वे लोग कैसे जीते है..?
वे लोग कैसे जीते है..?
वे लोग कैसे जीते है ?
मतलबी दुनिया में कुछ लोग ऐसे होते है
दुनिया भर का गम पीकर भी, अपने ही धून में जीते है।।
जीता है इंसान अपने ही दुख में,
अपने दुख को भूल वह, औरों के लिये जीते है।
कभी तो लगे है...इंसान नहीं भगवान है वह
खुशियां सारे संसार की, दुनिया पे लुटाने आए है।।
अपने निजी गम से, इन्हें न कोई वास्ता
और ना ही स्वार्थ तक जाये इनका रास्ता,
करते है ये प्यार जिनको...
इनका उनकी खुशियों में, समाया सारा जहान है।।
इतिहास ने देखा है, इनकी ही हुई है जीत
तोड़ कर गम चट्टानों के, गाते है ये सदा गीत,
भले ही गीत में सूर ना हो, गीत तो गीत ही होता है
दीये हो गम हजारों लेकिन, मीत तो मीत होता है ,
यही उसका राज जिसमें इतिहास हमेशा खोते है।।
देश, मानवता, अपनो से प्यार...
होते है इनके खुद के संस्कार,
सच्चाई, निस्वार्थ भाव, त्याग, होते है इनके अलंकार
भगवान ने दिया होता है इनको, खुशियों का सागर
जिसमें डुबकर समस्त दुख अपना, ये जहाँ भी तैर सकते है,
अगर किसी के जीवन में, गम के बादल आये है
समझो परीक्षा की घड़ी को, न कहो दुख लाये है।।
देखो अपने आसपास, और मन को टटोलो..
दिखेगी दुखी, आँखों में आंसू भरी दुनिया,
तुम उन आँखों में देखो, जिनमें आशा की किरण है..
और महसूस करो उन सांसो को,
जो निकल रही है अंदर से,
फिर भी जीना चाहती है।
जीना गर है बीना मरे जिंदगी में...
तो देखो, सोचो, वे लोग कैसे जीते है।।
