आज़ादी
आज़ादी
ये कैसी आज़ादी है
चारों और दंगे फसाद है
चारों ओर मंहगाई और भ्रष्टाचार है
ए कैसी आज़ादी है।
भगत सिंग, मंगल पाण्डे,सुखदेव राजगुरू
जैसा तुमने सोचा ना था
वैसी आपनी आज़ादी है।
टुकडे टुकड़े करके गोरो ने
भारत मां का सीना चीरा था
देशके लोगों ही कर रहे हैं
आज देश की बर्बादी ।
ये कैसी आज़ादी है।
हरजगा नफ़रत ही नफ़रत
तो कहीं दहसत के अंगारे हैं
पूंजीपति, नेता क्या बर्दीवाले
सभी इसमें भागीदारी है।
ये कैसी आज़ादी है।
आज़ादी अनमोल रतन है
भारतमाता को एकसूत्र मैं जोड़ने के लिऐ
सवरकर, नेताजी,पटेल,
मां कि लाल ने अपने प्राण दिए ।
भारत पाक की सरहद पर
सिपाही मौत से लड़ता है
भारत मां की रक्षा करके
लाखो ने प्राण गवाए है।
आज़ादी के बाद तो देखो
कैसी ये लगी बीमारी है ।
पूरे देश मैं मणिपुर, राजस्थान, बंगाल, बिहार
मैं खुले आम चिर हरण महिलाओं की नहीं भारत मां की हो रही हैं।
हम भारत के लोग मुख दर्शन बने हुए है ।
कहां गई वो धूल
जो बिरंगना को पैदा करती थी
लक्ष्मी बाई , गाजिया सुलतान भारत मां की सुपुत्री
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
कहीं दहेज के दर मैं भ्रूण हत्या
तो कहीं महिलाओं के सरे आम नीलाम
ये कैसी आज़ादी है।
कितने पन्ने पलट के हमने ये आज़ादी पाई है
कहीं जात पात के तो कहीं
छूत अछूत कि बीमारी है,
विभाजन और धर्म के लिए यहां लड़ाई है
कुछ अपने राजनीति दल मैं गदारी है
वो गदारी की बड़ी कीमत हमारी वीरों ने चुकाई है
ये कैसी आज़ादी है
यहां पर जंग छिड़ी है
अपना नाम कमाने की
तब तक समस्या बनी रहेगी
और शाहिद की आत्मा माफ नही करेगी
ये कैसी आज़ादी है ।
आज़ादी का नया रंग अंकों मैं छाया है
नया सवेरा फिर लाएंगे
पूरे भारत मैं तिरंगा लहराएंगे।
स्वाधीनता दिवस का 76th साल पालन करेंगे
करके मंदिर ,मस्जिद नहीं दिलों को जोड़ा करेंगे।