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Ankit Dixit

Drama

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Ankit Dixit

Drama

मेरी कहानी

मेरी कहानी

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और टूट नहीं सकता, मैं ऐसा कतरा एक खंड का हूँ,

और कुछ बताने के पहले बता दूं, मैं 'झारखंड' का हूँ।


वो राज़ है, वो ख़्वाब है, वो ही वजह मेरे अज़ाब की है,

ज़िक्र जिसका मेरी हर शायरी में, वो हसीना 'पंजाब' की है।


कभी ख़ुशी कभी गम, कुछ ऐसे हालात में गुज़ारे हैं,

मैंने भी कुछ बेहतरीन दिन 'गुजरात' में गुज़ारे हैं।


जब तन्हा था सफर मेरा, वो वैसी डगर में मिली थी,

वो दिलकश हँसी, मुझे 'गांधीनगर' में मिली थी।


वो मेरे साथ नहीं और कुछ भी नहीं मेरे हाथ में था,

महादेव से मांग लिया उसे, जब मैं 'सोमनाथ' में था।


ख्वाबों को हक़ीक़त में मानों जिऊँ जैसे,

वो मेरे साथ थी, खूबसूरत समा था 'दिऊ' जैसे।


मुझमें पूरी वो थी मैं खुद में ज़रा सा भी बच नहीं गया था,

मनाया उसे पर वो नहीं गयी, तो मैं भी 'कच्छ' नहीं गया था।


वहाँ शायरी की शुरुआत हुई जब मैं प्यार के काबू में था,

वो शांत हो कर सब सुन रही थी जब मैं 'माउंट-आबू' में था।


हँसना , गाना, रूठना, मनाना ये वाकया बाद का हो गया,

वो 'पुणे' की हो गयी, और मैं 'हैदराबाद' का हो गया।




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