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Padmini Parida

Inspirational

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Padmini Parida

Inspirational

नारी

नारी

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  नारी हूं लाचार नहीं

  मुझमे हैं शक्ति हजार।

  नारी को ना कारो प्रताड़ित

  मैं दुर्गा, काली बिसिस्ट।

  मैं कलयुग की नारी, द्रोपदी नहीं

  लाज बचाने श्री कृष्ण को बुलबौगी।

  तुम छुओ मेरे पुछ को

   तुमारी लंका को आग लगवाऊंगी।

   नारी का आचल दूध से भरा

   नवजीवन का आशा भरोशा।

   सीता का रुप धारी हु आज

   काली, कल्याणी भी बंजाऊंगी। 

   एकदिन मेरे प्रकोप से

   सारा सृष्टि को बाहा दूंगी।

   नारिही सम्पुन जगतजननी है

   नारी हीं रामायण, महाभारत रचाई है।

   रूढ़बादी जंजीरों से बांधे हों

   हालत से नही हरि हूं।

   नारी खुशियों का संसार है

   ईश्वर का चमत्कार है।

  नारी देहज के लिए तिलतील मरती है

 टीभी, फ्रिज, ए. सी, लंबी गाडियों से

   बिक जाती है।

   में दो साल की बच्ची हूं

   चीख चीख के कहति हुं

ऊमर से   कच्ची हूं।

   चंड, मुड़, मा ला करके सिंगार

   महिषा मर्दिनी बंजाऊंगी।

   नारीपर बड़े तो अत्याचार

  सारा सत्र धरके तुमको मौत का

  दर्शन करवाऊंगी।

  नारी घर आंगन का मुस्कान है

  रिस्तो का सम्मान है।

आखों में आशु, दिल मे बोबललिए

  नारी आंधे कानून के खोज मे।

  नारी चुले के आग में तपके

सम्पुण परिवार चलाती हैं,

 फिर भी इतनी सस्ती है

 आजकल बाजारों मे बिक जाती है।

 अधापेट खाके स्नेह, प्यार, ममता देती

जख्मभरा दिल को आशु से धोती।

नारी का भुमिका अपरंपार है

उसे ना समझो बेपार है।

नारी लक्ष्मी, स्वरस्वती का रुप है

बड़े तो अत्याचार काली, दुर्गा का अनुरूप है।

मेही ओ मा, बहन, बेटी हू

जिसे तुम दुनिया मे आपाते हो।

नारी का महिमा का वर्णन

 रानी लक्ष्मीबाई, राजिया सुलतान है।

     

        

          

    

              


   


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