मेरी फौज
मेरी फौज
साहस कहूँ तो साहस का भी सम्मान हो
जला सकते है आग को, अगर दिल में अरमान हो
फर्ज के लिये रोक दे, अगर मौत का फरमान हो
ऐसी मेरी फौज पर, चाहूँ की दिल कुर्बान हो।।
इनसानियत है जिनकी, लहू की फितरत
इरादे बुलंद जिनके, जीतनी नहीं कुदरत,
कर्म ही धर्म हमारा, राष्ट्र हमारा भगवान
प्यार ही बांटना सीखा है, भूल के सारी नफरत,
चैन से सारी दुनिया सोये, चैन का हर सवेरा हो
ऐसी मेरी फौज पर चाहूँ की दिल कुर्बान हो।।
जीतना ही सीखा हमने, हारने की आदत नहीं
कुर्बान होना राष्ट्र पर, इससे बड़ी इबादत नहीं,
भले ही सामने हो...चट्टान मुसीबतों के
चट्टानों को पिघलाकर रास्ता बनाएंगे वही
गौरवशाली परंपरा के हम सब पहरेदार हो
ऐसी मेरी फौज पर चाहूँ की दिल कुर्बान हो।।
देश के लिये जीना, देश के लिये मरना
जाये जान भले ही, दुश्मन से ना डरना,
हस्ती पर ही हमारी, घाव करे जो अपना
मिटाने के सिवा गद्दार, और भला क्या करना ?
सबूत दुनिया को है दिया , हमने बारंबार हो
ऐसी मेरी फौज पर चाहूँ की दिल कुर्बान हो।।
