ये चल रहा क्या ठीक है???
ये चल रहा क्या ठीक है???
सबको पता है प्यार क्या है? परिवार क्या है?
रिश्ते क्या हैं? जिम्मेदारी क्या है??वफादारी क्या है??
फिर गलती कहाँ किससे हो जाती है??
किस वजह से आँख रो जाती है ??
कभी खुद की, कभी अपनों की,
कभी अपनों के अपनों की,
क्यों?? ठेस की ठोकर से आहत मन हो जाते हैं!
क्यों?? जानते बूझते लोग नादान बन जाते हैं!!
क्यों?? इतना दिखावा करते हैं लोग !!
छलकर शरीफ बनते हैं लोग !!
अंत कहाँ है इस छलावे का??
क्यों?? रुकता नहीं खेल दिखावे का!!
ये चल रहा क्या ठीक है ??
कछुए के जैसी पीठ है !!
गिर रहा क्यों इतना मानव ??
बन गया है जैसे दानव !!!
थम जाए तो कुछ बात हो
अमन की शुरुआत हो ।।
इंसान की इंसान संग,
इंसानियत से बात हो ।।
इंसानियत से बात हो!!