Shalinee Pankaj

Abstract

4.0  

Shalinee Pankaj

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आपके टाइप की

आपके टाइप की

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आज 25 तारीख नवरात्रि का पहला दिन उठते ही मोबाईल चेक करने लगी

की कोरोना वायरस को लेकर वाट्सएप्प भरा हुआ था। मन ही मन आँखे बन्दकर सबके लिए प्रार्थना करने लगी।


बाई भी छुट्टी में है ।पूरी तरह घर पर रहना है ना बाहर जाना,ना बाहर से कोई आएगा। मैं कॉफी की चुस्कियां लेते हुए अखबार पढ़ने लगी। फिर एक किनारे रखते हुए टीवी चालू की और फिर कुछ न्यूज़ देखते हुए टीवी भी बंद कर दी।


पूरा दिन काम में बीता इस बीच कई बार मोबाईल चेक करते रही पर कोरोना के अलावा और कोई msg नही था।


आज काम के बीच में फुर्सत निकालती तो बेटा जो अभी बहुत छोटा है 3वर्ष का पर बहुत शरारती वो गोदी में सर रखकर लेट जाता। मैं उसे देखी उसकी नटखट आँखे शरारत भरी। मैंने उससे कहा आपका मुँह बिल्कुल समोसे जैसा है वो चिढ़ते हुए अपने पापा की तरफ देखा और बोला "पापा देखो न मम्मी कहती है कि मेरा मुँह समोसे जैसा है ,बोलो न पापा मम्मी को नई है।" ये सुनकर उसके पापा बोले "नही आपका मुँह समोसे जैसा नही कुछ ठहर कर बोले कि जलेबी जैसा है।" वो थोड़ा रोते जैसे "आँ...... नही है मेरा मुँह समोसे ,जलेबी जैसे।" ये बोलते हुए अपने हाथों से चेहरा को छूने लगा। उसे देख मुझे आज उसकी दिन भर की शैतानी याद आई और सहसा मुँह से निकल गया कि "आप बहुत शरारत करते हो न तो आपका मुँह बंदर जैसे है। वो दौड़कर मेरी गोद से भाग गया। हम दोनों खूब हँसने लगे।


रात में डिनर के वक्त बेटी अपने इंग्लिश सब्जेक्ट के पसंदीदा विषय पर चर्चा शुरू की मैं अनमने मन से वहाँ से उठने लगी तभी वो बोली मम्मी सुनो न!! वो बिल्कुल "आपके टाइप की थी।" मैं बर्तन समेटते हुए ठहर गयी और बोली मेरे टाइप की यानी कि कैसी?

फिर वो सब किस्से याद दिलाने लगी जो जिसे जाने -अनजाने मैं भूल गयी थी। हँसते-हँसते पेट दुखने लगा। बच्ची को मेरी कितनी सारी मजेदार किस्से याद है ये आज पता चला वो किस्सा शुरू करती थी कि मैं जोर से हँसने लग जाती थी। फिर उठने लगी कि चलो ग्यारह बज गया। वो हाथ पकड़ कर बोली " मेरा फेवरेट चेप्टर सुनो न" 


न जाने कितनी देर तक हम हंसी ठहाके लगाते रहे कि 12 बज गया। कोई सुबह उठने की जल्दी नही,किसी को बाहर जाना नही।

मैं सोचने लगी कि ये लॉकडाऊन नही होता तो शायद मैं इतना वक्त इतना बेहतरीन पल परिवार के साथ नही बीता पाती


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