तो जा चुके थे, फिर अतुल गया....बाहर थोड़ी नजर मारते हुए हिमांशु भी अंदर गया और ऊपर से खींच कर वो ढक्कन लगा दिया, उस ढक्कन के बंद होने से कोई भी आवाज नहीं हुई जैसे वो साउंडप्रूफ हो।

अंडर के नजारे ने तो अतुल को रोमांचित ही कर दिया, भूल से रंग की दीवारें थी जहाँ पर वो सभी खड़े हुए थे वो जैसे कोई कपड़े बदलने की जगह जैसा चैम्बर था, वो आयताकार था,, उसकी दीवारों पर कुछ pvc किट रखी हुई थी जो सफाई के काम आती है, कुछ अग्निशामक सिलिंडर जमीन पर कोने में रखे हुए थे, दीवार से ही सत कर बेंच निकली हुई थी दोनों तरफ जिनमे से एक तरफ 3 सफेद रंग के बड़े-बड़े मेडिकल बॉक्स रखे हुए थे...सब कुछ अच्छे से जमा हुआ था और वहाँ पर हवा की भी कुछ समस्या नहीं थी।

“वाह, क्या जगह है यार!” अतुल को बहुत ही खुशी हओ रही थी जैसे किसी बच्चे को होती है नया खिलौना देख कर।

“यह तो कुछ भी नहीं है असली मजा तो अंदर है.” हिमांशु से नाक ऊंची करते हुए कहा, उसका इशारा सामने एक लोहे के दरवाजे की तरफ था। वो चारों आगे बड़े और दरवाजे के ऊपर टीना ने फिर से हाथ रखा, किसी गैस के रिसने की आवाज हुई! वह दरवाजा दांये-बांये स्लाइड करता हुआ खुल गया। आगे की तरफ कुछ दूर पर उसे सफेद दीवारों वाला हॉल दिखा पर यहाँ से वो पूरा नहीं दिख रहा था!

उस होल तक पहुंचने के लिए बीच में एक कम रोशनी वाला छोटा सा गलियारा था, जैसे ही वो चारों आगे बढ़े, ऊपर से सेट-टॉप-बॉक्स जैसा यंत्र निकल जिसने उन चारों को स्कैन किया..फिर कुछ कदम पर ऊपर से पानी जैसे लिक्विड का छिड़काव हुआ..वो फिर भी आगे बढ़ते रहे...अगले ही पर दीवार केके दोनों तरफ से लाल रंग के मधुमक्खी के छत्ते जैसे अष्टभुज आकार के यंत्र निकले जिन से गर्म हवाएं निकली और उन शहरों को सुखा दिया। अतुल को यह जगह बहुत पसंद आ रही थी। वह भी हिमांशु के साथ अंदर की ओर गया और इन सभी यंत्रों के काम को महसूस किया।

और उस सफेद हॉल में जाते ही बांई ओर उसे एक बहुत सारे स्क्रीन और होलोग्राम वाला बड़ा सा टेबल देखने को मिला जिनमे से कुछ स्क्रीन स पर बाहर का नजारा दिख रहा था, बीच में आगे पीछे कुछ पिलर्स बने हुए थे पर वो कोई बाधा की तरह नहीं थे, सफेद-चांदी सी दीवार पर कुछ कम्पार्टमेंट बने हुए थे जिनमें कुछ पर खाने की चीजों का निशान था, कुछ में कपड़ों का तो कुछ में गन्स का! पर यह तो सिर्फ हॉल था वाहन चारों ओर नजर मारने पर तीन दरवाजे दिखे! जिनमे से एक तो किसी लैब का था जो कि हाल के सामने से ही दिख रहा था, उस लैब की दीवार कांच की बनी हुई थी और उनमे से अंदर की केमिस्ट्री लैब और एक हॉप[इटल के थिएटर जैसा था, बाकी एक लोहे का दरवाजा दांई ओर था तो आखिरी दरवाजा वहीं कोने में पीछे की ओर था जहां से उन्हें पहले हॉल दिख रहा था!

“यार यह जगह तो सच में सीक्रेट बेस है” अतुल अपना उत्साह छुपा नहीं पाया “ये सब बनाने में कितना समय लग होगा?”

हिमांशु जैसे इस सवाल को अवॉयड करना चाहता था पर उसने ऐसा किया नहीं, चारों उसे देख रहे थे।

“1 साल लगा, और यह बेस पिछले 3 सालों से यहीं पर है, मेरे फिंगरप्रिंट के बिना इसे पहले कोई भी नहीं खोल सकता था इसलिए कोई इसे खोज नहीं पाया, पर अब हम 5 लोग इसे खोल सकते है और उपयोग कर सकते है” हिमांशु ने ऐसे कहा जैसे कुछ झूठ भी हो...

“ओह, वैसे यह जगह काफी अच्छी है, यहाँ पर वो दोनों सुरक्षित रहेंगे......पर मीडिया का क्या?” अतुल ने कुछ सोचते हुए कहा “मीडिया वालों को क्या कहेंगे? कि आसुना और निहारिका कहाँ पर है?...”

हिमांशु मुस्कुराया, उसके चेहरे की मुस्कान बता रही थी कि इस सवाल का जवाब भी हिमांशु के पास पहले से ही है

“वह सब हमारा काम नहीं है,...वह सब राजन खुद ही देख लेगा”

अतुल के लिए उसकी बात का मतलब समझना आसान नहीं था पर उसने इस बा को लेकर ज्यादा सवाल नहीं किये, आसुना और निहारिका के लिए सुरक्षित जगह यहीं थी, इस से ज्यादा कुछ जानने की जरूरत नहीं थी। उन चारों ने स्क्रीन वाली टेबलों पर कुछ बटने दबाई और फिर वहीं कुछ दूरी पर एक बड़ी सी गोल टेबल फ्लोर के नीचे से किसी लिफ्ट की तरह ऊपर आ गईं, उनके साथ 6 कुर्सियां भी।

“चलो तो जरा काम की बातें करते है, सभी बैठ जाओ” पहले हिमांशु ने बैठते हुए कहा और सभी ने उसकी बात मानते हुए कुर्सियां गर्म की। “चलो तो तुम लोगों से ही शुरुआत करते है...नवल और जय के केस को लेकर तुम्हे क्या लगता है?....मैं जानना चाहूंगा कि तुम्हारे हिसाब से यह केस कितना मुश्किल है”

दरअसल हिमांशु ही ऐसा अकेला शख्श था जिसने इस केस की गहराई को एक ही बार मे सबसे ज्यादा जान लिया था पर वह चाहता था कि उसके साथियों को भी यह समझ हो जाये कि आखिर उनका सामना किस से है?!

“सर यह केस हमारे हिसाब से कुछ खास नहीं है” टीना ने पूरे भरोसे से कहा, सभी ने उसकी बात पर गौर किया....

“अगर इस केस को 2 पॉसिबिलिटी में देखा जाए तो पहला तो यह है कि जय ने अपने दोस्त मिस्टर नवल सरकार का खून किया, किसी बात को लेकर जो कि उन दोस्तों के बीच ही थी और हाँथापाई में नवल को उसने मार दिया पर उस जगह पर एक लकवा मार देने वाली गैस फेल गयी क्योंकि वो एक लैब थी तो काफी सारे केमिकल गिरा हुआ था। वह इस सब मे फंस गया और भाग गया, अब क्योंकि वो कोई ढंग की जिंदगी नहीं जी सकता था इसलिए उसने अंडरवर्ल्ड से हाथ मिला लिया और जितने भी लोग उसके खिलाफ जा सकते थे उन सब को निशाना बनाना शुरू कर दिया”

अतुल को यह थ्योरी बिल्कुल भी पसंद नहीं आयी! यह तो वहीं। सब था जिस से जय को फसाया जा रहा था। हिमांशु ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई

“और दूसरी पॉसिबिलिटी?” हिमांशु ने पूछा

“दूसरी यह कि हो सकता है कि जब वो नवल से मिलने गया तो वाहन पर पहले से ही वो गैस फैली हुई थी और वह तो बेहोश हो गया पर कोई और वहाँ पर था जिसने नवल को उसकी रिसर्च के लिए मार दिया और सारा इल्जाम जय पर डाल दिया और अब जय उन खूनियों को किसी बिनाह पर ढूंढना छत है इसलिए वो पागलों की तरह खून करते फिर रहा है और यहीं कारण है इस बात की गुंजाइश की कि वो अंडरवर्ल्ड के साथ मिला हुआ है। वह बदले के लिए यह सब कर रहा है......पर किसी का भी इस स्तर पर कत्ल करने सामान्य नहीं है! हम यह कह सकते है कि उसके साथ काफी लोग मिले हुए है और जय अपना मानसिक संतुलन खो बैठा है”

टीना की दूसरी पॉसिबिलिटी कुछ हद तक सही थी पर अतुल इतना तो जनता था कि जय कि जय पागल होकर यह कत्ल नहीं कर रहा है बल्कि वो पूरे होशों हवास में कत्ल कर रहा है? वह जानता है नवल के कातिल के बारे में पर क्या जानता है? यह मुश्किल है

“बाकी तुम तीनों इस बारे में क्या सोचते हो?” हिमांशु ने सवाल किया

“मुझे लगता है कि जय अकेले ही इस सब का जिम्मेदार है,नवल सर की रिसर्च रेवोलुशन ला देती। वह जरूर उसे लेकर भाग गया है, शायद कोई है जो जय को पीछे से कंट्रोल कर रह है” राम ने अपनी बात कही

“मैं राम की बात से सहमत हूँ, ठीक बात तो अभी तक पता नहीं है पर अक्सर ताकत और दौलत के पीछे कोई भी किसी का भी खून कर देता है। जब लोग अपने परिवार को नहीं छोड़तें तो नवल तो फिर भी सिर्फ एक दोस्त था, मुझे जय ही अपराधी लगता है....रही बात कत्लेआम की! तो वह किसी भी आम इंसान के बस की बात नहीं है, मैंने वह फुटेज और फ़ाइल देखी है। एक जमा हुआ अपराधी ही यह सब कर सकता है” राघव ने भी राम के साथ सहमति जताते हुए अपनी बात कही

अब उनके बाद पुनीत की बारी थी पर वह कुछ नहीं बोला,

“और पुनीत, तुम्हारा क्या ख्याल है” हिमांशु ने ध्यान से नजर उस पर टिकाई

“मैं विंटर पब्लिकेशन की कॉमिक्स का बड़ा फैन हूँ!” पुननेट के चेहरे पर असमंजस भरा हुआ था “इसी कारण पिछले 5 सालों से मैं हर साल उनके बुक फेस्टिवल में भागीदार रहा हूँ और जय सर के साथ मेरा अच्छा परिचय है। मैंने उन से ज्यादा अच्छा इंसान आज तक नहीं देखा अगर कोई उनकी इंसल्ट भी करता तो उन्हें गुस्सा नहीं आता, वो लड़ाई झगड़े के तो दूर ही रहे है और उन से बात रटे हुए मुझे इतना तो पता चल गया कि वो बहुत ही सामान्य है। मैं नहीं जानता की क्या हुआ पर इसके पीछे की वजह जानना बहुत ही ज्यादा जरूरी है, मेरी माँ भी ऐसे तो बहुत ही शांत स्वभाव की महिला थी, बिल्कुल जय सर की तरह...पर जब एक गुंडे ने मुझे बंदूक की नोंक पर रख लिया था तो उन्होंने उस गुंडे और उसके साथियों को किसी जंगली जानवर की तरह मारा था...और माँ के पास तो हथियार भी नहीं था”

पुनीत की बात से अतुल खुश था कि उसके अलावा भी कोई है जो जय की अच्छाई को पहचानता है, पर बाकी तीनों के चेहरे इस बात से हैरान थे।

“इसलिए मैं यह कह सकता हूँ कि अगर जय सर ने सच में हिंसा का रास्ता अपनाया है तो इसके पीछे की वजह ही हमें उनकी असलियत तक पहुंचा सकता है। जय सर वाकई इस वक्त बहुत खतरनाक है पर...शायद वो कोआपरेट कर ले”

उन चारों के विज़न अलग थे जो एक अछि बात थी क्योंकि जितनी अलग जानकारी होगी उतनी ही आसानी से केस को पढा जा सकेगा। हिमांशु कुछ कहने ही वाला था कि अचानक ही उसका फ़ोन बजा,

“हेलो”

“हम्म,...कहाँ पर?.....ओके.....गुड जॉब!........कांटेक्ट में रहना...” इतना कह-सुन कर हिमांशु उठ खड़ा हुआ

“अगर जय को जानना है तो उस से खुद ही मिलना पड़ेगा, इसी बहाने शायद 2-2 हाथ भी हो जाये” हिमांशु के साथ ही सभी खड़े हो गए, वह सब जानने के लिए उत्सुक थे कि आखिर बात क्या है?

नवी मुम्बई अस्पताल के पीछे वाले कार्गो कारखाने में कुछ अजीब हरकते देखी गईं है, मेरे खबरी का कहना है कि शायद जय भी वहाँ पर हो सकता है! तो चलो उस से मुलाकात करें”

हिमांशु के ऑर्डर पर तुरंत ही उन चारों ने ‘यस सर’ का नारा लगाया और तैयारी शुरू की, पहली मुलाकात की!



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