वो चली गई है
वो चली गई है
वो चली गई है,
हाँ, वो ही।
जो किसी रोज़ यहाँ थी,
मेरे लिए पूरा जहाँ थी।
मोहब्बत जिससे बेइंतहां थी,
जो दुनिया से बेपरवाह थी।
वो चली गई है,
हाँ, वो ही।
जिसका होना रहमत-ए-खुदा था,
जो वक़्त में गुमशुदा था।
वादें खाये थे जिसने साथ रहने के,
जिससे नहीं मिले पल-ए-गम सहने के।
वो चली गयी है
हाँ, वो ही।
हर रोज़ जिसका इंतज़ार करना,
दिल पे नए-नए वार करना।
जिसकी आँखों में हमारे भी ख़्वाब थे,
जिसके लिए उम्मीदें बेहिसाब थे।
वो चली गई है,
हाँ, वो ही।
ज़िन्दगी की रफ़्तार में भूल न जाये,
कहीं उसकी नींदों में खो न जाये।
फर्क़ पड़ता तो जिसके जाने से,
कहीं खो तो नहीं जिसको पाने से।
वो चली गई है,
हाँ, वो ही।
आ जाने से जिसके आये बहार,
होंठों में जिसके छाये खुमार।
चेहरे के जिसके सुनहरे नग़में थे,
ख़ूबसूरती के अनेकों तगमें थे।
वो चली गई है,
हाँ, वो ही।
चलो खुश रहे वो हो जहाँ,
गम भूलाने जाना है कहाँ।
कहीं तो दर्द-ए-दिल छुपाना पड़ेगा,
कहीं पर तो बेवजह मुस्कुराना पड़ेगा।
क्योंकि वो चली गई है,
हाँ, वो ही।
