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Dharitri Mallick

Tragedy Others

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Dharitri Mallick

Tragedy Others

ये कैसा रिश्ता?

ये कैसा रिश्ता?

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मैं जितनी भी कोशिश की

उसको समझानेकी...

बात उतनी ही और बिगड़ गई (१)


वो तो न समझा

पर मैं ही ताउम्र दोषी बन गई

उसको जलने से बचाने गयी थी

पर मैं ख़ुद ही जल गई (२)


मैं अच्छे मन से गई थी

पर उसके मुंह से आग़ बरस रही थी

रिश्ते बचाने गई थी

पर सारे रिश्ते-नाते ज़ल गये (३)


एक आख़री कोशिश कर रही थी

हर मुमक़िन कोशिश बेकार गई

कुछ न बचा अब हाथों में

पहले जीतना मरी थी

अब उससे ज्यादा मारि गई (४)


कहावत थी कभी 

हार मत मानो

हिम्मत मत हारो

एक कोशिश तू और कर (५)


पर मैंने अब समझा के

कभी कभी आख़री कोशिश

जानलेवा होती है

जो एक आस बची थी

शायद वो अपना भूल सुधारें

टूटा हुआ रिश्ता फिरसे जुड़ जाए (६)


न जुड़ा कुछ,

न संभला कुछ,

न बचा कुछ,

मिला तो सिर्फ़

जानलेवा निंदा, असहनीय पीड़ा, दर्द, धुत्कार (७)


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