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Savita Gupta

Romance

4  

Savita Gupta

Romance

यारों की टोली

यारों की टोली

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247



रंगों की आई है विहान, निकली यारों की टोली।

चलो मिल जुल कर खेलें आज, रंग बिरंगी सी होली।

गिला शिकवा भूल कर आओ, लगाओ एकता का रंग,

भर कर पिचकारी ख़ुशियों से, आई यारों 

की टोली।


रंग लगा हो जहाँ प्यार का, ख़ुशी से भरी हो झोली,

आ गया फाल्गुन का महीना, संग संग हो हम जोली।

हरा ,गुलाबी ,नीला, पीला ,चढ़ा है रंग भी गाढ़ा ,

शर्म से हो गई मैं गीली, जैसे भीगी हो चोली।


सुध बुध खोयी राधा रानी, मुरली के तान में डूबी।

गोपियाँ हो गई मतवाली, हुई हरि रंग में अजूबी।

यमुना तीरे जोरा जोरी, नंदों ने मटकी फोड़ी,

मथुरा की फूलों की होली, कृष्ण पूरे भंग में डूबे।


खेल रहे हैं अबीर गुलाल, नहीं किसी को है मलाल,

नाच रहे ढोल बजाकर, नशे में करे हैं कमाल।

याद जो आई गाँव की तो, जिया भी हो गया गीला,

माता पिता का चरण मिले, आशीषों का रहे ढाल।



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