यादों की गुल्लक
यादों की गुल्लक
तुम्हारी यादों की
गुल्लक को जब भी खोलती हूँ
मन भर - सा जाता है
मैंने सारी यादों को
इक इक सिक्कों के रूप में
जोड़ कर रखा है
तुम चाहो तो
इसमें बढ़ोतरी कर सकते हो
लेकिन मुझे पता है
तुम ऐसा कुछ न करोगे
उफ़! यह मेरे बड़े से ख्वाब।