कलमकार
कलमकार
किसने कहा गमज़दा ही कलम चलाते हैं ,
और आपबीती काग़ज़ पर लिखते हैं ।।
अरे सुख महसूस करने वाले भी
कलम के धनी होते हैं ।
जो अपनी कलम के माध्यम से
खुशियाँ संसार को देते हैं ।
वैसे कलमकार वही श्रेष्ठ है जो
अवसाद ग्रस्त को सुखी करे ।
दीन,हीन, नैराश्य मनों में,,
उम्मीदों का जोश भरे ।
अपने शब्दों के जादू से
मन का मातम जो हर ले ,,
संतृप्त आत्मा को करके ,
नव सृजन को तैयार करे ।
भ्रम के आभासी पिंजर को ,
तोड़ यथार्थ में ले आये ।
कुछ ना करने की लाचारी को ,
कर्मठता का बोध कराये ।
सबकुछ संभव इसी धरा पर
प्रयास मगर करना होगा ।
भाव यही सुप्त हृदय में जगाकर
बुलंदियों तक जो पहुँचाए ।
हाँ कलमकार वही श्रेष्ठ है जो
यथार्थ में जीना सिखलाए ।
यथार्थ में जीना सिखलाए।