Brijlala Rohan

Tragedy Crime Fantasy

3.5  

Brijlala Rohan

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वर्षा:ऋतुओं की रानी

वर्षा:ऋतुओं की रानी

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राजा वसंत, वर्षा ऋतुओं की रानी 

कह गए कबीर अपनी जुबानी,

बरसना ही अंकुरण की शुरुआत है 

मानवता की बरसात ही तो है नानक की गुरबानी !


जैसे बरसती हैं आसमाँ से रिमझिम बूंदे, 

वैसे ही कोई विरहिणी अपने प्रियतम की याद में 

नम कर देती है नयन को अपनी !

और पहुंच जाता है मेघदूत के माध्यम द्वारा

संदेश उसका उसके प्रियतम के पास ।


जैसे बरसती है गगन से गर्जन भरी मूसलाधार बूंदे, 

किसी किसान की आंखे नम हो जाती है, 

जो अपने सन्तान की ही भाँति पाल - पोस कर

बड़ा कर रहा होता है फसल अपनी !

उसके भी अधरों से मुस्कान टपक रही होती है !


कारण की उसकी भी अर्जी वर्षा रानी के द्वारा सुन ली जाती है, 

और साथ ही स्वीकृत भी हो जाती है !

सचमुच वर्षा ऋतुओं की रानी है !

ताल- तलैया सब भर जाते हैं, 

सूखे और मुरझाए से फ़ूलों में नवजीवन का संचार हो जाता है, 

कलियां खिल जाती हैं प्रसन्नचित्त होकर वर्षा रानी के आगमन की स्वागत में !


सचमुच राजा वसंत,वर्षा ऋतुओं की रानी 

कह गए कबीर अपनी जुबानी !


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