चूड़ियाँ
चूड़ियाँ
हमने चूड़ियांँ नहीं पहनी हैं ,
अक्सर लोग ऐसा बोलते हैं।
और चूड़ियों वाले हाथों को
कमजोर ही बोलते हैं !!
इन्हीं कमजोर हाथों ने रण में ,
दुश्मनों को मार गिराया है।
इन्हीं कमजोर हाथों ने,,,
दुनियाँ से लोहा मनवाया है ।
हर क्षेत्र में ये हाथ अपना योगदान देते हैं ।
देश दुनियाँ समाज को प्रगति पथ से जोड़ देते हैं।
कोई काम नहीं ऐसा जो इन्होंने न किया हो ,,
पहले ही प्रयास में इतिहास न रचा हो ।।
इन चूड़ियों वाले हाथों को,
कमजोर मत समझना कोई ।
सराहना ना कर सको तो,
अवहेलना मत करना कोई ।
उत्थान और पतन इन हाथों में पलते हैं।
सृष्टि के सारे काज इन्हीं हाथों से चलते हैं ।
शुक्र मनाओ इन हाथों में चूड़ियाँ खनकतीं हैं ।
आप सबकी जिंदगियाँ इन्हीं हाथों में पलतीं हैं ।
ना होते चूड़ियों वाले हाथ तो ,
नवरसों की संकल्पना ही व्यर्थ थी ।
साहित्य और जीवन में,,,
रसानुभूति की संभावना भी व्यर्थ थी ।
इन्हीं चूड़ियों वाले हाथों ने ,
सबको उँगलियों के इशारों पर नचाया है ।
नाकों चने चबवा दिए ,
जिसने इनको छकाया है ।
इन चूड़ियों वाले हाथों के अनगिनत किस्से हैं
पंगा मत लेना इनसे यही चूड़ियों वाले हाथ ,,
सबके सुखी जीवन के हिस्से हैं ।
सबके सुखी जीवन के हिस्से हैं ।