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Kanchan Prabha

Action Crime Thriller

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Kanchan Prabha

Action Crime Thriller

युद्ध प्रपंच

युद्ध प्रपंच

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युद्ध है प्रपंच है

सेना विध्वंस है

किसे बताये अपना प्यादा

चारों ओर षड्यंत्र है 

हाथियों की झुंड 


कहीं कंकाली मुंड है

तीर की तपिश है

जुवाँ यहाँ विष है

जीवन्त उदाहरण जो

 जीवन और मरण का


 शंख की आवाज है

 मुश्किलों में ताज है

दिल हिन्डोले मारे कभी 

कभी बढाये धड़कने

घोड़ों की चाप से

टप टप की थाप से


ये शोर मचा है कैसा

मुर्दों के बाजारो जैसा

कोई चिल्लाए रोये ऐसे

सबकुछ लूट रहा हो जैसे

कण कण भी तो रोया आज


मौत की नींद में सोया आज

धरती रंगी लहू के रंग

खेले सब हथियार के संग

 राह देख रही बैरन गोरी

कब अहिये सजंवां मोरी

देखी देखी अब मन घबराया 


नभ पर कैसा बादल छाया

रोये पँछीऔर परिंदे

उड़ी है सबकी चैन और नींदे

गिरते-गिरते बचते राजा

आज ना उनकी बचेगी लाजा


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