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एक चराग़

एक चराग़

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खुद जलता है रोशनी फैलाता रहता है

एक चराग़ ही अंधेरे को सताता रहता है


दर्द-ए-दिल नहीं तेरे जेहन का वहम है

दिल खुद ही दिल को समझाता रहता है


तुमसे बातें करता हूँ तो ज़माना कहे है

बड़ा पागल है अकेले बड़बड़ाता रहता है


एक शख्स चैन से सोने भी नही देता

हर रात ख्वाबों में आ कर जाता रहता है


कुछ तो वास्ता होगा मेरे लबों से तेरा

बेवजह जो तेरे किस्से सुनाता रहता है


उनसे कहियो के कभी मिलने भी आए

उन्हें देखे बिना ये दिल घबराता रहता है।।


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