वृक्ष लताओं का विरह
वृक्ष लताओं का विरह
देखा है कभी तुमने
वृक्ष लताओं को विरह में तड़पते हुए..?
इनके वियोग को तुमने महसूस किया है कभी..?
ये जब प्रेम में होते हैं तब
झूमते हैं /नाचते हैं /
सुमधुर स्वर लहरी छेड़ते हैं
इनके प्रेम मिलन से सुमन पुष्पित पल्लवित होते हैं,
इनका प्रेम सुगंध चहुँ ओर विस्तारित होता है
एक उन्मादी सी छाई रहती है वातावरण में
हर जीव इनके मिलन से हर्षित होता है
अद्भुत रोमांच होता है इनके मिलन का
जीव / कीट पतंगे भी प्रेम में आबद्ध हो जाते हैं
किन्तु..
क्या तुमने इनके विरह को देखा है..?
ये भी विरह में विलाप करते हैं
अपने सारे पर्ण को गिराकर अपना दर्द बयाँ करते हैं
अलग होती है इनके दर्द की भाषा..!
इनके विरह से सृष्टि वीरान हो जाती है
सब कुछ नष्ट हो जाता है इनके विरह से!
प्रकृति का दर्द सबसे अलग होता है,
अलग होती है इनके दर्द की भाषा...!!
