वापस यात्रा
वापस यात्रा
जो दुनिया में आया है, वो एक दिन वापिस जाएगा,
संसार के इस शाश्वत सच को, कोई झुठला ना पायेगा।
पैसा बहुत कमाया था, ऐशो आराम का जीवन था,
इस पैसे के दम पे बता, धर्म से क्यूँ मुँह फेरा था।
हजारो रोज आते हैं, हजारों चले भी जाते हैं,
उंगलियो पे गिन लो उनको, जो नाम अमर कर जाते हैं।
कोई जल्दी से हारा है, कोई लंबी रेस का घोड़ा है,
पर इस रिटर्न जर्नी में, हमने सब कुछ यहीं पे छोड़ा है।
किसी की अंतिम यात्रा में, श्मशान घाट हो आये थे,
कभी ये आखरी मंजिल होगी, ये ना सोच पाये थे।
हर शोक सभा में जो बात बार-बार दोहराई थी,
बात वो इतनी सीधी सरल थी, क्यों समझ ना आई थी।
पैसे की बात क्या करेंगे, शरीर ही यहाँ छोड़ जाना है,
जब वक़्त आएगा जाने का, रिटर्न टिकट कटाना है।।
