प्रेम की भाषा
प्रेम की भाषा
माँ की ममता पिता का साया
इसका नहीं कोई है पर्याय
अपनो का साथ और धरती माँ से प्यार
जीवन में और क्या चाहिए यार
क्या मोल हैं ममता का,
पूछो जिसने माँ खोई है
क्या कीमत है साहस की
पूछो जिसपे बाप का साया नहीं
क्या करोगे दौलत का
जो मिले प्यार ना अपनो का
क्या देखोगे दुनिया घूम के
जब धरती अपनी ही अनजानी है
एक भाव को समझे हम
सब अपने है, नहीं कोई पराया
जिस मिट्टी से सबका सृजन हुआ
उस मिट्टी में सबको मिल जाना
बांट सको तो प्यार बांटना
दिल ना किसी का दुखाना
आओ सब मिल के प्रण करे
प्राणी है हम, हर प्राणी से प्रेम करे
