अब जीत की तैयारी है
अब जीत की तैयारी है
एक अकेला चराग़ ही,
तूफान से लड़ता रहा,
हालात से मजबूर था वो,
बिखरता रहा, संभलता रहा।
समेट लिया एक दिन खुद को,
अपनी ज्वाला को आकार दिया,
आज़मा ले अपनी ताकत को आज,
तूफान को ललकार दिया।
मुसीबत का क्या है,
आज है कल टल जायेगी,
संकल्प हो सिर पर सवार,
तो पत्थर तक गल जायेगा।
ना चलो किसी राह पर तो,
हर फासला दूर कोस होता है,
अब जान गया हूँ के मनुष्य,
मुश्किलों से ही ठोस होता है।
अब सीने में एक आग सी है,
आँखो में भी चिंगारी है,
किस्मत को धूल चटा दी है,
अब जीत की तैयारी है।
जब सपनों का मोती, हाथों से छूट जाता है,
जब खुद का ही हौसला, किसी कारण टूट जाता है,
तब सारी जीवनी व्यर्थ और दुख भरी कहानी लगती है,
ज़ख्म हो ताज़ा फिर भी कोई पीर पुरानी लगती है।
हर विपत्ती हर आपदा को हँस कर सहना पड़ता है,
जीवन के संघर्ष पथ पर खुद से भी लड़ना पड़ता है,
तब यकीन का एक बाण उठाया और अविश्वासों पर छोड़ दिया,
दृढ़ निश्चय के झोंको से तूफानों का रुख मोड़ दिया।
खुद से मैं अब जीत चुका,
मंज़िल, अब तेरी बारी है,
किस्मत को धूल चटा दी है,
अब जीत की तैयारी है।
अब जीत की तैयारी है।।