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Ranjeeta Dhyani

Tragedy

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Ranjeeta Dhyani

Tragedy

यादों का पिटारा

यादों का पिटारा

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जन्म से अब तक जैसे

समय ढलता गया ....

वैसे ही यादों का पिटारा

लगातार भरता गया....


जीवन की खट्टी-मीठी यादें

मन प्रफुल्लित कर गई.....

याद आईं जब अपनों की बातें

होंठों पर मुस्कान खिल गई....


कुछ यादें ताज़ा हुई जिनसे

मेरी आंखें नम हो गई.....

भुलाना जो चाहा तो लगा

जीवन की डोर कम हो गई


दोनों ही यादों का किस्सा

दादाजी से जुड़ा हुआ है

कभी हंसी, कभी नाराज़गी

कभी ज्ञान मार्ग पर मुड़ा हुआ है


१५ वर्ष जीवन के मैंने

दादाजी के संग बिताए हैं

जुड़े कई रिश्ते लेकिन....

उनकी जगह नहीं ले पाए हैं 


पढ़ना - लिखना मुझे सिखाया

बचपन खुशियों से महकाया...

संस्कारों का सृजन कर......

मेरा जीवन सफल बनाया....


आखिर एक दिन ऐसा आया

दादाजी दुनिया से चले गए......

रह गई बस उनकी यादें, दिल में

यूं हमें बिलखता छोड़ गए.......।


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